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    Uttarakhand Election 2022: जानिए देहरादून की रायपुर सीट के बारे में, क्‍यों है यह खास

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 10 Jan 2022 01:08 PM (IST)

    Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 देहरादून जिले की रायपुर सीट वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से अस्तित्व में आई। इससे पहले यह सीट डोईवाला विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा रही है। इस विधानसभा में कुल 47 क्षेत्र शामिल हैं।

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    देहरादून जिले की रायपुर सीट वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से अस्तित्व में आई।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। देहरादून जिले की रायपुर सीट वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से अस्तित्व में आई। इससे पहले यह सीट डोईवाला विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा रही है। इस विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख इलाकों में नेहरू कालोनी, धर्मपुर, रायपुर, लाडपुर, सहस्रधारा रोड, एमडीडीए कालोनी (डालनवाला व केदारपुरम), अधोईवाला, डिफेंस कालोनी, अजबपुर कलां, अजबपुर खुर्द जैसे कुल 47 क्षेत्र शामिल हैं। यह 19 नंबर की सीट है।

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    इसलिए खास है सीट

    यह शहर से लगी हुई सीट है। साथ ही द्वारा और मालदेवता जैसे पर्वतीय व अर्द्धशहरी क्षेत्र भी इस सीट में समाहित हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में बड़ी आबादी मलिन बस्तियों में भी निवास करती है। लिहाजा, इसे मिश्रित प्रकृति की सीट कहा जा सकता है। भाजपा और कांग्रेस के लिए यह सीट हमेशा प्रतिष्ठा का विषय रही है। दोनों दलों के नेताओं में यहां से दावेदारी को लेकर घमासान की स्थिति रहती है।

    राजनीतिक इतिहास

    विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद पहली दफा यहां वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव कराए गए थे। तब कांग्रेस के टिकट पर उमेश शर्मा काऊ ने जीत हासिल की थी। भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत दूसरे स्थान पर रहे थे। त्रिवेंद्र को उमेश से 474 वोट कम मिले थे। इसके बाद वर्ष 2017 के चुनाव में उमेश शर्मा काऊ इस सीट पर भाजपा के टिकट से लड़े और लगातार दूसरी जीत दर्ज की।

    सामाजिक समीकरण

    रायपुर विधानसभा क्षेत्र में 70 फीसद से अधिक मतदाता पर्वतीय मूल के हैं। इसके अलावा करीब 10 फीसद मुस्लिम, पांच फीसद पंजाबी और पांच फीसद ही अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। इस सीट पर पर्वतीय मूल के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इस दफा यहां 1,76,460 मतदाता तय करेंगे कि किस राजनीतिक दल के प्रत्याशी को जनता का प्रतिनिधि बनाना है।

    मत व्यवहार

    इस सीट पर मतदाताओं ने पार्टी से अधिक चेहरे की लोकप्रियता को तवज्जो दी है। सीट गठन के बाद के दोनों चुनाव में उमेश शर्मा काऊ जीते। पहली बार उन्होंने कांग्रेस तो दूसरी बार भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की।

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