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    भगवान नहीं पिता की तरह उपचार कर रहा है यह डॉक्टर, पढ़ि‍ए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 22 Mar 2020 09:10 PM (IST)

    दून अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखभाल को डॉक्टरों और नर्सों ने अस्पताल को घर बना लिया है। कोरोनेशन के डॉक्टर एनएस बिष्ट भी एक ऐसी मिसाल हैं।

    भगवान नहीं पिता की तरह उपचार कर रहा है यह डॉक्टर, पढ़ि‍ए पूरी खबर

    देहरादून, जेएनएन। दुनियाभर में कोरोना कहर बनकर टूटा है। आलम यह  है कि लोग पास आने, हाथ मिलाने और घर से बाहर निकलने की भी हिम्मत नहीं  जुटा पा रहें हैं। देश में भी मंदिर-मस्जिद तो क्या स्कूल-कॉलेज भी बंद कर  दिए गए हैं। ऐसे सोचिए कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी और अपने परिवार की  फिक्र छोड़ कोरोना संक्रमित या कोरोना संदिग्ध मरीजों के उपचार में पूरी  निष्ठा से जुटे हैं। दून अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती मरीजों की  देखभाल को डॉक्टरों और नर्सों ने अस्पताल को ही घर बना लिया है। कोरोनेशन  अस्पताल के डॉक्टर एनएस बिष्ट भी एक ऐसी मिसाल हैं कि उनकी निष्ठा के आगे हर सर झुकने को बाध्य हो जाता है। आइए कोरोना महामारी के इस संकट के समय में ऐसे असली हीरो को सलाम करें।

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    कोरोनेशन अस्पताल में इस वक्त कोरोना संदिग्ध 12 मरीज भर्ती हैं। यहां आइसोलेशन वार्ड का जिम्मा वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एनएस बिष्ट के कंधों पर है।  डॉ बिष्ट और उनकी टीम दिन रात यहीं डेरा डाले हुए है। यही नहीं डॉ बिष्ट  मरीजों का उपचार एक अभिभावक की तरह कर रहे हैं। डॉ. बिष्ट बताते हैं कि घर से बाहर रहने वाले युवक-युवतियों के साथ खासी दिक्कतें आती हैं। उनके साथ परिवार के सदस्य की तरह पेश आना होता है। कभी डांटना पड़ता है तो कभी हंसाना भी पड़ता है। डॉ बिष्ट और उनके साथ वार्ड में तैनात नर्स मरीजों की देख-रेख में इतने तल्लीन हैं कि उन्हें अपने परिवार की सुध लेने तक कि फुरसत  नहीं। हालांकि, अपने बच्चों, माता-पिता की चिंता उन्हें भी सताती है, लेकिन, मौके की नजाकत और हालात को देखते हुए उन्हें सबसे पहले अपनी ड्यूटी

     नजर आती है। आइसोलेशन वार्ड में वैसे तो किसी को जाने की अनुमति नहीं है,  लेकिन वहां मौजूद स्टाफ से बात कर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि भीतर किस  प्रकार का माहौल होगा।

    स्टेचर पर रात बिता रहे डॉ. बिष्ट

    कोरोनेशन अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एनएस बिष्ट अस्पताल को ही अपना घर  बना चुके हैं। ताकि यदि संदिग्ध मरीजों में कोरोना की पुष्टि भी हुई तो संक्रमण नहीं फैले और मरीजों का समुचित उपचार दिया जा सके। उनका खाना-सोना सब अस्पताल में हो रहा है। डॉ. बिष्ट दिन में इन मरीजों के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहे हैं और रात को अस्पताल में ही सो रहे हैं। इससे पहले भी डॉ. बिष्ट जब स्वाइन फ्लू का प्रकोप देहरादून में फैला था तो उन्होंने मरीजों की दिन-रात सेवा की थी। आज कोरोनेशन अस्पताल प्रबंधन ही नहीं पूरा शहर उनके जज्बे और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम कर रहा है। आइसोलेशन वार्ड में भर्ती सभी 17 मरीजों को विशेषज्ञ डॉ बिष्ट और उनका स्टाफ गंभीरता से जल्द स्वस्थ करने के प्रयास में जुटा है।

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    ऐसे हालात में मिलता है पेशे से न्याय करने का अवसर

    कोरोनेशन अस्पताल में कोरोना को लेकर बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में डॉ. एनएस बिष्ट के साथ छह नर्स और दो वार्ड बॉय का स्टाफ है। सिस्टर सरिता भी पूरी निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। उनका कहना है कि यह एक ऐसी स्थिति है जब हमें अपने पेशे के साथ पूर्ण न्याय करने का अवसर मिला है। इस समय हम घबरा गए तो मरीजों का क्या होगा। बाकी अपनी सुरक्षा के लिए एहतियात बरत रहे हैं। अब बाकी तो भगवान के हाथ में है। मरीजों को सहारा देना और उनका उचित उपचार ही इस समय प्राथमिकता है। हमारी पूरी टीम जी जान से जुटी है। हम चाहते हैं कि यहां भर्ती सभी मरीज कोरोना नेगेटिव आएं। कोई पॉजिटिव भी आया तो हम उसे पूरी तरह स्वस्थ करने का प्रयास करेंगे। कहा कि हमारे साथ सिस्टर पूनम गौतम, प्रियंका और उर्मिला भी सम्पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कार्य मे जुटी हैं।

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