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    उत्तराखंड: 15 घंटे 42 मिनट चले आखिरी सत्र में सत्ता पक्ष ने भुनाया मौका, नहीं छोड़ी कोई कसर; नौ विधेयक हुए पारित

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sun, 12 Dec 2021 07:54 AM (IST)

    Uttarakhand Assembly Session 2021 राज्य की चौथी विधानसभा के तीन दिवसीय अंतिम सत्र पर दो दिन तक चुनाव की छाया साफ दृष्टिगोचर भी हुई। सत्र को चुनावी दृष्टि से भुनाने में सत्ता पक्ष ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

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    उत्तराखंड: 15 घंटे 42 मिनट चले आखिरी सत्र में सत्ता पक्ष ने भुनाया मौका।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Session 2021 चुनावी बेला में हुए राज्य की चौथी विधानसभा के तीन दिवसीय अंतिम सत्र पर दो दिन तक चुनाव की छाया साफ दृष्टिगोचर हुई। सत्र को चुनावी दृष्टि से भुनाने में सत्ता पक्ष ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उसने देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम निरसन विधेयक को जनभावनाओं का सम्मान करार दिया। साथ ही नौ अन्य विधेयक पारित कराए और सरकार की तमाम उपलब्धियों का बखान कर विपक्ष पर हावी होने का प्रयास भी किया।

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    सत्र का पहला दिन सीडीएस जनरल बिपिन रावत को समर्पित रहा और सदन ने उत्तराखंड के इस लाल को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद शुक्रवार और शनिवार को सत्र में आगामी चुनाव की छाया साफ झलकी। सत्ता पक्ष के दृष्टिकोण से देखें तो उसने सत्र का भरपूर फायदा उठाया। दोनों ही दिन में सदन के भीतर और बाहर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार व उसके विधायक विभिन्न विषयों पर सरकार का बखान करते नजर आए। सदन में जब भी विपक्ष ने हावी होने का प्रयास किया, तब सत्तापक्ष के विधायकों ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया।

    प्रदेशभर में पिछले दो साल से चर्चा के केंद्र में रहे देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और इसके तहत गठित देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड से संबंधित विषय का पटाक्षेप भी सरकार ने इस सत्र में किया। यह अधिनियम निरस्त कर पूर्व व्यवस्था की बहाली से संबंधित विधेयक पारित कराकर सत्तापक्ष की ओर से यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि उसके लिए जनभावनाएं सर्वोपरि हैं। इसी तरह का संदेश सरकार ने उत्तराखंड कृषि उपज और पशुधन विपणन (प्रोत्साहन एवं सुविधा) अधिनियम-2020 को निरसित कर उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियिमन अधिनियम, 2011) को पुनर्जीवित करने का विधेयक पारित कराकर दिया। इससे मंडियों में पुरानी व्यवस्था बहाल हो जाएगी।

    पंचायती राज एक्ट में संशोधन समेत अन्य विधेयक भी सरकार ने पारित कराए। साथ ही यह जताने का प्रयास किया कि जनता का हित भाजपा सरकार के लिए सर्वोपरि है। यही नहीं, सत्ता पक्ष ने अपनी पांच साल की उपलब्धियों को उकेरने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी। फिर चाहे वह प्रश्नकाल के दौरान उठे प्रश्न रहे हों अथवा शून्यकाल में कार्यस्थगन से संबंधित विषय, सभी में मंत्रियों ने सरकार की उपलब्धियों का बखूबी उल्लेख किया।

    सत्र में ये विधेयक हुए पारित

    -उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक

    -उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन (निरसन) विधेयक

    -उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियमन) पुनर्जीवित विधेयक

    -उत्तराखंड (उप्र) लोक सेवा (अधिकरण) (संशोधन) विधेयक

    -उत्तराखंड सिविल विधि (संशोधन)

    -उत्तराखंड विनियोग (2021-22 का द्वितीय अनुपूरक) विधेयक

    -उत्तराखंड पंचायतीराज (द्वितीय संशोधन) विधेयक

    -आम्रपाली विश्वविद्यालय विधेयक

    -सोसायटी रजिस्ट्रीकरण (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक

    -उत्तराखंड किरायेदारी विधेयक

    15 घंटे 42 मिनट चला शीतकालीन सत्र

    उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है। तीन दिवसीय यह सत्र कुल 15 घंटे 42 मिनट तक चला। विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने पक्ष एवं विपक्ष के सभी सदस्यों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान विधानसभा को 250 प्रश्न प्राप्त हुए थे। इनमें 14 अल्पसूचित प्रश्न, 64 तारांकित प्रश्न और 143 आतारांकित प्रश्न स्वीकार किए गए।

    कुल 24 प्रश्न अस्वीकार एवं पांच विचाराधीन रखे गए। विधानसभा को पांच याचिकाएं प्राप्त हुई थीं, जो सभी स्वीकार की गई। नियम 300 में प्राप्त 43 सूचनाओं में से 21 सूचनाएं स्वीकृत और 22 ध्यानाकर्षण के लिए रखी गई। नियम 32 की सूचनाओं में दो स्वीकृत एवं 13 ध्यानाकर्षण के लिए रखी गई। नियम 58 में प्राप्त 11 सूचनाओं में से 10 को चर्चा के लिए स्वीकार किया गया। नियम 299 और 112 में एक-एक सूचना स्वीकार की गई।

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