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    दिल्ली के प्रदूषण की कीमत चुका रहा उत्तराखंड, करीब 5000 ट्रकों की एंट्री बैन

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 01:29 PM (IST)

    दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण लगे प्रतिबंधों से उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर असर पड़ा है। BS-4 से नीचे के ट्रकों के प्रवेश पर रोक से लगभग 500 ...और पढ़ें

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    बसों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, लेकिन माल ढुलाई अब भी संकट में. File Photo

    जागरण संवाददाता, देहरादून। दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते लागू किए गए सख्त प्रतिबंधों का असर अब उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर साफ दिखाई देने लगा है। दिल्ली में बीएस-4 से नीचे मानक वाले पुराने डीजल ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगने से उत्तराखंड के करीब पांच हजार हजार ट्रकों का संचालन ठप हो गया है। नतीजा यह है कि दवाइयों, औद्योगिक कच्चे माल और जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हो रही है, जिससे बाजार में असंतुलन की स्थिति बनती जा रही है।

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    देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर और सिडकुल क्षेत्रों से दिल्ली–एनसीआर के लिए जाने वाले करीब 5000 ट्रक पुराने मानक के हैं। जैसे ही दिल्ली में प्रतिबंध लागू हुआ, बड़ी संख्या में ट्रक गाजीपुर, गाजियाबाद और अन्य बार्डर प्वाइंट्स पर रोक दिए गए। कई ट्रक लोडेड हालत में खड़े हैं, जिससे माल खराब होने और डिलीवरी टाइमलाइन टूटने का खतरा बढ़ गया है।

    दवाइयों और उद्योगों पर सीधा असर

    उत्तराखंड से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में दवाइयों, पैकेजिंग सामग्री, ऑटो पार्ट्स और अन्य औद्योगिक कच्चे माल की नियमित आपूर्ति होती है। ट्रकों की आवाजाही रुकने से फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सीधा असर पड़ा है। कारोबारी वर्ग का कहना है कि यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो उत्पादन लागत बढ़ेगी और उसका बोझ आम उपभोक्ता पर पड़ेगा।

    ट्रांसपोर्टरों को रोजाना करोड़ों का नुकसान

    ट्रांसपोर्ट यूनियन के एपी उनियाल के मुताबिक, रोजाना करोड़ों रुपये के नुकसान का अनुमान है। छोटे और मध्यम ट्रांसपोर्टरों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि बीएस-6 मानक के नए ट्रक खरीदना उनके लिए आसान नहीं है। एक ट्रक की कीमत में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है, जबकि पुराने ट्रक अभी भी लोन में फंसे हुए हैं। ट्रांसपोर्टरों की मांग है कि उन्हें अस्थायी छूट या चरणबद्ध व्यवस्था दी जाए।

    बसों को राहत, यात्रियों ने ली सांस

    इस बीच, उत्तराखंड परिवहन निगम की बीएस-4 डीजल बसों पर भी रोक की आशंका थी, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 10 साल से कम पुरानी डीजल बसों के संचालन को राहत मिल गई है। इससे दिल्ली और उत्तराखंड के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों ने राहत की सांस ली, लेकिन माल ढुलाई से जुड़ा संकट अब भी जस का तस बना हुआ है।

    बीएस-6 ही चल पा रहे, विकल्प सीमित

    फिलहाल दिल्ली में केवल बीएस-6 और नए मानक के वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति है। इससे उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सामने विकल्प सीमित हो गए हैं। कई ट्रांसपोर्टर वैकल्पिक मार्गों की तलाश में हैं, लेकिन इससे दूरी और लागत दोनों बढ़ रही हैं।

    सरकार से समाधान की मांग

    ट्रांसपोर्टरों और उद्योग जगत ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों को संतुलित रखने के लिए व्यवहारिक समाधान निकाला जाए। उद्योगपति अनिल मारवाह ने वैकल्पिक ईंधन, चरणबद्ध प्रतिबंध और वित्तीय सहायता जैसे कदमों पर विचार की जरूरत बताई है।

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