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उत्तराखंड में एनीमिया के खिलाफ मोर्चे पर आंगनबाड़ी, पढ़िए पूरी खबर

कुपोषित बचपन की सेहत संवारने और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन मुहैया कराने में आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत कार्यकर्ता व सहायिकाएं अहम भूमिका निभा रही हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 06:24 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 06:24 PM (IST)
उत्तराखंड में एनीमिया के खिलाफ मोर्चे पर आंगनबाड़ी, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में एनीमिया के खिलाफ मोर्चे पर आंगनबाड़ी, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में कुपोषित बचपन की सेहत संवारने और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन मुहैया कराने में करीब 20 हजार आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत 33582 कार्यकर्ता और सहायिकाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। इनके सामने अब 17926 कुपोषित और 1667 अतिकुपोषित बच्चों और एनीमिया से पीड़ित छह माह से लेकर 59 माह के 59.8 फीसद बच्चों को संकट से निजात दिलाने की चुनौती है। इस वजह से राज्य सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए स्थायी भवन बनाने की तैयारी में है। पहले चरण में ऐसे 5000 भवन बनाए जाएंगे। 

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केंद्र सरकार विशेष तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सेहत और पोषण पर विशेष जोर देने के बाद आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका को नए सिरे से विस्तार देने को कदम उठाए जा रहे हैं। इसकी वजह बच्चों को कुपोषण और गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषक पदार्थ मुहैया कराने समेत स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी जानकारी देने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की भूमिका आने वाले दिनों में बढ़ना है। उत्तराखंड जैसे विषम भूगोल वाले राज्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कम संसाधनयुक्त दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों में विषम हालात में अच्छी सेवाएं देने का दारोमदार है।

प्रदेश के 13 जिलों में कुल 105 बाल विकास परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें आठ शहरी क्षेत्रों और 97 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। परियोजनाओं के तहत कुल संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में 1274 शहरी क्षेत्र में हैं, जबकि शेष 18666 केंद्र ग्रामीण क्षेत्र में हैं। अब प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर एक स्पंदन केंद्र की स्थापना प्रस्तावित है। हालांकि शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होने से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की पैरवी की जा रही है।   

आंगनबाड़ी केंद्रों में यूं परवान चढ़ रही सुपोषण की मुहिम 

-अनुपूरक पोषाहार से छह माह से छह वर्ष आयु वर्ग के बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को वर्ष में 300 दिन अनुपूरक पोषाहार देने का लक्ष्य है। इससे लाभान्वित हो रहे हैं 778905 लाभार्थी 

-कुक्ड फूड योजना में तीन से छह वर्ष तक के 1,68,109 बच्चों को माता समिति के जरिये पका हुआ भोजन दिया जा रहा है 

टेक होम राशन

इस योजना में लाभार्थियों को हर माह 25 दिन एकमुश्त साप्ताहिक राशन मुहैया कराया जा रहा है, अतिकुपोषित श्रेणी के बच्चों को स्वास्थ्य विभाग की सलाह से दोगुना पोषाहार, योजना के 4,30,123 लाभार्थी हैं 

राष्ट्रीय पोषण मिशन

योजना के पहले चरण में चयनित चार जिलों चमोली, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और उत्तरकाशी में बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाना है। आंगनबाडिय़ों को संसाधनयुक्त कर विभिन्न महकमों की मदद से 64803 महिलाओं और 88583 बच्चों को जागरूक किया गया। 

स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा

प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर धात्री महिलाओं, किशोरियों और 15 से 45 वर्ष की महिलाओं को स्वास्थ्य व पोषण की शिक्षा दी जा रही है। अब तक 3,34,764 महिलाओं और किशोरियों को यह शिक्षा दी जा चुकी है। 

स्कूल से पहले शिक्षा

आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत तीन वर्ष से छह वर्ष की आयु तक के बच्चों को प्री-स्कूल किट और एक्टिविटी बुक दी जाती है। इन केंद्रों पर 217277 बच्चे पंजीकृत हुए, जबकि 168677 बच्चों की उपस्थिति दर्ज हुई है। 

वृद्धि निगरानी और संदर्भ सेवाएं

प्रत्येक केंद्र पर सभी बच्चों के वजन और वृद्धि की माप और निगरानी की जाती है। महिलाओं को सही वजन के बारे में सलाह देने को इन केंद्रों पर 7,60,006 लाभार्थियों में से कुल 7,37,978 का वजन नियमित जांचा जा रहा है। 

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प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

इस योजना में आइसीडीएस के माध्यम से पंजीकृत गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण समेत प्रसवपूर्व और प्रसव के बाद जांच, बच्चों के टीकाकरण को प्रति महिला तीन किश्तों में कुल पांच हजार रुपये की राशि देने का प्रावधान है। कुल 88229 आवेदनकर्ताओं में से 34641 महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं। 

स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण

एक दिसंबर 2017 से प्रत्येक केंद्र पर मेडिसिन किट के लिए 1500 रुपये और मिनी किट के लिए 750 रुपये निर्धारित हैं। मेडिसिन किट में सामान्य रोगों की दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। 

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