Uttarakhand: धोखे या जबरन मतांतरण में अब बिना वारंट के गिरफ्तारी, 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक
उत्तराखंड में धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन किया गया है जिसके तहत जबरन मतांतरण को गैर जमानती अपराध घोषित किया गया है। अब पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। सामान्य मामलों में सजा को बढ़ाकर तीन से दस साल और जुर्माने को दोगुना कर दिया गया है। विदेश से चंदा लेने पर भी कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। पीड़ितों को संरक्षण और सहायता प्रदान की जाएगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में धोखे से या जबरन मतांतरण कराने को गैर जमानती अपराध व संज्ञेय घोषित किया गया है। ऐसे मामलों में पुलिस बिना वारंट के आरोपित की गिरफ्तारी कर सकती है।
यही नहीं, आरोपित को जमानत तभी मिलेगी, जब सत्र न्यायालय को विश्वास हो कि आरोपी दोषी नहीं है या फिर दोबारा ऐसा अपराध नहीं करेगा। उत्तराखंंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम संशोधन विधेयक में यह प्रविधान किया गया है।
कड़ी सजा और जुर्माने का प्रविधान
मतांतरण के सामान्य मामलों में पूर्व में दो से सात साल तक की सजा और 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान था। अब जुर्माना राशि दोगुना करने के साथ ही सजा की अवधि तीन से 10 साल की गई है। अनुसूचित जाति, जनजाति व दिव्यांग जनों के मामलों में पूर्व में दो से 10 वर्ष की सजा और 25 हजार के जुर्माने का प्रविधान था।
अब सजा की अवधि पांच से 14 साल और जुर्माना राशि एक लाख रुपये की गई है। सामूहिक मतांतरण के मामलों में पहले तीन से 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान रखा गया था। अब सजा की अवधि बढ़ाकर सात से 14 साल और जुर्माना राशि एक लाख रुपये की गई है।
विदेश या अविधिक संस्थाओं से चंदा लेने पर भी कड़ी कार्रवाई
विधेयक में यह प्रविधान जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति जबरन मतांतरण के सिलसिले में विदेश या अविधिक संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा तो उस पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। इसके लिए सात से 14 साल की सजा का प्रविधान किया गया है, जबकि 10 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक
यदि कोई व्यक्ति मतांतरण के आशय से किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी, हमला या तस्करी के जरिए मतांतरण कराता है अथवा विवाह का वचन देता है या इसके लिए उत्प्रेरित करता है या षड्यंत्र करता है या प्रलोभन देकर नाबालिग महिला व पुरुष की तस्करी करता है तो ऐसे मामलों में भी कानून को कठोर किया गया है। इसके तहत 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रविधान किया गया है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा।
इंटरनेट नेटवर्किंग साइट से नहीं होगी ब्लैकमेल
मतांतरण के लिए इंटरनेट नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करने वालों पर भी शिकंजा कसा गया है। इस तरह की गतिविधियों में लिप्त तत्वों पर इस अधिनियम के साथ ही आइटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई होगी। अधिनियम में इसके लिए दो से सात साल तक की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान है।
संपत्ति कुर्क करने को डीएम अधिकृत
मतांतरण के मामलों में गैंगस्टर एक्ट की तरह आरोपित की संपत्ति कुर्क करने का प्रविधान भी किया गया है। इसके लिए डीएम को अधिकृत किया गया है। यदि धर्म परिवर्तन से जुड़े किसी अपराध से कोई संपत्ति अर्जित की गई है तो उसे कुर्क किया जा सकता है। यदि कोई दावा करता है कि संपत्ति वैध है तो उसे इसका सबूत देना होगा।
कोई भी दर्ज करा सकता है प्राथमिकी
मतांतरण के मामले में अब कोई भी व्यक्ति पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। पहले पीडि़त के रक्त संबंधी रिश्तेदार द्वारा ही प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रविधान था।
आपरेशन कालनेमि की भी छाप
राज्य में चल रहे आपरेशन कालनेमि की छाप भी अब मतांतरण अधिनियम में दिखेगी। इस कड़ी में प्रविधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर या धोखे की मंशा से किसी अन्य व्यक्ति के धार्मिक वेशभूषा, सामाजिक पद प्रतिष्ठा का वेश धारण करने के साथ ही जाति, धर्म, मूल, लिंग, जन्म व निवास स्थान का प्रतिरूपण अथवा किसी धार्मिक संस्था या संगठन का छद्म रूप धारण कर जनता को भ्रमित व सार्वजनिक भावनाओं को आहत करता है तो उसके विरुद्ध भी धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।
पीड़ितों को संरक्षण और सहायता
मतांतरण के मामलों में पीड़ितों को कानूनी सहायता, रहने की जगह, भरण-पोषण, चिकित्सा व आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। सरकार इसके लिए विशेष योजना लाएगी। यही नहीं पीड़ितों के पुनर्वास और उन्हें न्याय दिलाने के लिए सरकार कदम उठाएगी। समय-समय पर इस कानून के क्रियान्वयन का सर्वे भी किया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।