Uttarakhand Election: कांग्रेस ने भाजपा को फिर लिया आड़े हाथ, कहा- घोषणापत्र जारी न कर मानी हार
Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 घोषणा पत्र जारी नहीं करने को लेकर कांग्रेस भाजपा पर हमलावर हुई है। गौरव वल्लभ एवं रागिनी नायक ने कहा कि भाजपा ने चुनाव से पहले ही अपनी हार मान ली है। तभी अब तक घोषणापत्र नहीं ला सकी है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो गौरव वल्लभ एवं रागिनी नायक ने कहा कि भाजपा ने चुनाव से पहले ही हार स्वीकार कर ली है। सत्तारूढ़ पार्टी अभी तक अपना घोषणापत्र नहीं ला सकी है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में दोनों राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने भाजपा सरकार पर तीखे हमले बोले। उन्होंने कहा कि चुनाव में मात्र पांच दिन रह गए हैं। भाजपा के अब तक घोषणापत्र जारी नहीं करने से यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी के पास उत्तराखंडवासियों के सामने कहने के लिए कुछ नया नहीं है। 2017 में भाजपा ने चुनाव से पहले जो घोषणापत्र जारी किया था, उसमें से एक भी काम पूरा नहीं किया। लिहाजा जो अपना घोषणापत्र नहीं लिख सकते, उन्हें चुनाव से पहले ही त्यागपत्र देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मनरेगा के 8.39 लाख सक्रिय कार्डधारक हैं। 2020-21 में मनरेगा का बजट 299 करोड़ था, जो 2021-22 में घटकर 200 करोड़ हो गया है। केंद्र सरकार ने भी मनरेगा का बजट 98 हजार करोड़ से एक चौथाई कम कर 73 हजार करोड़ कर दिया है। इससे उत्तराखंड में भी मनरेगा से मिलने वाले रोजगार में बड़ी कटौती होगी। राज्य में 100 दिन के रोजगार गारंटी वाली इस योजना में 2019-20 में प्रति परिवार औसत रोजगार 40.9 दिन था। यह 2021-22 में घटकर 38.13 दिन रह गया है। बजट कम होने से इसमें और कमी आएगी। पहाड़ी जिलों पर इसका विपरीत असर पड़ेगा।
इस मौके पर पार्टी की ओर से युवा बेरोजगारी पर श्वेत पत्र जारी किया गया। इसमें देश में रोजगार की कमी का हवाला देते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर प्रहार किए गए। उन्होंने कहा कि देश में दिसंबर, 2021 से एक जनवरी, 2022 को बेरोजगारी दर बढ़कर 7.9 प्रतिशत हो गई है। शहरों में बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर गई है। उन्होंने दावा किया कि लाकडाउन व नोटबंदी में 14 करोड़ व्यक्तियों ने नौकरी गंवाई। भाजपा शासित राज्यों के हालत बदतर हुए। उत्तराखंड में एक तिहाई से आधे युवा रोजगार की तलाश में दर-दर ठोकरें खा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो गई है। विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों में अनाप-शनाप तरीके से फीस बढ़ाई जा रही है। केंद्र सरकार एजुकेशन सेस एकत्र कर रही है, लेकिन शिक्षण संस्थाओं में बड़ी संख्या में पद खाली हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार के कार्यकाल में महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं।
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