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    'मौसम पर दिल्ली सरकार का कोई नियंत्रण नहीं', गृह मंत्री आशीष सूद ने बताया क्यों बढ़ रहा प्रदूषण

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 10:50 AM (IST)

    दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद ने विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि दिल्ली का प्रदूषण एक पुरानी समस्या है, जिसका मुख्य कारण पड़ोसी राज्यों से ...और पढ़ें

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    दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद की प्रेस कॉन्फ्रेंस।

    एएनआई, नई दिल्ली। दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष के आरोपों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि दिल्ली का प्रदूषण कोई मौसमी समस्या नहीं है और न ही यह पिछले 10 महीनों में शुरू हुई है। यह पुरानी समस्या है और इसका बड़ा हिस्सा आसपास के राज्यों से आता है। मौसम पर दिल्ली सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।

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    हाल के दिनों में कुछ बेरोजगार नेता सरकार पर हमला कर रहे हैं। ये लोग कभी ईवीएम, कभी कोयला, कभी बिजली और कभी न्यूक्लियर पावर के विशेषज्ञ बन जाते हैं। ये नेता आरोप लगा रहे हैं कि दिल्ली सरकार ने हरे-भरे इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) मीटर लगाए हैं ताकि प्रदूषण कम दिखे।

    उन्होंने बताया कि 2017-18 में 20 नए स्टेशन जोड़े गए थे, जिनमें जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, असोला वन्यजीव अभयारण्य, अलीपुर के ग्रामीण क्षेत्र, नेहरू नगर का कॉलेज कैंपस और नजफगढ़ जैसे हरे इलाके शामिल थे। इनमें से 30% स्टेशन हरी पट्टियों में लगाए गए थे।

    सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, इन एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों की जगहें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के नियमों पर खरी नहीं उतरतीं, जिससे डेटा में गलतियां हो सकती हैं और AQI के आंकड़े अविश्वसनीय हो जाते हैं। पुरानी सरकार ने हवा साफ करने की बजाय आंकड़े साफ करने की कोशिश की।

    सूद ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार को ऑड-ईवन योजना के लिए फटकार लगाई थी। एनजीटी ने कहा था, 'आपके पास 100 सुझाव थे, लेकिन आप हमेशा ऑड-ईवन ही चुनते हैं।' इसके बाद दिल्ली सरकार ने एक और 'क्रांतिकारी' कदम उठायारेड लाइट पर इंजन बंद करना।

    उन्होंने कहा कि आलोचकों का कहना है कि दिल्ली का प्रदूषण नियंत्रण हमेशा से उनके लिए एक पीआर करना रहा है, जिससे राजनीतिक जमीन मजबूत की जाती है। हवा को राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए, जिसे हमारे बच्चे सांस लेते हैं।

    उन्होंने कहा कि यदि सही नीयत होती तो दिल्ली सरकार सार्वजनिक परिवहन और कचरा प्रबंधन को ठीक करती। अगर ये 'वैज्ञानिक' मानते हैं कि प्रदूषण का कारण धूल है, तो दिल्ली में स्वीपिंग मशीनें लगानी चाहिए थीं। लास्ट-माइल कनेक्टिविटी पर कोई काम नहीं हुआ।

    मंत्री ने कहा कि इसके उलट, केंद्र सरकार के दिल्ली के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुधार के कामों जैसे आरआरटीएस और डीएमआरसी मेट्रो के फेज में बाधाएं खड़ी की गईं। सार्वजनिक परिवहन ठीक करने के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन विज्ञापनों के लिए पैसे थेयह आरोप मेरा नहीं, सुप्रीम कोर्ट का बयान है।