उत्तराखंड में 39 लाख एपीएल को राहत, आबकारी नीति को एक्सटेंशन
आबकारी नीति पर छाया धुंधलका कैबिनेट की बैठक में लंबी मशक्कत के बाद भी नहीं छंट पाया। वहीं कैबिनेट ने उत्तराखंड के 39 लाख एपीएल उपभोक्ताओं का राहत देने का फैसला किया है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: आबकारी नीति पर छाया धुंधलका कैबिनेट की बैठक में लंबी मशक्कत के बाद भी नहीं छंट पाया। वहीं कैबिनेट ने उत्तराखंड के 39 लाख एपीएल उपभोक्ताओं का राहत देने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चरमराई आबकारी विभाग की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 31 मार्च को समाप्त होने वाली वर्ष 2016-17 की आबकारी नीति को पहले 30 अप्रैल तक के लिए एक्सटेंशन दिया गया था। अब इसे एक माह और यानी 31 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
कैबिनेट बैठक में नई आबकारी नीति और शराब की दुकानें खोले जाने के समय में कटौती जैसे बिंदुओं पर कोई निर्णय नहीं हो पाया। कैबिनेट ने अहम फैसले में एपीएल उपभोक्ताओं को राहत देते हुए राज्य खाद्य योजना को चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 में जारी रखने पर मुहर लगा दी, लेकिन सस्ता गेहूं और चावल 10.50 लाख एपीएल परिवारों को महंगा मिलेगा। गेहूं की दर में 3.50 रुपये प्रति किलो और चावल की मौजूदा कीमत में छह रुपये प्रति किलो का इजाफा किया गया है।
बुधवार शाम को त्रिवेंद्र कैबिनेट की बैठक सचिवालय में लगभग तीन घंटे चली। विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी कर दिए जाने के कारण कैबिनेट में लिए गए निर्णयों की कोई आधिकारिक ब्रीफ्रिंग नहीं की गई। सूत्रों के मुताबिक नई आबकारी नीति के मसौदे को हालांकि एजेंडे का हिस्सा नहीं बनाया गया मगर इस पर खासी लंबी चर्चा हुई।
नई नीति के तमाम बिंदुओं पर सहमति न बनने के कारण इस विषय को स्थगित कर दिया गया। इस स्थिति में तय किया गया कि फिलहाल गत वर्ष की आबकारी नीति को 31 मई तक, यानी एक महीने और एक्सटेंशन दे दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से शराब की दुकानों को न्यूनतम 500 मीटर दूर रखा जाना है। इससे अधिकतर शराब के ठेकों के आबादी क्षेत्रों में खुलने की नौबत आ गई। इसके बाद लोगों के विरोध के चलते शराब की दुकानें खुलने में व्यवधान पैदा हो गया।
इसका तोड़ निकालने के लिए सरकार ने पिछली कैबिनेट बैठक में तमाम राज्य राजमार्गों को जिला मार्ग घोषित कर दिया, लेकिन इसके दायरे में भी करीब 70 ही दुकानें आ पाईं। वहीं, लोगों के विरोध का आलम यह है कि 526 दुकानों में से अभी तक सिर्फ 300 के करीब ही खुल पा रही हैं।
उधर, वित्त विभाग ने पुरानी नीति के लक्ष्य 2100 करोड़ में 10 फीसद बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। इससे आबकारी विभाग के सामने ऐसे में आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति पैदा हो गई है।
कैबिनेट बैठक में नई आबकारी नीति के लाए जाने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन मौजूदा स्थिति में कैबिनेट इस मसले पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई। यह भी माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों के अनुरूप शराब की दुकानों के खुलने का समय पूरे राज्य में छह घंटे रखने या मैदानी क्षेत्रों में पूर्ववत व्यवस्था रखने के बाद हर रोज आबकारी नीति को लेकर लगाए जा रहे कयासों को देखते हुए फिलहाल मौजूदा नीति को ही एक माह और विस्तार दिया गया है। ऐसे में आबकारी नीति को लेकर जारी असमंजस अभी दूर होता नजर नहीं आ रहा है।
कैबिनेट ने एपीएल उपभोक्ताओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार की राज्य खाद्य योजना जारी रखने को हरी झंडी दिखा दी। इससे राज्य के 10.50 लाख परिवारों समेत कुल 39 लाख उपभोक्ताओं को सस्ता खाद्यान्न मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
हालांकि, सस्ते खाद्यान्न की कीमत बढ़ाई गई हैं। इस योजना के तहत एपीएल उपभोक्ताओं को दस किलो चावल नौ रुपये प्रति किलो और पांच किलो गेहूं पांच रुपये प्रति किलो की दर से मुहैया कराया जा रहा था। नई भाजपा सरकार ने चावल की दर बढ़ाकर 15 रुपये प्रति किलो और गेहूं की दर बढ़ाकर 8.50 रुपये प्रति करने को मंजूरी दी है।
जीएसटी बिल के ड्राफ्ट पर मुहर
कैबिनेट ने आगामी एक मई से प्रस्तावित विधानसभा सत्र में पेश किए जाने वाले एसजीएसटी विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। उधर, रुद्रप्रयाग जिले में वर्ष 2013 की आपदा में क्षतिग्रस्त हुईं निजी क्षेत्र की जलविद्युत परियोजनाओं को राहत देने पर विचार करने को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।
बैठक में राज्य के जीएसटी विधेयक के मसौदे पर मुहर लगाई गई। सूत्रों के मुताबिक इस मसौदे में राज्य के भीतर जीएसटी लागू करने की विस्तृत कार्ययोजना का खाका खींचा गया है। कैबिनेट ने आपदा में क्षतिग्रस्त हुई रुद्रप्रयाग जिले के फाटा में लैम्को कंपनी की 60 मेगावाट और भटवाड़ी के सिंगोली में एलएंडटी की लघु जलविद्युत परियोजनाओं को 12 फीसद रायल्टी भुगतान में 15 साल की छूट देने और 15 साल बाद कंपनी की ओर से ब्याज समेत रायल्टी देने के बारे में विचार किए जाने को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की है।
आपदा में उजड़ गए रामबाड़ा में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना के लिए 8.14 करोड़ की सिक्योरिटी मनी वापस करने की संबंधित कंपनी की मांग पर विचार करने को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। इस समिति में ऊर्जा प्रमुख सचिव, वित्त सचिव शामिल किए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट ने अहम फैसले में फसल बीमा योजना का मैदानी व पर्वतीय क्षेत्रों में समान लाभ देने पर मुहर लगा दी। अभी तक इस योजना के तहत आपदा के चलते फसल पर असर पड़ने से मैदानी क्षेत्रों को अधिक फसल उपज के चलते अधिक लाभ मिलता था। अब पर्वतीय क्षेत्रों में भी समान लाभ मिलेगा। अलबत्ता, पर्वतीय क्षेत्रों के लिए बीमा प्रीमियम की दरें भी मैदानी क्षेत्रों के समान हो जाएंगी। कैबिनेट ने ऊर्जा सेस लगाने पर विचार किया, लेकिन इस पर फैसला नहीं हो सका।
आबकारी पर बैकफुट में सरकार
शराब की दुकानों की आबादी क्षेत्रों में शिफ्टिंग को लेकर प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन ने सरकार को बैकफुट पर जाने को मजबूर कर दिया है। कैबिनेट की तकरीबन तीन घंटा चली बैठक में आबकारी को एजेंडे में रखने से गुरेज तो किया गया, लेकिन इस पर चर्चा में काफी वक्त जाया हुआ।
जन आंदोलनों के दबाव में शराब की दुकानों की समय अवधि कम किए जाने की कवायद को भी टाल दिया गया। आबकारी पर किरकिरी झेल रही सरकार चौतरफा दबाव के चलते इस मामले में बचकर चलने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट का रुख भी इस मामले में खासा सख्त है।
सरकार ने पहले शराब की दुकानों के खुलने की समय सीमा कम करने पर विचार किया था, लेकिन बाद में इस मसले पर भी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा।
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