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    कफ सीरप की ओवरडोज से तीन वर्षीय बच्ची की बिगड़ी तबीयत, दून मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने बचाई जान

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 11:39 PM (IST)

    देहरादून के दून मेडिकल कालेज अस्पताल में कफ सीरप की ओवरडोज के चलते गंभीर हालत में लाई गई हरिद्वार के भगवानपुर की तीन वर्षीय बच्ची को डाक्टरों ने नया ज ...और पढ़ें

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    राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती गार्विका। साभार-अस्पताल

    जागरण संवाददाता, देहरादून: कफ सीरप की ओवरडोज के चलते गंभीर हालात में राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल लाई गई हरिद्वार के भगवानपुर की तीन वर्षीय बच्ची को बाल रोग विभाग के डाक्टराें ने नया जीवन प्रदान किया।

    बेहोशी की हालात में लाई गई बच्ची के 10 दिनाें तक चले इलाज के बाद गुरुवार को उसे स्वस्थ हालात में डिस्चार्ज कर दिया गया। अस्पताल के डाक्टरों ने बिना जांच पड़ताल के बच्चों को सीरप न देने की अभिभावकों से अपील की है।
    राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अशोक कुमार ने बताया कि भगवानपुर निवासी तीन वर्षीय गार्विका को लेकर अभिभावक तीन दिसंबर को इमरजेंसी में लाए।

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    जिसमें उन्होंने बताया कि बच्ची को खांसी होने पर उन्होंने एक स्थानीय मेडिकल शाप से कफ सीरप खरीदा था। जब बच्ची को पिलाया गया तो उसकी हालात ज्यादा खराब होने लगी। निजी अस्पतालों में दिखाया तो वहां डाक्टरों ने भी जांच कर हाथ खड़े कर दिए।

    डा. अशोक कुमार के निर्देशन में जब दून अस्पताल में डा. तन्वी, डा. आयशा, डा. कुलदीप सिंह, डा. आस्था भंडारी ने बच्ची को देखा तो बच्ची के पैर सुन्न थे, बीपी और धड़कन कम थी, सांस नहीं ले पाने के कारण बेहोश थी। आंखों की पुतली काम नहीं कर रही थी। इसके बाद लाइफ सपोर्ट पर रखा और सांस लेने वाली मशीन के माध्यम मदद कराई।

    एंटीबायोटिक्स (सेफ्ट्रियाक्सोन और वैनकोमाइसिन) शुरू कराया। कई बार इंटुबेशन के बाद एक्सट्यूबेशन की सुविधा दी। इसके बाद हेमोडायनामिक स्थिर, न्यूरोलाजिकल में सुधार पाया गया। पांचवें दिन आंखों की पुतली ने काम करना शुरू किया तो डाक्टरों की उम्मीद जगी।

    इसके बाद लगातार निगरानी के साथ इलाज कराया। आज स्वस्थ होने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया है। डा. अशोक कुमार ने कहा कि कई काफ सीरप पर बैन भी लगे होते हैं लेकिन जागरूकता अभाव और सस्ते के चक्कर में लोग बिना डाक्टर परामर्श से इसे कहीं से भी खरीद लेते हैं। जिससे कई बार इस तरह की जानलेवा हो सकता है।

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