ये है ऋतु संधि काल, खानपान पर दें विशेष ध्यान, यहां जानें क्या खाएं; क्या न खाएं
बारिश के बाद अब शरद ऋतु का आगमन हो रहा है। आयुर्वेद शरद ऋतु को पित्त के कोप का समय मानता है। ऐसे में समय पर और नियमित रूप से अपनी पाचन शक्ति के अनुसार अनुकूल मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त आहार लेना चाहिए।
जागरण संवाददाता, देहरादून। अगस्त का महीना खत्म होने वाला है। यानी बारिश के बाद अब शरद ऋतु का आगमन हो रहा है। आयुर्वेद शरद ऋतु को पित्त के कोप का समय मानता है। ऐसे में खानपान में अत्यंत सावधानी बरतनी आवश्यक है। समय पर और नियमित रूप से अपनी पाचन शक्ति के अनुसार अनुकूल मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त आहार लेना चाहिए। आयुर्वेद विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डा. नवीन जोशी के अनुसार इसे ऋतु संधि काल भी कहा जाता है। यानी वर्षा ऋतु और शरद ऋतु के बीच का समय। यह सर्दियों की शुरुआत वाला मौसम है। इस बीच वर्षा ऋतु के खान पान को धीरे-धीरे छोड़कर शरद ऋतु के खान पान को अपनाना चाहिए।
उनका कहना है कि किसी एक मौसम में कोई एक दोष बढ़ता है तो कोई दूसरा शांत होता है, जबकि दूसरे मौसम में कोई अन्य दोष बढ़ते-घटते रहते हैं। आयुर्वेद में हर मौसम के हिसाब से रहन-सहन और खान पान के निर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों का पालन करके आप निरोग रह सकते हैं। प्रतिदिन किया जाने वाला आहार, विहार एवं दैनिक क्रिया जो अपने लिए हितकर हो, दिनचर्या कहलाता है। इनका उचित पालन करने से शरीर की शुद्धि होती है और दोषों का प्रकोप नहीं होता है।
डा. जोशी के अनुसार शरद ऋतु में स्निग्ध (चिकने) पदार्थ, मौसमी फल व शाक, घी, दूध, शहद आदि के सेवन से शरीर को पुष्ट और बलवान बनाना चाहिए। कच्चे चने रात को भिगोकर सुबह खूब चबा-चबाकर खाना, गुड़, गाजर, केला, शकरकंद, सिंघाड़े, आंवला आदि कम खर्च में सेवन किए जाने वाले पौष्टिक पदार्थ है। शरद ऋतु में उबटन ,लेप व शरीर की मालिश अत्यंत लाभकारी है।
शरद ऋतु में क्या खाएं
-इस मौसम में पित्त को शांत करने के लिए घी और तीखे पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इस लिहाज से मीठे, हल्के, सुपाच्य खाद्य एवं पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
-चावल, मूंग, गेहूं, जौ, उबाला हुआ दूध, दही, मक्खन, घी, मलाई, श्रीखंड आदि का सेवन लाभकारी होता है।
-सब्जियों में चौलाई, बथुआ, लौकी, तोरई, फूलगोभी, मूली, पालक, सोया और सेम खाएं।
-फलों में अनार, आंवला, सिंघाड़ा, मुनक्का और कमलगट्टा लाभकारी हैं।
- इस ऋतु में हरड़ के चूर्ण का सेवन, शहद, मिश्री या गुड़ मिलाकर करना चाहिए।
-आंवले को शक्कर के साथ मिलाकर खाएं।
क्या ना खाएं
इस मौसम में सरसों का तेल, मट्ठा, सौंफ, लहसुन, बैंगन, करेला, हींग, काली मिर्च, पीपल, उड़द से बने भारी खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए। इसके अलावा कढ़ी जैसे खट्टे पदार्थ, क्षार द्रव्य, दही और नमक वाले खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में नहीं खाने चाहिए।
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