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यहां शहरी बच्चे और ग्रामीण महिलाएं हैं अधिक एनिमिक, जानिए

शहरी क्षेत्रों के बच्चे और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं एनिमिया (खून की कमी) की समस्या से सबसे अधिक जूझ रही हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 01:46 PM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 08:06 AM (IST)
यहां शहरी बच्चे और ग्रामीण महिलाएं हैं अधिक एनिमिक, जानिए
यहां शहरी बच्चे और ग्रामीण महिलाएं हैं अधिक एनिमिक, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के बच्चे और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं एनिमिया (खून की कमी) की समस्या से सबसे अधिक जूझ रही हैं। छह माह से पांच वर्ष आयुवर्ग के 59.8 प्रतिशत बच्चे एनिमिक हैं। इनमें शहरी क्षेत्र के 61.3 फीसद और ग्रामीण क्षेत्र के 59.1 फीसद बच्चे शामिल हैं। वहीं, 15 से 49 आयुवर्ग की 45.2 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया की समस्या से जूझ रही हैं। इनमें शहरी क्षेत्र की 43.4 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र की 46.2 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। बच्चों और महिलाओं में कुपोषण को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार ने स्थानीय खाद्यान्न पर आधारित ऊर्जा पोषण आहार और केंद्र पोषित योजनाओं को लागू किया गया है, जिसके अब सकारात्मक परिणाम नजर आने लगे हैं। 

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प्रदेश में एनिमिया की स्थिति भले ही आंकड़ों में चिंताजनक नजर आ रही हो लेकिन बीते वर्षों से इसमें सुधार दर्ज किया गया है। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के आधार पर ही अभी कुपोषण सुधार कार्यक्रम चल रहे हैं। यह सर्वे हर दस वर्ष बाद होता है। 2005 में किए गए सर्वे में एनिमिक बच्चों का आंकड़ा 60 फीसद से अधिक था तो वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 54 प्रतिशत था। इसके बाद प्रदेश में काफी सुधार कार्यक्रम चलाए गए। 

हेल्थ सर्वे के दौरान ही यह बात सामने आई थी कि एनिमिया की समस्या का मुख्य कारण उचित पोषण युक्त आहार न लेना है। नवजात शिशुओं को समय से स्तनपान न कराए जाने के कारण बच्चों में कुपोषण की समस्या बढ़ रही है। वहीं, महिलाओं द्वारा भी गर्भधारण के समय पौष्टिक आहार न लिया जाना मातृ और शिशु में एनिमिया का कारण बनता है। इसे देखते हुए प्रदेश में एनिमिया दूर करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके अंतर्गत इन्हें लोहे के बर्तन में भोजन बनाने की सलाह और फोलिक एसिड और आयरन की गोलियां दी जाती हैं। बच्चों को पौष्टिक आहार के साथ ही आयरन टॉनिक भी दिया जा रहा है। 

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राज्यमंत्री रेखा आर्य ने बताया कि महिलाओं में खून की कमी को दूर करने के लिए उन्हें जागरूक किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों तक आने वाली महिलाओं को दवाएं दी जाती हैं और उन्हें सप्लीमेंट भी उपलब्ध कराए जाते हैं। 

प्रदेश में एनिमिया की स्थिति 

आयु-शहरी-ग्रामीण-कुल 

छह माह से पांच वर्ष-61.3-59.1- 59.8 

15-49 वर्ष की महिलाएं (सामान्य)-43.3-46.1-45.1 

15-49 वर्ष की महिलाएं (गर्भवती) 

-44.5-47.5-46.5 

15-49 वर्ष की महिलाएं (दोनों मिलाकर)- 43.4-46.2-45.2 

15-49 वर्ष के पुरुष -15.0-15.9-15.5 

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