एनएच-74 मुआवजा घोटाला: दो आइएएस अफसरों से सरकार ने मांगा स्पष्टीकरण
एनएच-74 मुआवजा घपले में सरकार ने दो आइएएस अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं, उन दोनों ने फिलहाल इस संबंध में शासन से कोई नोटिस मिलने की जानकारी से इन्कार किया है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: एनएच 74 मुआवजा घोटाले मामले की आंच अब दो पूर्व जिलाधिकारियों पर भी आ गई है। सरकार ने इनसे अपना पक्ष रखने को कहा है। ये दो आईएएस अफसर पंकज पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव हैं और शासन में तैनात है। हालांकि, इन दोनों अफसरों ने अभी तक सरकार द्वारा उनसे जवाब मांगे जाने से इन्कार किया है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय से मामले को हरी झंडी। अब संभावना है कि एसआईटी भी इन दोनों अफसरों से पूछताछ कर सकती है। वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, दोनों अधिकारियों को अपना पक्ष रखने को कहा है। मामले की निष्पक्ष जांच होगी।
ऊधमसिंह नगर जिले में रुद्रपुर से होकर गुजरने वाले नेशनल हाइवे 74 के चौड़ीकरण के दौरान भारी मुआवजा घोटाला सामने आया है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि मुआवजा देने के लिए भू-उपयोग बदला गया है। इस संबंध में आयुक्त स्तर पर की गई जांच बाद आठ पीसीएस को प्रथम दृष्ट्या आरोपी करार दिया गया है। इनमें से सात निलंबित चल रहे हैं जबकि एक सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
इसके बाद यह जांच एसआइटी को सौंपी गई थी। एसआइटी ने कुछ समय पूर्व शासन को भेजी अपनी जांच रिपोर्ट में पहली बार इस घोटाले में दो आइएएस अधिकारियों की संलिप्तता की बात भी कही है। आइएएस पंकज कुमार पांडेय और आइएएस चंद्रेश यादव जिलाधिकारी के रूप में ऊधमसिंह नगर जिले में इस अवधि में आर्बिटेटर की भूमिका में थे। मुआवजा देने में आर्बिटेटर की संस्तुति सबसे अहम होती है।
एसआइटी रिपोर्ट के बाद शासन ने दोनों के खिलाफ जांच के अनुमति के लिए डीओपीटी को पत्र लिखा है इसके साथ ही दोनों से स्पष्टीकरण भी तलब किया है। हालांकि, अभी दोनों अधिकारियों ने इस तरह का नोटिस मिलने से इन्कार किया है।
दोषी छोटा हो या बड़ा सजा को रहे तैयार: सीएम
एसआइटी जांच के बाद एनएच-74 मुआवजा घोटाला मामले में आए नए मोड़ ने सरकार को भी एक्शन मोड में ला दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को फिर दोहराया कि उक्त मामले में छोटा कर्मचारी हो या बड़ा ब्यूरोक्रेट, जो भी दोषी है, उसे सजा के लिए तैयार रहना होगा।
एनएच-74 मुआवजा घपले में एसआइटी जांच में पहली बार आला नौकरशाह पर भी अंगुली उठाई गई है। एसआइटी अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेज चुकी है। शासन स्तर पर इस रिपोर्ट का परीक्षण चल रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार आला नौकरशाह के खिलाफ कार्यवाही के संकेत दे चुकी है। सूत्रों के मुताबिक उक्त अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही को केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से भी मंजूरी ली गई है। एसआइटी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद शासन भी उक्त मामले में मंथन में जुटा हुआ है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह यह स्पष्ट कर चुके हैं कि एसआइटी जांच रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फिर दोहराया कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार का रुख साफ है। सचिवालय में मीडिया के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में छोटा हो या बड़ा, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसने भी गलत किया है, उसे सजा के लिए तैयार रहना चाहिए।
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