उत्तराखंड: ड्रेस का कपड़ा कम मिलने से भड़कीं आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, गुणवत्ता पर भी उठाए सवाल
उत्तराखंड की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं ने महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग पर अधिकांश कार्यकर्त्ताओं को ड्रेस का कपड़ा कम देने का आरोप लगाया साथ ही कपड़े की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े किए हैं। इसको लेकर 45 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता विरोध में उतर गए हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं ने महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग पर अधिकांश कार्यकर्त्ताओं को ड्रेस का कपड़ा कम देने का आरोप लगाया साथ ही कपड़े की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े किए हैं। इसको लेकर 45 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता विरोध में उतर गए हैं। उन्होंने विभागीय मंत्री रेखा आर्य से मामले की जांच की मांग की है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के तहत राज्य में 2068 बड़े जबकि 5440 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इनमें करीब 45 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और सहायिका कार्यरत हैं। विभाग की ओर से हर वर्ष आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं को साड़ी और सूट के लिए पांच मीटर ड्रेस का कपड़ा उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि, बीते वर्ष ड्रेस के लिए विभाग ने 800 रुपये का भत्ता दिया था। अब इस वर्ष मई माह में विभाग ने टेंडर जारी किया और सुपरवाइजर के माध्यम से कार्यकर्त्ताओं को साड़ी और सूट की ड्रेस का कपड़ा उपलब्ध करवाया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं का आरोप है कि विभाग ने जो ड्रेस का कपड़ा उपलब्ध करवाया है वह साढ़े चार मीटर है। वहीं, बीते वर्षों के मुकाबले इस वर्ष कपड़े की गुणवत्ता खराब है।
वर्ष 2019 में भी मंत्री से की थी शिकायत
वर्ष 2019 में उत्तरांचल आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने विभागीय मंत्री रेखा आर्य को पांच मीटर की जगह दो से ढाई मीटर कपड़ा और साड़ी देने की शिकायत की थी। उन्होंने मंत्री को विभाग की ओर से दिए गए सूट के कपड़े का सैंपल भी दिया था। मंत्री ने तब मुख्य सचिव को मामले की जांच के निर्देश दिए थे।
इनका कहना है
आंगनबाड़ी कार्यकर्ती, सेविका, मिनी कर्मचारी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी का कहना है कि विभाग ने ड्रेस के नाम पर कार्यकर्ताओं का मजाक बना दिया है। इस वर्ष ड्रेस का जो कपड़ा दिया गया है वो पर्याप्त नहीं है। कुर्ता-सलवार बनाने के लिए पांच मीटर कपड़े की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें चार मीटर कपड़ा ही दिया गया है। इसमें तो कुर्ता भी नहीं बन पा रहा है। इसी तरह साड़ी वाले कपड़े से ब्लाउज काटने पर साड़ी भी छोटी पड़ रही है। साड़ी के कपड़े की गुणवत्ता भी खराब है। अधिकारियों को इस पर जल्द संज्ञान लेना चाहिए।
उत्तरांचल आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रांतीय महामंत्री सुशीला खत्री ने कहा, जिस दिन से ड्रेस मिली है, तब से विभिन्न जिलों में संगठन से जुड़ी कार्यकर्त्ता फोन पर शिकायत कर रही हैं। हम सरकार व विभाग के ड्रेस कोड का स्वागत करते हैं, लेकिन कम से कम कपड़ा तो पूरा दिया होता है। ऊपर से कपड़े की गुणवत्ता भी खराब है। विभाग से हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी। राज्यभर में इसको लेकर कार्यकर्त्ताओं में भारी रोष है। इसको जल्द ही विभागीय मंत्री से मुलाकात कर शिकायत की जाएगी। मामले की जांच होनी जरूरी है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक एसके सिंह ने बताया कि बीते वर्ष ड्रेस का पैसा आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं के खाते में डाला गया था, लेकिन संज्ञान में आया कि उन्होंने ड्रेस नहीं खरीदी। इसलिए इस बार विभाग ने ड्रेस के लिए टेंडर जारी किया था। बाल विकास परियोजना अधिकारी ने सभी सेंटर में इसकी जांच की और इसके बाद उन्हें ड्रेस उपलब्ध करवाई गई थी। इसके बाद भी कार्यकर्त्ताओं की शिकायत मिल रही हैं, उस पर संज्ञान लिया जा रहा है। मामले को दिखवाया जा रहा है।
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