उत्तराखंड सरकार ने माना, यूपी विधायक अमनमणि को अनुमति देने में हुई चूक; जानिए पूरा मामला
सोमवार को सरकार ने स्वीकार किया कि विधायक अमनमणि को अनुमति देने में अफसरों से चूक हुई है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। रसूखदार जो कर दें, वह सब जायज है। उत्तर प्रदेश के विधायक अमनमणि त्रिपाठी के मामले में तो यही तस्वीर उभरकर सामने आई है। तीन जगह अफसरों से भिड़ने के बाद भी वह अपने लाव लश्कर के साथ मेहमान की तरह यहां आए और मेहमान की तरह ही विदा हुए। उनके प्रति सिस्टम की दरियादिली एक नहीं अनेक सवाल खड़े कर रही है। ये बात अलग है कि विधायक के खिलाफ लॉकडाउन के उल्लंघन का मामला दर्ज कर तुरंत जमानत भी दे दी गई। ये सवाल भी उठ रहा कि आखिर किसकी शह पर उप्र के इस विधायक को बदरीनाथ और केदारनाथ जाने की अनुमति दी गई, वह भी तब जबकि बदरीनाथ के कपाट अभी खुले ही नहीं हैं और केदारनाथ समेत अन्य तीन धाम की यात्रा की किसी को इजाजत नहीं है। उधर, सोमवार को सरकार ने स्वीकार किया कि विधायक अमनमणि को अनुमति देने में अफसरों से चूक हुई है। शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि यह चूक किस स्तर पर और कैसे हुई, इसकी जांच कराई जा रही है।
लॉकडाउन को दरकिनार कर विधायक अमनमणि साथियों के साथ लखनऊ से बेधड़क उत्तराखंड आते हैं और सिस्टम यहां उनके लिए रेड कार्पेट बिछा देता है। सरकारी मेहमाननवाजी में वह अपने काफिले के साथ चमोली जिले में पहुंच जाते हैं। यदि रविवार को चमोली जिले के कर्णप्रयाग में अधिकारियों से बदसलूकी नहीं होती तो वे आगे भी निकल जाते। कर्णप्रयाग से वापस लौटाए जाने के बाद मुनिकी रेती में जब पुलिस ने उनके काफिले को रोका तो तब भी वह हनक दिखाने से नहीं चूके।
कर्णप्रयाग से वापस लौटाए जाने से पहले विधायक अमनमणि की ओर से राज्य के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के पत्र साथ ही देहरादून जिला प्रशासन द्वारा जारी अनुमति पत्र दिखाए गए। ये बात अलग है कि अपर मुख्य सचिव के पत्र और जिला प्रशासन के अनुमति पत्र में लोगों की संख्या अलग-अलग दर्ज है। विधायक को यह अनुमति भी उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य के निमित्त बदरीनाथ और केदारनाथ जाने को दी गई।
शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि यह निश्चित रूप से चूक है और इसे हम दिखवा रहे हैं। जब भी जिस स्तर पर यह संज्ञान में आया, विधायक अमनमणि को रोक दिया गया। मुकदमा दर्ज हुआ और विधायक व उनके साथ आए लोगों ने जमानत भी कराई। जहां अभी कपाट नहीं खुले हैं और केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार दर्शन करने को किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है, वहां ऐसा मामला सामने आना अफसरों की चूक है। इसका परीक्षण कराया जा रहा है कि कहां और किस स्तर पर चूक हुई। सभी तथ्य सामने आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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एसीएस ने सरकार के समक्ष रखा पक्ष
विधायक अमनमणि को बदरीनाथ, केदारनाथ तक आने-जाने की अनुमति दिए जाने के मामले में भले ही अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश और आला अधिकारी चुप्पी साधे हों, लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने सोमवार को सरकार के समक्ष मौखिक रूप से अपना पक्ष रखा। सूत्रों के अनुसार एसीएस ने बताया कि सरकारी कार्य के दौरान कई पत्र आते हैं। इसी क्रम में उनकी ओर से देहरादून जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया। ऐसे में जिला प्रशासन को पड़ताल करनी चाहिए थी कि नियमानुसार अनुमति दी जानी है अथवा नहीं। उधर, देहरादून के जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि जिला प्रशासन शासन के अधीन होता है। शासन से जो भी दिशा निर्देश मिलते हैं, उसी के अनुरूप कदम उठाए जाते हैं।
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