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मिशन 2022: विस चुनाव की तैयारी में जुटी उत्तराखंड सरकार, बनाया दो वर्ष का रोडमैप

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार मिशन 2022 फतह करने की तैयारियों में जुट गई है। मंत्रियों और विधायकों के साथ घंटों चले मंथन के बाद दो साल का रोडमैप बनाया गया।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 08:12 AM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 08:12 AM (IST)
मिशन 2022: विस चुनाव की तैयारी में जुटी उत्तराखंड सरकार, बनाया दो वर्ष का रोडमैप
मिशन 2022: विस चुनाव की तैयारी में जुटी उत्तराखंड सरकार, बनाया दो वर्ष का रोडमैप

देहरादून, विकास धूलिया। उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार मिशन 2022 फतह करने की तैयारियों में जुट गई है। मंत्रियों और विधायकों के साथ घंटों चले मंथन के बाद भाजपा सरकार और संगठन को भरोसा है कि इससे निकला अमृत अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी की नैया पार करने में अहम भूमिका निभाएगा। 

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इस दौरान न केवल मंत्रियों की तीन साल की परफार्मेंस का आकलन किया गया, बल्कि विधायकों से भी उनकी अपेक्षाएं जानी गईं। महत्वपूर्ण यह कि विधायक नौकरशाही के रवैये को लेकर अपनी नाराजगी जताने से नहीं चूके।

लगता है दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन भाजपा शासित राज्यों के लिए भी सबक साबित हुआ है। उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो इसकी दिल्ली के साथ दिलचस्प समानताएं हैं। दिल्ली की तरह उत्तराखंड में भी 70 विधानसभा सीटें हैं। पिछले विस चुनाव में दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटें जीती, तो उत्तराखंड में भाजपा ने 57 सीट।आम आदमी पार्टी ने पिछला प्रदर्शन दोहराते हुए इस बार 62 सीटों पर जीत हासिल की। 

अब उत्तराखंड में भाजपा के सामने भी इसी तर्ज पर वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने पिछले प्रदर्शन की पुनरावृत्ति की चुनौती है। गौरतलब है कि दिल्ली की तरह उत्तराखंड में भाजपा आमने-सामने के मुकाबले में है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और उत्तराखंड में कांग्रेस उसके सामने है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर सरकार के तीन साल के कार्यकाल में पहली बार मंत्री और विधायक मंथन में जुटे। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और वरिष्ठ नौकरशाह भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे। सभी मंत्रियों ने अपनी तीन साल की उपलब्धियां गिनाईं। उपलब्धियां, यानी तीन साल में उनके मंत्रालयों ने जनता से जुड़े विषयों पर क्या और कितना कार्य किया।

विधायकों की बारी आई तो उनका रोष नौकरशाही पर फूटा। इस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हस्तक्षेप किया और अफसरों को सख्त ताकीद की कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को पर्याप्त तवज्जो दी जाए। 'मंथन' नाम से आयोजित यह कार्यक्रम निर्धारित समय से लगभग तीन घंटा ज्यादा चला।

इसकी वजह यह रही कि मंत्रियों ने इस दौरान विधानसभा चुनाव की तैयारियों के क्रम में अपने मंत्रालयों का अगले दो साल का रोड मैप भी पेश किया। फिर विधायकों ने बताया कि उन्हें सरकार से किस तरह की अपेक्षाएं हैं। विधायकों ने खुलकर विकास योजनाओं को लेकर अपने सुझाव भी दिए।

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तैयार की गई भविष्य की गाइडलाइन 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक बंशीधर भगत के मुताबिक, मंथन कार्यक्रम के दौरान मंत्रियों ने अपने तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियां प्रस्तुत की और अगले दो साल के लिए रूपरेखा बताई। विधायकों ने सरकार के समक्ष अपनी समस्याएं और सुझाव रखे। इस कार्यक्रम के माध्यम से भविष्य के लिए एक गाइड लाइन तैयार हुई है। मैं सरकार से चाहूंगा कि इस तरह का मंथन हर छह माह में किया जाए ताकि विकास कार्यों में तेजी आए।

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