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    उत्तराखंड वासियों के लिए खुशखबरी, भूमि के बदले भूमि नहीं मिलने पर दिया जाएगा सर्किल रेट का तीन गुना

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 07:57 AM (IST)

    उत्तराखंड सरकार ने औद्योगिक निवेश और नए शहरों के विकास के लिए आंध्र प्रदेश के अमरावती मॉडल को अपनाया है। भूमि के बदले भूमि अधिग्रहण में, भू स्वामियों ...और पढ़ें

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    भूमि सौंपने की तारीख से अधिकतम तीन वर्ष तक 12 रुपये प्रति वर्गमीटर प्रति माह मिलेंगे। सांकेतिक तस्वीर

    अश्वनी त्रिपाठी, देहरादून। औद्योगिक निवेश व नए शहरों को बसाने के लिए उत्तराखंड ने आंध्र प्रदेश के अमरावती माडल को चुनकर भूमि के बदले भूमि देकर भूमि देकर अधिग्रहण का फैसला किया है। प्रमुख सचिव आवास मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जमीन के बदले जमीन का फार्मूला तैयार है। भू स्वामियों से कृषि या अविकसित जमीन ली जाएगी।

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    इसके बदले उन्हें 24 प्रतिशत विकसित आवासीय जमीन दी जाएगी, अगर भू स्वामी विकसित वाणिज्यिक जमीन लेना चाहे तो सरेंडर की गई भूमि का सात प्रतिशत दिया जाएगा। भू-स्वामी वाणिज्यिक जमीन नहीं लेता है तो उसे 14 प्रतिशत अतिरिक्त आवासीय भूमि दी जाएगी।

    यदि किसी कारणवश प्राधिकरण विकसित प्लाट नहीं दे सका तो भूमि स्वामी को आवासीय प्लाट के बदले सर्किल रेट का दोगुना व वाणिज्यिक प्लाट के बदले सर्किल रेट का तीन गुना दिया जाएगा।

    लैंड पूलिंग स्कीम में शामिल हर भूमि स्वामी को, भूमि सौंपने की तारीख से अधिकतम तीन वर्ष तक गैर कृषि भूमि पर 12 रुपये प्रति वर्गमीटर प्रति माह व कृषि भूमि पर छह रुपये प्रति वर्गमीटर प्रति माह दिया जाएगा। यह सहायता भू-स्वामी को अपने आवंटित प्लाट का स्वीकृत नक्शा (प्लान) मिलने तक प्रदान की जाएगी।

    उत्तराखंड आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण के संयुक्त मुख्य प्रशासक डीपी सिंह ने बताया कि दिल्ली में लगभग 20,000 हेक्टेयर भूमि लैंड पूलिंग पालिसी के तहत कवर हुई, जिसने 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के निजी निवेश का रास्ता बनाया, हरियाणा में शहरी विस्तार और औद्योगिक कारीडोर का विकास इसी माडल पर हुआ।

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    इन्हीं सफलताओं को देखते हुए उत्तराखंड ने उत्तराखंड लैंड पूलिंग स्कीम में संशोधन किया है। इसका उद्देश्य राज्य में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, नए शहरी सेगमेंट, सेटेलाइट टाउन और योजनाबद्ध शहरी विस्तार के लिए फ्रेमवर्क तैयार करना है। यह योजना पूरी तरह स्वैच्छिक है। इसमें भूस्वामी अपनी सहमति से भूमि को देंगे।

    ऐसे होगी प्रक्रिया

    • संभावित क्षेत्र की पहचान।
    • भू चयन कर लैंड पूलिंग स्कीम की बाउंड्री तय होगी।
    • अथारिटी ड्राफ्ट लेआउट और भौतिक स्टडी करेगी।
    • जन-सुनवाई, सार्वजनिक परामर्श और स्टेकहोल्डर एंगेजमेंट होगा।
    • आवेदन प्राप्त कर उनकी स्क्रूटनी की जाएगी।
    • स्वीकृति के बाद फाइनल लैंड पूलिंग स्कीम प्रकाशित होगी।
    • मूल प्लाट का भौतिक कब्ज़ा सौंपा जाएगा।
    • जमीन मालिकों को नए विकसित प्लाट देने के लिए डीड निष्पादित की जाएगी।
    • इसके बाद फाइनल लैंड पूलिंग स्कीम को पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।