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    उच्च हिमालय में 47 साल में 480 मीटर ऊपर सरकी ट्री-लाइन

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 03 Apr 2017 05:03 AM (IST)

    हाई कोर्ट के आदेश के माध्यम से बाहर आई वाडिया संस्थान की यह शोध रिपोर्ट बताती है कि ग्लोशियर के स्नो-कवर एरिया घटने से ट्री-लाइन 480 मीटर तक ऊपर बढ़ी है।

    उच्च हिमालय में 47 साल में 480 मीटर ऊपर सरकी ट्री-लाइन

    देहरादून, [सुमन सेमवाल]: उत्तराखंड के ग्लेशियरों की सेहत कितनी नासाज है, इस बात को सरकार को हाई कोर्ट को बताना पड़ रहा है। ग्लोशियर के स्नो-कवर एरिया घटने से 480 मीटर तक ऊपर बढ़ी ट्री-लाइन के वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी के जिस शोध को सरकार वर्ष 2009 से दबाए बैठी रही, उसका पूरा जिक्र नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में खनन बंद किए जाने के अपने 229 पेज के आदेश में किया है।

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    हाई कोर्ट के आदेश के माध्यम से बाहर आई वाडिया संस्थान की यह शोध रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 1962 से वर्ष 2009 के बीच हिमालय की जिस ऊंचाई पर ग्लोशियर की स्नो लाइन (स्नो कवर) का साम्राज्य होता था, वहां तक आज ट्री-लाइन (पेड़) खड़े हो गए हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा स्थल है, जहां हरियाली को खुशहाली का प्रतीक नहीं माना जाता। 

    शोध में केदारनाथ के पास चौराबाड़ी (गंगा की सहायक नदी मंदाकिनी नदी के जल का स्रोत) व डुकरानी ग्लेशियर (भागीरथी/गंगा नदी के जल का अहम स्रोत) का जिक्र किया गया है। अध्ययन के मुताबिक वर्ष 1962 से 2009 के बीच चौराबड़ी ग्लेशियर क्षेत्र में ट्री लाइन 480 मीटर तक ऊपर सरकी है। इसी तरह डुकरानी ग्लेशियर क्षेत्र में ट्री-लाइन 80 मीटर तक ऊपर की तरफ बढ़ी है और इसी अनुपात स्नो लाइन का साम्राज्य भी समाप्त हुआ है।

    इस तरह ऊपर जा रही ट्री लाइन

    चौराबाड़ी ग्लोशियर

    -वर्ष 1962 में ट्री लाइन 2920 मीटर पर

    -वर्ष 2009 में ट्री लाइन 3400 मीटर पर

    -हर साल ऊपर बढऩे की गति 10.21 मीटर

    डुकरानी ग्लेशियर

    -वर्ष 1962 में ट्री लाइन 3880 मीटर पर

    -वर्ष 2009 में ट्री लाइन 2920 मीटर पर

    -हर साल ऊपर बढऩे की गति 1.71 मीटर

    ग्लेशियर समिति क्यों रही खामोश

    वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने ग्लोशियरों पर अध्ययन को 13 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई थी। जबकि यह शोध समिति के गठन के तीन साल बाद आया। इसके बाद वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद समिति फिर सक्रिय हुई, लेकिन कभी भी ट्री-लाइन ऊपर सरकने को लेकर चर्चा नहीं की गई। न ही जलवायु परिवर्तन के इस अहम सूचक को गंभीरता से लिया गया।

    यह है ट्री लाइन

    उच्च हिमालयी क्षेत्र में भौगोलिक स्थिति के अनुसार एक निश्चित ऊंचाई के बाद वनस्पतियां नहीं होती हैं। इस ऊंचाई पर आकर पेड़-पौधे एक सीमा रेखा की तरह नजर आते हैं। इसे ही ट्री लाइन या वृक्ष रेखा कहा जाता है। इसके बाद शुरू होता है स्नो कवर या स्नो लाइन का हिस्सा और सबसे ऊपर ग्लेशियर होते हैं।  

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