अब उत्तराखंड के पास हैं रोजगार के 30 हजार मौके, जानिए कैसे
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि निवेश के जो प्रस्ताव उत्तराखंंड ने आकर्षित किए हैं। उनमें से आधे पर ही अमल करने से अगले पांच सालों में रोजगार क ...और पढ़ें

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड दो लाख करोड़ रुपये के औद्योगिक पूंजी निवेश के प्रस्ताव आकर्षित करने में सफल रहा है। ये प्रस्ताव कार्यान्वित हो गए तो तकरीबन 30 हजार रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए राज्य सरकार को तुरंत एक विशेष निवेश निगरानी कार्यबल अथवा समिति गठित करनी चाहिए। वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों की एक समिति निवेश परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी के साथ ही पर्यावरण, भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित मुद्दों पर भी गौर करे, ताकि सभी संबद्ध पक्षों के हितों में संतुलन साधा जा सके।
द एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने राजपुर रोड स्थित एक होटल में राज्य के मौजूदा आर्थिक हालात और पूंजी निवेश की संभावनाओं को लेकर अपनी अध्ययन रिपोर्ट 'उत्तराखंड: आर्थिक वृद्धि और निवेश निष्पादन विश्लेषण' जारी की। इस मौके पर पत्रकारों से मुखातिब एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि राज्य में निवेश की इच्छा को अमलीजामा पहनाने की जरूरत है। निवेश के जितने प्रस्ताव राज्य ने आकर्षित किए हैं, उनमें से आधे पर ही अमल होने से ही राज्य में अगले पांच वर्षों में रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे।
नई एसएमई नीति बनाने की पैरवी
रावत ने कहा कि राज्य की नई सरकार ने पलायन की रोकथाम, रोजगार के नए अवसर पैदा करने, निवेश के लिए उपयुक्त वातावरण के सृजन को लेकर एसोचैम से सुझाव मांगे थे। एसोचैम ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट सरकार को भी सौंप दी है। रिपोर्ट में निवेश प्रस्तावों की बाधाओं में पर्यावरण, भूमि की कमी, अधिग्रहण के साथ ही लालफीताशाही का जिक्र है। ये बाधाएं दूर होने पर राज्य में भारी निवेश मुमकिन होगा। चूंकि राज्य में भूमि की कमी है और छोटी लैंड होल्डिंग में बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट कामयाब नहीं हो सकते हैं। राज्य की परिस्थितियों के मुताबिक छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीति बनानी होगी। उन्होंने मौजूदा नीति में बदलाव की जरूरत बताई। पलायन रोकने और निवेश आकर्षित करने को स्थानीय स्तर पर कौशल विकास पर जोर दिया गया है।
निवेश योजनाओं में न हो ढिलाई
एसोचैम के मुताबिक वर्ष 2012 से 2017 तक राज्य में जो भी निवेश आकर्षित किया गया, उसमें सालाना आधार पर 14.5 फीसद की वृद्धि हुई जो इस दौरान राष्ट्रीय औसत से तीन गुना के करीब है। इस दौरान राष्ट्रीय वार्षिक वृद्धि औसतन 4.8 फीसद रही। राज्य में 2016-17 तक आकर्षित हुए निवेश में गैर वित्तीय सेवाओं का हिस्सा आधे से ज्यादा रहा है। अकेले बिजली क्षेत्र का ही 46 फीसद से अधिक हिस्सा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 की स्थिति के मुताबिक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की 151 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन में कमी की दर वर्ष 2013-14 के बाद तेजी से घटी है और 2015-16 में यह घटकर 32 फीसद रह गई। यह सकारात्मक संकेत है, लेकिन 2016-17 में इसमें फिर ढीलापन दिखाई दिया। यह दर बढ़कर 58 फीसद से ज्यादा हो गई। संगठन की इसके पीछे चुनावी वर्ष होने का अंदेशा जाहिर किया है।
विशिष्ट पहाड़ी कृषि नीति बने
डीएस रावत ने कहा कि 2012 से 2017 तक पांच वर्ष की अवधि में राज्य की आर्थिक विकास दर 7.1 फीसद रही है, यह राष्ट्रीय दर 6.9 फीसद से आगे है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की 51 फीसद से अधिक कार्यबल की जीविका का आधार कृषि और संबंधित क्षेत्र है। उक्त पांच वर्ष की अवधि कृषि क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में योगदान 12.3 फीसद से घटकर 8.9 फीसद पर आ चुका है। राज्य में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर में पांच साल में बहुत ज्यादा फर्क नहीं आया और यह करीब दो फीसद के आसपास बनी रही है। एसोचैम ने सरकार को विशिष्ट पहाड़ी कृषि नीति तैयार करने का सुझाव दिया है। परंपरागत और स्थानीय पहाड़ी फसलों को बढ़ावा देने और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होना चाहिए। उन्होंने कांट्रेक्ट फार्मिंग पर जोर दिया।
सेवा क्षेत्र 36.5 फीसद पर पहुंचा
राज्य में औद्योगिक क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में योगदान में बड़ा बदलाव बीते पांच वर्षों में नहीं आया। औद्योगिक विकास दर 7.3 फीसद रही जो राष्ट्रीय दर 5.9 फीसद से अधिक रही है। एसोचैम दस्तावेज में राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मजबूत बनाने, क्षेत्र विशेष से जुड़ी सुविधाओं में भंडारगृहों, कोल्ड स्टोरेज और अन्य सुविधाओं के विकास करने से जल्दी खराब होने वाली कृषि उपज को बचाया जा सकेगा। पर्यटन की बेहतर संभावनाओं को देखते हुए इस पर खासा जोर देने की पैरवी की गई है। इसी वजह से राज्य में सेवा क्षेत्र का योगदान पांच वर्षों में सुधरा है। बीते पांच वर्ष में यह 33.9 फीसद से बढ़कर 36.5 फीसद पर पहुंच गया। पर्यटन के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में राज्य में अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियां पैदा करने की क्षमता का उल्लेख किया गया है।

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