उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत पांच जनवरी को दिल्ली में देंगे धरना
सीएम हरीश रावत ने कहा कि नोटबंदी व आटाबंदी के बाद अब केंद्र सरकार प्रदेश के विकासबंदी कार्यों पर उतर आई है। इसलिए वह वह पांच जनवरी को नई दिल्ली में एक दिवसीय उपवास करेंगे।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भागीरथी मास्टर प्लान पर केंद्र के राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में लिए गए स्टैंड को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी व आटाबंदी के बाद अब केंद्र सरकार प्रदेश के विकासबंदी कार्यों पर उतर आई है। यदि केंद्र की ओर से जारी नोटिफिकेशन जस का तस लागू होता है तो प्रदेश की प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाएं इसके दायरे में आ जाएंगी। इससे सीधे प्रदेश का हित प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय के विरोध और प्रदेश सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को लागू करने की मांग को लेकर वह पांच जनवरी को नई दिल्ली में जंतर मंतर अथवा पर्यावरण मंत्रालय के बाहर एक दिवसीय उपवास करेंगे।
कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश को नोटबंदी से खासा नुकसान हुआ है। अभी इसकी मार से प्रदेश उबर भी नहीं पाया था कि केंद्र ने गेहूं की सप्लाई बंद कर आटाबंदी कर दी। इससे निपटने के लिए प्रदेश को 250-300 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाने पड़े। एचएमटी कंपनी को बंद करने के बाद अब आइडीपीएल को भी बंद करने की तैयारी है। आइडीपीएल के रिवाइवल के लिए प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र को भेजा गया प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया है।
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पहले 14 वें वित्त आयोग में उत्तराखंड का पैसा काटा गया और अब लगातार उत्तराखंड विरोधी कदम उठाए जा रहे हैं। भाजपा के पांचों सांसद मात्र दरबारी बनकर मूकदर्शक की भूमिका में हैं। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए वे पांच जनवरी को दिल्ली में एक दिवसीय उपवास करेंगे। उन्होंने इस मसले को राजनीति से जोडऩे के सवाल को नकारते हुए कहा कि अब सब्र का बांध टूट रहा है। समय बहुत कम बचा है, जो काम होने हैं, तेजी से होने हैं। इस कारण अब यह कदम उठाया जा रहा है।
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केंद्र भी अपना रहा प्रदेश की योजनाएं
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नव वर्ष के मौके पर अपनी सरकार की पीठ थपथपाई। उन्होंने कहा कि एक साल में प्रदेश सरकार ने एक हजार छोटे-बड़े कार्य शुरू किए हैं। अब राष्ट्रीय स्तर पर भी इन्हें पहचान मिल रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने नव वर्ष की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में सामाजिक सुरक्षा की उन योजनाओं का जिक्र किया है जो प्रदेश में काफी पहले लागू हो चुकी हैं। महिला सशक्तिकरण पर प्रदेश में काफी बल दिया जा रहा हे। उत्तराखंड उन तीन राज्यों में शामिल हैं जहां बेरोजगारी वृद्धि की दर में कमी नजर आई है। प्रदेश के आठ जिले खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। देश में जहां राज्यों में आर्थिक तंगी चल रही है, वहीं उत्तराखंड में हालात अभी स्थिर हैं। अनुमान है कि 2017 में सातवां वेतनमान लागू करने के बाद भी विकास कार्यों के लिए 52 फीसद धनराशि निकाल पाएंगे।
जननी-शिशु मृत्यु दर चिंताजनक
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सरकार के सामने एक प्रमुख चुनौती जननी-शिशु मृत्यु दर रही है। इसमें सरकार अपेक्षाकृत परिणाम नहीं दे पाई। हालांकि, सरकार इसके लिए पुख्ता कदम उठा रही है।
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समाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने का संकल्प
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सरकार का संकल्प प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा के दायरे को और अधिक बढ़ाना है। सरकार का लक्ष्य पेंशन की राशि को तीन गुना करना है। 2020 तक शायद ही कोई घर गरीबी की रेखा से नीचे रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य हर घर से कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार से जोडऩा है। इसके लिए बेरोजगारों के लिए नई योजना भी शुरू की गई है। सरकार जल्द ही 14 हजार पदों पर भर्ती के लिए अधियाचन जारी कर रही है। ऐसे में तीस हजार लोगों को रोजगार देने के अपने वादे को भी पूरा कर रही है।
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