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दो हजार प्रतिष्ठानों ने दबाया 70 करोड़ का टीडीएस, होगी कड़ी कार्रवाई

आयकर विभाग की टीडीएस विंग ने प्रदेशभर में दो हजार के करीब ऐसे प्रतिष्ठानों की सूची तैयार की है जिन पर टीडीएस की 70 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि बकाया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 03:12 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:32 PM (IST)
दो हजार प्रतिष्ठानों ने दबाया 70 करोड़ का टीडीएस, होगी कड़ी कार्रवाई
दो हजार प्रतिष्ठानों ने दबाया 70 करोड़ का टीडीएस, होगी कड़ी कार्रवाई

देहरादून, सुमन सेमवाल। टीडीएस जमा न करने वाले प्रतिष्ठान होशियार हो जाएं। कहीं ऐसा न हो कि आपके बैंक खाते फ्रीज कर दिए जाएं। आयकर विभाग की टीडीएस विंग ने प्रदेशभर में दो हजार के करीब ऐसे प्रतिष्ठानों की सूची तैयार की है, जिन पर टीडीएस की 70 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि बकाया है। टीडीएस विंग फरवरी तक ऐसे प्रतिष्ठानों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई करेगी। 

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टीडीएस विंग के संयुक्त आयकर आयुक्त लियाकत अली के मुताबिक प्रदेशभर में करीब साढ़े 11 हजार प्रतिष्ठान टीडीएस विंग में पंजीकृत हैं। इनमें से लगभग दो हजार प्रतिष्ठान ऐसे हैं, जो निर्धारित दर से कम पर कटौती कर रहे हैं या टीडीएस कटौती कर उसे समय पर आयकर विभाग में जमा नहीं करा रहे। इसके साथ ही ऐसे प्रतिष्ठानों का भी पता चला है, जो कटौती करने के बाद उसे हजम कर रहे हैं। कई प्रतिष्ठानों की छह साल से भी ज्यादा समय से टीडीएस की धनराशि लंबित चल रही है। विंग ने लक्ष्य रखा है कि फरवरी तक अधिकतर बड़े बकायेदारों से वसूली की जाए। इसके लिए बकायेदारों के खिलाफ निरंतर सर्वे किए जाएंगे। जरूरत पड़ी तो ऐसे प्रतिष्ठानों के खाते भी फ्रीज करेंगे। 

दून और मसूरी के 300 होटलों को नोटिस जारी 

टीडीएस विंग ने देहरादून और मसूरी के करीब 300 होटलों को नोटिस जारी कर टीडीएस जमा कराने को कहा है। ये होटल ऑनलाइन बुकिंग प्राप्त करते हैं और बुकिंग एजेंट आदि को भुगतान करते हैं। इस भुगतान पर होटल संचालकों को 10 फीसद टीडीएस काटना होता है। या तो होटल संचालक इससे कम की कटौती कर रहे हैं या कटौती कर ही नहीं रहे हैं। इसी के चलते ऐसे होटलों को नोटिस जारी किया गया है। इसके बाद भी टीडीएस जमा नहीं कराया गया तो आयकर विभाग सर्वे की कार्रवाई अमल में लाएगा। 

इसलिए जरूरी है टीडीएस कटौती 

भुगतान पर टीडीएस की कटौती किए जाने से एक तो रिटर्न दाखिल करने की बाध्यता हो जाती है। साथ ही जिस प्रतिष्ठान की राशि पर टीडीएस काटा जाता है, वह उसकी वसूली के लिए आयकर विभाग के समक्ष रिटर्न में उल्लेख कर सकता है। दूसरी तरफ भुगतान करने वाला व्यक्ति या प्रतिष्ठान इस बात के लिए बाध्य हो जाता है कि वह सही रिटर्न ही भरे। इससे उसके कारोबार या आय का भी आकलन कर लिया जाता है।  

आइजीएनएफए समेत छह प्रतिष्ठानों पर टीडीएस सर्वे 

आयकर विभाग की टीडीएस विंग ने इंदिरा गांधी नेशनल फॉरेस्ट एकेडमी (आइजीएनएफए) समेत छह प्रतिष्ठानों पर टीडीएस का सर्वे किया। इस दौरान विंग के अधिकारियों ने दस्तावेजों की जांच में पाया कि टीडीएस कटौती व उसे जमा करने को लेकर अधिकारी कई तरह की गड़बड़ी कर रहे हैं। 

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गुरुवार को संयुक्त आयुक्त लियाकत अली के निर्देश पर देहरादून स्थित एटेरो रीसाइक्लिंग प्रा. लि., एक्युटी इंडिया प्रा. लि. में टीडीएस सर्वे किया। इसके अलावा हरिद्वार में सुपरटेक होटल प्रा.लि., हल्द्वानी में बीटीसी इंडस्ट्रीज व बाजपुर में पॉलीप्लेक्स कॉरपोरेशन पर भी समान वक्त पर सर्वे किया गया। इस दौरान आयकर विभाग की टीडीएस विंग ने संबंधित प्रतिष्ठानों में टीडीएस कटौती की स्थिति देखी। उन्होंने पाया कि वेतन और अन्य मदों में किए गए भुगतान में टीडीएस कटौती के मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा। 

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इसके अलावा इन संस्थानों पर लंबे समय से टीडीएस का बकाया भी चल रहा है। संयुक्त आयुक्त लियाकत अली ने बताया कि यदि सभी प्रतिष्ठानों को मानकों के अनुरूप टीडीएस कटौती करके उसे समय पर जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही बकाया राशि के भुगतान के लिए कहा गया है। यदि इसके बाद टीडीएस संबंधी अनियमितता दूर नहीं की गई तो सभी के बैंक खाते फ्रीज कर दिए जाएंगे। 

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