उत्तराखंड में 16 हजार से ज्यादा बच्चों को है पोषण की दरकार, पढ़ें खबर
उत्तराखंड में करीब 20 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 16437 है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोषण को जनांदोलन की शक्ल देने पर जोर दिया है तो इसके पीछे नौनिहालों और महिलाओं को कुपोषण से निजात दिलाने की मंशा छिपी है। उत्तराखंड के नजरिये से देखें तो कुपोषण की समस्या से यह सूबा भी अछूता नहीं है।
प्रदेशभर में करीब 20 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत कुपोषित और अतिकुपोषित 16437 बच्चों की तादाद इसकी तस्दीक करती है। इन बच्चों को सुपोषण की दरकार है। इन्हें कुपोषण के चक्र से बाहर निकालकर सामान्य श्रेणी में लाने के लिए कोशिशों में जुटी हुई है। इसके फलस्वरूप अभी तक 2720 बच्चे सामान्य श्रेणी में आए हैं, जिनकी लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। हालांकि, आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत कुपोषित व अतिकुपोषित श्रेणी के बच्चों से इतर देखें तो राज्यभर में मलिन बस्तियों में ऐसे बच्चों की तादाद कहीं अधिक होगी। इन पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
धीरे-धीरे मिल रही सफलता
राज्य के लगभग सभी जिलों में कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चे चिह्नित किए गए हैं, लेकिन इनमें ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, नैनीताल व देहरादून जिलों में इनकी संख्या सबसे अधिक है। अति कुपोषित और कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने की दिशा में धीरे-धीरे सफलता मिल रही है। कुछ जिलों में इसे लेकर ठीक काम हुआ है। अभी तक सामान्य श्रेणी में आए 2720 बच्चों में ऊधमसिंहनगर के 1187, हरिद्वार के 599, नैनीताल के 302 व देहरादून के 144 बच्चे सामान्य श्रेणी में आए हैं। इसके अलावा अल्मोड़ा में 131, टिहरी में 122, उत्तरकाशी में 41 बागेश्वर में 15, चमोली में 78, चंपावत में 38, पौड़ी में 43, पिथौरागढ़ में 16, रुद्रप्रयाग में 04 बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाया गया है।
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कुुपोषित बच्चों की स्थिति
जिला, अति कुपोषित बच्चे, कुपोषित बच्चे
ऊधमसिंहनगर, 476, 6902
हरिद्वार, 644, 4308
देहरादून, 111, 1012
नैनीताल, 64, 1290
अल्मोड़ा, 41, 458
टिहरी, 81, 260
उत्तरकाशी, 42, 133
पौड़ी, 33, 134
चंपावत, 24, 133
चमोली, 15, 99
पिथौरागढ़, 26, 81
रुद्रप्रयाग, 21, 24
बागेश्वर, 07, 18
45.2 फीसद महिलाएं एनिमिक
प्रदेश में कुपोषण के चलते महिलाएं और बच्चे एनीमिया (रक्ताल्पता) की समस्या से जूझ रहे हैं। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-चार पर गौर करें तो राज्य में छह से 59 माह तक की आयु के बच्चों में एनीमिया की समस्या 59.8 फीसद है, जो राष्ट्रीय औसत 58.4 फीसद से अधिक है। वहीं, महिलाओं की स्थिति देखें तो राज्य में 15 से 49 आयु वर्ग की 45.2 फीसद महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं।
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