उत्तराखंड महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष नियुक्त, जानिए किसे मिली जिम्मेदारी
उत्तराखंड बाल संरक्षण अधिकार आयोग का गठन कर दिया गया है। आयोग के अध्यक्ष पद पर देहरादून निवासी चिकित्सक डा. गीता खन्ना को नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही आयोग में छह सदस्य भी बनाए गए हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले धामी सरकार ने उत्तराखंड राज्य महिला आयोग और उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग में नियुक्तियां कर दीं। महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर भाजपा नेता कुसुम कंडवाल को नियुक्ति दी गई है, जबकि देहरादून निवासी चिकित्सक डा गीता खन्ना को बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। इस संबंध में शासन ने आदेश भी जारी कर दिए हैं।
महिला आयोग की अध्यक्ष विजय बड़थ्वाल का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस पद को भरने के लिए पिछले कुछ दिनों से सरकार के स्तर पर कसरत चल रही थी। इस सिलसिले में प्रदेश भाजपा से भी नाम मांगे गए थे। आखिरकार बीते रोज सरकार ने आयोग के अध्यक्ष पद के लिए महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष कुसुम कंडवाल के नाम पर मुहर लगाई।
इसके अलावा उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग का भी सरकार ने गठन किया है। आयोग के अध्यक्ष पद पर डा गीता खन्ना के साथ ही छह सदस्यों की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए हैं। सदस्यों में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य के नजदीकी दीपक गुलाटी (रुद्रपुर-ऊधमसिंह नगर) भी हैं। अन्य सदस्यों में रेखा रौतेला (अल्मोड़ा), सुमन राय (सितारगंज-ऊधमसिंह नगर), विनोद कपरवाण (गोपेश्वर-चमोली), धरम सिंह (भोगपुर-हरिद्वार) व अजय वर्मा (सेलाखोला-अल्मोड़ा) शामिल हैं।
पुलिस आरक्षी को सरकार ने दिए एकमुश्त दो लाख रुपये
सरकार ने पुलिस आरक्षी को बड़ा तोहफा दिया है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले 2001 बैच के प्रत्येक आरक्षी को एकमुश्त दो लाख रुपये दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करते हुए शासन ने आदेश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री ने पुलिस कार्मिकों को वित्तीय प्रोत्साहन देने की घोषणा की थी। हालांकि पुलिस कार्मिकों को 4600 ग्रेड पे देने का मामला अभी वेतन समिति के स्तर पर विचाराधीन है। इस बीच सरकार ने पुलिस के पहले बैच 2001 के प्रत्येक आरक्षी को एकमुश्त दो लाख रुपये की धनराशि देने के आदेश जारी किए हैं। अपर मुख्य सचिव गृह आनंद बर्द्धन ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। शासन के इस फैसले से करीब डेढ़ हजार पुलिस कार्मिकों को लाभ मिलेगा। यह लाभ उन्हीं आरक्षियों को मिलेगा, जिनको पदोन्नति नहीं मिली है।
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