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    ट्रक ऑपरेटर्स ने महासंघ का गठन कर सरकार के खिलाफ आंदोलन का बनाया मन

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 15 Jul 2020 03:09 PM (IST)

    अलग-अलग राज्यों में लिए जाने वाले एडिशनल टैक्स और अन्य मांगों को लेकर उत्तराखंड की विभिन्न ट्रक यूनियन एक मंच पर आ गई हैं।

    ट्रक ऑपरेटर्स ने महासंघ का गठन कर सरकार के खिलाफ आंदोलन का बनाया मन

    ऋषिकेश, जेएनएन। मालवाहक वाहनों से देशभर के अलग-अलग राज्यों में लिए जाने वाले एडिशनल टैक्स और अन्य मांगों को लेकर उत्तराखंड की विभिन्न ट्रक यूनियन एक मंच पर आ गई हैं। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के ट्रक ऑपरेटर्स ने महासंघ का गठन कर सरकार के खिलाफ आंदोलन का मन बनाया है।

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    ऋषिकेश में बुधवार को आयोजित बैठक में ट्रक ऑपरेटर्स ने विभिन्न प्रांतों में लिए जाने वाले एडिशनल टैक्स का विरोध किया। उनका कहना है कि एडिशनल टैक्स लिए जाने से ट्रक ऑपरेटर को नुकसान उठाना पड़ रहा है। महासंघ ने उत्तराखंड में मालवाहक वाहनों पर स्पीड गवर्नर और जीपीएस की अनिवार्यता को भी समाप्त करने की मांग की। महासंघ के अध्यक्ष जगमोहन सकलानी ने बताया कि सभी राज्यों ने स्पीड गवर्नर और जीपीएस की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। 

    उत्तराखंड में पर्वतीय मार्ग होने के कारण स्पीड गवर्नर व्यवहारिक भी नहीं है। इसके अलावा महासंघ ने प्रतिवर्ष बढ़ रहे इंश्योरेंस शुल्क और अन्य कर बढ़ोतरी का भी विरोध किया। महासंघ ने फैसला लिया कि इस संबंध में राज्य सरकार और केंद्र सरकार को ज्ञापन प्रेषित किए जाएंगे। अगर मांगों पर कार्रवाई न हुई तो आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी। बैठक में राजेंद्र अग्रवाल, मनमोहन सूदन, मनोज ध्यानी, अशोक ग्रोवर, जयेंद्र रमोला, दीप शर्मा आदि मौजूद थे।

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    राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने किया सिंचाई विभाग के कार्यालय का घेराव

    वहीं, देहरादून में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने सिंचाई विभाग के कार्यालय का घेराव किया। विभाग में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कई पदों पर कार्यरत कर्मचारियों की पदोन्नति न होने को लेकर नाराजगी व्यक्त की गई। परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह, कार्यकारी महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट, जिलाध्यक्ष चौधरी ओमवीर सिंह ने विभागीय अधिकारियों से मुलाकात कर कर्मचारियों की समस्याओं को उनके सामने रखा और कहा कि शासनादेश होने के बाद भी पदोन्नति में हो रहे विलंब से कर्मचारियों के बीच नाराजगी बढ़ती जा रही है। यदि 31 जुलाई तक पदोन्नति नहीं कर दी गई तो इसे लेकर वृहद स्तर पर आंदोलन किया जा सकता है।

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