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    दर्द का इलाज पेन किलर नहीं, आयुर्वेद को आजमाएं Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Mon, 23 Dec 2019 11:14 AM (IST)

    शरीर में दर्द होने पर अक्सर लोग आसान रास्ता अपनाते हैं जो कि पेन किलर है। ये भले ही कुछ मिनटों में आपको दर्द से राहत दे लेकिन इनका ज्यादा सेवन आपको कई नई बीमारियां दे सकता है।

    दर्द का इलाज पेन किलर नहीं, आयुर्वेद को आजमाएं Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। शरीर में दर्द होने पर अक्सर लोग आसान रास्ता अपनाते हैं, जो कि पेन किलर है। ये भले ही कुछ मिनटों में आपको दर्द से राहत दे, लेकिन इनका ज्यादा सेवन आपको कई नई बीमारियां दे सकता है। ऐसे में आयुर्वेद का विकल्प आजमाया जाना चाहिए। जिसमें केवल लाक्षणिक चिकित्सा नहीं बल्कि दर्द का समुचित उपचार किया जाता है। 

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    हरिद्वार बाईपास स्थित होटल में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने यह बात कही। मुख्य अतिथि औषधि नियंत्रक डॉ. वाईएस रावत, विशिष्ट अतिथि गुरुकुल आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. बालकृष्ण, डॉ. मयंक भटकोटी, मुंबई से आए अग्निकर्म विशेषज्ञ डॉ. उदय कुलकर्णी, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुरा कुलकर्णी, नाड़ी विशेषज्ञ डॉ. सुशांत मिश्रा, एमिल फार्मा के रीजनल हेड नवीन ध्यानी व आयुर्वेदिक रस औषधि विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुरेले ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का उद्घाटन किया। 

    मुख्य अतिथि ने कहा कि आयुर्वेद में फूड मैनेजमेंट से लेकर लाइफस्टाइल तक शामिल है। कुछ समय से लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन अभी भी इसके और अधिक प्रचार-प्रसार की जरूरत है।

    कार्यशाला में आयुर्वेद की प्राचीन विधाओं  यथा अग्नि भेदन से दर्द निवारण, मर्म चिकित्सा, लीच थेरेपी, आयुर्वेदिक नाड़ी परीक्षण एवं दर्द के निवारण के लिए आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग संबंधी व्यवहारिक व्याख्यान व प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। 

    कार्यक्रम संयोजक आयुर्वेद विश्व विद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नवीन जोशी ने कहा कि आयुर्वेद पुरानी पद्धति है और इसके अधिकाधिक प्रसार के लिए युवा पीढ़ी को अपडेट करने की जरूरत है। इसी क्रम में दर्द निवारण को लेकर कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें देशभर के विशेषज्ञों को प्रेक्टिकल ट्रेनिंग के लिए दून में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में एमिल फार्मा, निरोग स्ट्रीट, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम वैद्यशाला आदि का सहयोग रहा। 

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    कार्यशाला के समापन पर आयुर्वेद विवि के परिसर निदेशक प्रो. राधाबल्लभ सती ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए। इस दौरान डॉ. नीलम सजवाण डॉ. वर्षा सक्सेना, डॉ. दिनेश जोशी, डॉ. नंदकिशोर दधीचि, डॉ. अमित, डॉ. बृजेश रावत, डॉ. अजय चमोला,डॉ. अंजना मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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