नवजातों की सांस का नहीं मोल, दून अस्पताल में बेबी वार्मर ठंडे Dehradun News
दून मेडिकल कॉलेज में नवजातों की सांस का कोई मोल नहीं। अस्पताल की सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में वेंटीलेटर तक की सुविधा नहीं है और 23 बेबी वार्मर में से आधे ही काम कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। शायद, दून मेडिकल कॉलेज में नवजातों की सांस का कोई मोल नहीं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि अस्पताल की बदहाली खुद इसकी तस्दीक कर रही है। अस्पताल की सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में वेंटीलेटर तक की सुविधा नहीं है और 23 बेबी वार्मर में से आधे ही काम कर रहे हैं।
दून व दून महिला अस्पताल के दून मेडिकल कॉलेज में तब्दील होने के बाद यहां व्यवस्थाएं दुरुस्त होने की बजाय और चरमरा गई हैं। ठंड बढ़ रही है, लेकिन महिला विंग की एसएनसीयू में प्रीमैच्योर, पीलिया और इंटरनल ब्लीडिंग से ग्रसित नवजातों के लिए न तो बेबी वार्मर की पर्याप्त व्यवस्था है और न वेंटीलेटर की।
यह हाल तब है, जब अस्पताल में रोजाना 30-35 डिलीवरी होती हैं और इनमें पांच से छह नवजातों को बेबी वार्मर की जरूरत पड़ती है। इन हालात में कई बार एक वार्मर पर दो-तीन नवजातों का भी इलाज किया जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार डिलीवरी के बाद नवजातों को किसी भी तरह की परेशानी होने पर सबसे पहले उनके शरीर का तापमान नियंत्रित करना जरूरी होता है। इसके लिए बेबी वार्मर की जरूरत होती है।
नवजात को गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम में वार्मर दिया जाता है। लेकिन, सर्दी में नवजात को अधिक खतरा रहता है। डिलीवरी के तुरंत बाद वार्मर न मिले तो उनकी जान को खतरा हो सकता है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि एसएनसीयू में 35 नए बेबी वॉर्मर लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
संक्रमण का खतरा
विशेषज्ञों के मुताबिक एक बेबी वार्मर पर एक ही शिशु को रखना चाहिए। नवजातों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होती है, इसलिए एक साथ कई शिशु रखने से संक्रमण होने का खतरा रहता है।
एनएचएम के तहत होता था संचालन
एसएनसीयू में बार-बार मशीनें खराब होने व बजट की कमी के कारण दिक्कत बढ़ गई है। पूर्व में इस यूनिट का संचालन एनएचएम के तहत किया जाता था। लेकिन, मेडिकल कॉलेज बन जाने के बाद एनएचएम के अधिकारियों ने इससे मुंह मोड़ लिया। इसका पूरा जिम्मा मेडिकल कॉलेज पर आ गया।
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दो वेंटीलेटर, दोनों ही खराब
सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में कहने को दो वेंटीलेटर हैं, पर दोनों ही खराब पड़े हैं। इनकी स्थिति ऐसी भी नहीं रही कि ठीक कराया जा सके। इसकी संबंधित विभाग ने टेक्निकल रिपोर्ट भी लगा दी है। इसके बाद अब नए वेंटीलेटर की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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