उत्तराखंड में विद्युत टावर भूमि का मुआवजा हुआ दोगुना, कैबिनेट ने दी मंजूरी
उत्तराखंड सरकार ने विद्युत पारेषण लाइन की ज़मीन पर मुआवजे की राशि दोगुनी करने का निर्णय लिया है। कैबिनेट ने पिटकुल की ओर से निर्मित 66 केवी एवं उससे अ ...और पढ़ें

पिटकुल की ओर से निर्मित 66 केवी एवं उससे अधिक क्षमता वाले टावर पर होगा लागू। सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने विद्युत पारेषण लाइन की ज़मीन पर मुआवजे की राशि दोगुनी करने का निर्णय लिया है। कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी है। अब पिटकुल की ओर से निर्मित 66 केवी एवं उससे अधिक क्षमता वाली अंतरराज्यीय पारेषण लाइनों के टावरों के चारों कोनों के नीचे और उनके एक मीटर की परिधि के अंतर्गत आने वाली भूमि के लिए मुआवजा सर्किल रेट का दो गुना होगा।
इसके अतिरिक्त, टावर के नीचे स्थित खेतों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 30 प्रतिशत, अर्द्ध नगरीय क्षेत्रों में 45 प्रतिशत और नगरीय क्षेत्रों में 60 प्रतिशत दर से मुआवजा दिया जाएगा। पहले मुआवजा की दरें सभी क्षेत्रों में 15 प्रतिशत थी। अगर सर्किल रेट और मार्केट रेट में अधिक अंतर होगा, तो जिलाधिकारी या उनके द्वारा नियुक्त अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति मुआवजे की दर तय करेगी। इस समिति में भूमि मालिकों का प्रतिनिधि भी शामिल होगा।
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यह निर्णय पारेषण लाइनों के निर्माण में मार्गाधिकार संबंधी विवादों के समाधान और परियोजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए लिया गया है। इसके तहत भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय, के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा। भूमि मालिकों को न्यायसंगत मुआवजा सुनिश्चित करने से संबंधित समस्याओं को समाप्त करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। इसके साथ ही पारेषण परियोजनाओं की गति में तेजी आने की संभावना है।

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