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गजराज के गढ़ में चल रही है वनराज की हुकूमत

एशियाई हाथियों के गढ़ राजाजी टाइगर रिजर्व में अब बाघ की सत्ता कायम होने लगी है। गणना के दौरान वन कर्मियों को यहां बाघ की मौजूदगी के प्रमाण के रूप में पुख्ता पग मार्ग मिले हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 08:55 AM (IST)Updated: Sat, 10 Feb 2018 11:51 AM (IST)
गजराज के गढ़ में चल रही है वनराज की हुकूमत
गजराज के गढ़ में चल रही है वनराज की हुकूमत

ऋषिकेश, [दीपक जोशी]: एशियाई हाथियों के गढ़ राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) की मोतीचूर और कांसरो रेंज में वनराज यानी बाघ की सत्ता कायम होने लगी है। इन दिनों चल रही बाघ गणना के दौरान यहां दो बाघों की मौजूदगी का पता चला है। गणना कर्मियों को इनके पुख्ता पग मार्ग मिले हैं। 

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आरटीआर की कांसरो, मोतीचूर व धौलखंड रेंज हाथियों का मुख्य गढ़ है। जबकि, चीला, रवासन व गौहरी रेंज में बाघ आशियाना बनाए हुए हैं। लेकिन, अब कांसरो व मोतीचूर रेंज में भी वनराज की सत्ता कायम होने लगी है। 

इन दोनों रेंज के बीच डांडा मचान के आसपास के दायरे में एक मादा बाघ की लोकेशन मिली है। जबकि, दूसरे बाघ की लोकेशन मोतीचूर व धौलखंड रेंज के बीच मिली। इन दिनों बाघ गणना में लगे वन कर्मियों को इनके पग मार्क और मल दिखाई दिया है। 

वन अधिकारियों का मानना है कि बाघों के वास के लिए यह जगह अनुकूल साबित हो रही है। बता दें कि इससे पहले बाघ राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला व गौहरी रेंज में ही पाए जाते रहे हैं। लेकिन, अब हाथी बहुल इस क्षेत्र में भी बाघ की मौजूदगी से वन अधिकारी उत्साहित हैं। इसे पारिस्थितिकीय संतुलन के लिहाज से भी बेहद शुभ माना जा रहा है।

कांसरो के रेंज अधिकारी दिनेश प्रसाद उनियाल के अनुसार गणना कार्य के दौरान बाघ के पग मार्क व अन्य निशान मिले हैं। कैमरा ट्रैप में भी बाघ की तस्वीरें कैद हैं। यह मादा बाघ है और लंबे समय के इस एरिया में आशियाना बनाए हुए है। 

दूसरे चरण की गिनती शुरू 

अखिल भारतीय बाघ गणना के तहत राजाजी टाइगर रिजर्व में चल रहा द्वितीय चरण का कार्य सोमवार से शुरू हो गया, जो कि 15 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान गणना कर्मी ट्रांजिट लाइन के अनुसार एक दिन में पांच किलोमीटर के दायरे में बाघों की गिनती करेंगे।

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