उत्तराखंड: तीन पूर्व मंत्रियों को नहीं मिली मंत्रिमंडल में जगह, तीनों ने पार्टी के निर्णय को स्वीकारने की बात कही पर दिल में टीस कम नहीं
बीते रोज देहरादून के परेड ग्राउंड में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। इसमें धामी और आठ मंत्रियों ने शपथ ली। इस बार पिछली सरकार में मंत्री रहे बंशी ...और पढ़ें
राज्य ब्यूरो, देहरादून। पिछली सरकार में मंत्री रहे बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल व अरविंद पांडेय को इस बार स्थान नहीं मिल पाया। तीनों पूर्व मंत्री पार्टी के निर्णय को स्वीकारने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन दिल में टीस कम नहीं है। यद्यपि, वे इस बारे में खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन चुफाल ने इतना अवश्य कहा कि वह पार्टी फोरम में अपनी बात रखेंगे।
धामी मंत्रिमंडल में इस बार पिछली कैबिनेट के पांच सदस्यों को बरकरार रखा गया, जबकि तीन को छोड़ दिया गया। माना जा रहा है कि उम्र के पैमाने पर फिट न बैठने के कारण सातवीं बार के विधायक बंशीधर भगत और छठवीं बार के विधायक बिशन सिंह चुफाल को अवसर नहीं दिया गया। यह बात अलग है कि 70 वर्ष से अधिक आयु के सतपाल महाराज को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। यही नहीं, पांचवीं बार के विधायक अरविंद पांडेय को भी इस बार जगह नहीं दी गई।
संपर्क करने पर पूर्व मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि किसे मंत्री बनाना है, किसे नहीं, यह संगठन का काम है। कार्यकत्र्ता की यही पहचान है कि वह पार्टी के निर्णय को सहर्ष स्वीकार करे। उन्होंने कहा कि उनके मामले में पार्टी का निर्णय शिरोधार्य है। मुख्यमंत्री धामी की अगुआई में सरकार सरपट दौड़ेगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में उनके क्षेत्र की जनता ने उन्हें सर्वाधिक मत दिए। अब वह पहले से भी अधिक तेजी से अपने क्षेत्र में कार्य कराएंगे।
पूर्व मंत्री चुफाल ने कहा कि उन्हें मंत्रिमंडल में क्यों नहीं लिया गया, इस बारे में कुछ नहीं कहना। पार्टी का निर्णय स्वीकार है। साथ ही जोड़ा कि जब जनता इस संबंध में पूछेगी तो क्या जवाब देना है, इसके लिए वह अपनी बात पार्टी फोरम में रखेंगे और नेतृत्व से पूछेंगे। उन्होंने कहा कि वह न तो विधानसभा अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं और न राज्यसभा सदस्य की। वह विधायक के रूप में अपने क्षेत्र में कार्य करेंगे। उधर, इंटरनेट मीडिया में चुफाल के नाराज होने की चर्चा चल रही है।
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी जब उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय थे, तो चुफाल की उनसे दूरियां थीं। अब चुफाल के समर्थकों का कहना है कि इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है। दूसरी तरफ, काफी प्रयासों के बावजूद पूर्व मंत्री अरविंद पांडेय से फोन पर संपर्क नहीं हो पाया।

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