सुनिए सरकार उत्तराखंड की पुकार : उत्तराखंड की आर्थिकी में चमक भी तो वेदना भी
Suniye Sarkar Uttarakhand Ki Pukar उत्तराखंड की आर्थिकी में चमक भी है तो वेदना भी है। आर्थिकी को मजबूत करने में औद्योगिक विकास की अहम भूमिका रही है। व ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, देहरादून। अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड ने 21 सालों में आर्थिक विकास में ऊंची उड़ान भरी है। अर्थव्यवस्था के आकार में करीब 19 गुना और वार्षिक बजट के आकार में 13 गुना की वृद्धि दर्ज हो चुकी है। प्रति व्यक्ति आमदनी राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा 2.02 लाख रुपये प्रति व्यक्ति हो गई है। आर्थिकी को मजबूत करने में औद्योगिक विकास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रदेश की नई सरकार इसी माह सत्ता संभालने के बाद जब नया वार्षिक बजट प्रस्तुत करेगी, तो बजट आकार 63 हजार करोड़ रुपये को पार करने करने की उम्मीद है। आर्थिकी के चमकदार आंकड़ों के नीचे चिंताजनक सच्चाई भी छिपी है। आर्थिक व सामाजिक विकास में मैदानी और पर्वतीय अंचलों के बीच असमानता की खाई चौड़ी हुई है। बजट का आकार बढ़ा, लेकिन उसका शत-प्रतिशत उपयोग नहीं हो पा रहा है। बजट आकार की तुलना में स्वीकृति और खर्च काफी कम है। गैर विकास मदों पर खर्च का बोझ लगातार बढ़ रहा है। हालत यह है कि विकास और निर्माण कार्यों के लिए बजट में 15 प्रतिशत तक धनराशि रखना टेढ़ी खीर बना हुआ है। अपने दम पर वित्तीय संसाधन बढ़ाने में सरकार का दम फूल रहा है। नई सरकार के सामने वित्तीय अनुशासन कायम करने की बड़ी चुनौती होगी।
केंद्रपोषित योजनाओं और केंद्रीय सहायता पर निर्भरता
उत्तराखंड को विशेष दर्जा होने से केंद्रपोषित योजनाओं में अधिक आर्थिक सहायता मिल रही है। केंद्रपोषित योजनाओं की धनराशि का 90 प्रतिशत केंद्रीय अनुदान के रूप में मिल रहा है, जबकि राज्य की हिस्सेदारी सिर्फ 10 प्रतिशत है।
इन केंद्रपोषित योजनाओं में 90:10 अनुपात में मिल रही मदद
-कृषि उन्नति योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना (लाइवस्टाक मिशन, वेटरनरी सॢवसेज, डेयरी डेवलपमेंट), स्वच्छ भारत अभियान, नेशनल हेल्थ मिशन, नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर, नेशनल एजुकेशन मिशन, हाउसिंग फार आल (ग्रामीण एवं शहरी), आइसीडीएस, इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम, मिड डे मील, नेशनल लाइवलीहुड मिशन (ग्रामीण एवं शहरी), वानिकी एवं वन्य जीवन (ग्रीन इंडिया मिशन, ट्राइगर प्रोजेक्ट, प्रोजेक्ट एलीफेंट), अरबन रीजुवनेशन (अमृत) एंड स्मार्ट सिटीज मिशन, पुलिस आधुनिकीकरण, न्याय व्यवस्था के लिए ढांचागत सुविधाएं।
औद्योगिक पैकेज से राज्य को मिला आर्थिक संबल
राज्य बनने के बाद केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उत्तराखंड को विशेष औद्योगिक पैकेज दिया। सेंट्रल इन्वेस्टमेंट सब्सिडी (सीआइएस) के अंतर्गत दिए गए इस पैकेज में राज्य में उद्योगों को 10 साल के लिए एक्साइज में छूट और प्लांट मशीनरी लगाने के लिए 30 प्रतिशत सब्सिडी दी गई। परिणामस्वरूप उद्योग विहीन राज्य में सीआइएस योजना में 899 उद्योग स्थापित हुए। वर्तमान में औद्योगिक विकास योजना (आडीएस) प्रारंभ की। इसे 2017 से लागू किया गया। यह योजना अब भी जारी है। इसमें प्लांट मशीनरी पर सब्सिडी 30 प्रतिशत या अधिकतम पांच करोड़ तक बढ़ाई गई।
वर्ष, राज्य सकल घरेलू उत्पाद (करोड़ रुपये)
2000-01, 14501
2001-02, 15825
2002-03, 18473
2003-04, 20438
2004-05, 24786
2005-06, 29968
2006-07, 36795
2007-08, 45856
2008-09, 56025
2009-10, 70730
2010-11, 83969
2011-12,1,15,328
2012-13, 1,31,612
2013-14, 1,49,074
2014-15, 1,61,439
2015-16, 1,77,163
2016-17, 1,95,125
2017-18, 2,22,836
2018-19, 2,45,895
2019-20, 2,53,666
2020-21, 2,43,012
2021-22, 2,78,006 (अनुमानित)
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वर्ष, प्रति व्यक्ति आय (रुपये)
2000-01, 15285
2001-02, 16232
2002-03, 18636
2003-04, 20312
2004-05, 24726
2005-06, 29441
2006-07, 35111
2007-08, 42619
2008-09, 50657
2009-10, 62757
2010-11, 73819
2011-12,1,00,314
2012-13, 1,13,654
2013-14, 1,26,356
2014-15, 1,36,099
2015-16, 1,47,936
2016-17, 1,61,752
2017-18, 1,80,613
2018-19, 1,91,450
2019-20, 2,02895
राज्य का अपना कर राजस्व:
2002-03, 1079 करोड़
2012-13, 6414 करोड़
2017-18, 10895 करोड़
2021-22, 12754 करोड़ (2020 से लेकर 22 तक कोरोना महामारी का असर)
राज्य का अपना गैर कर राजस्व:
2002-03, 375 करोड़
2012-13, 899 करोड़
2017-18, 1769 करोड़
2021-22, 2494 करोड़, अनुमानित
कोरोना के कारण दो सालों में कर राजस्व में कमी: (राशि: करोड़ रुपये)
वित्तीय वर्ष, कर राजस्व
2018-19, 12188
2019-20, 11513
2020-21, 10791
जीएसटी का गहराएगा संकट :
वर्ष 2017 में वैट के स्थान पर जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड की कर से होने वाली आमदनी में कमी आई। केंद्र ने इस घाटे की पांच साल तक प्रतिपूर्ति करने का निर्णय लिया। पांच साल की यह अवधि इसी वर्ष जून माह में खत्म हो जाएगी। इसके बाद जीएसटी को लेकर राज्य के सामने संकट खड़ा हो जाएगा। यह संकट करीब 5000 करोड़ का होगा। राज्य को चालू वित्तीय वर्ष में जीएसटी से होने वाली 13,492 करोड़ की कुल आमदनी अगले वित्तीय वर्ष में घटकर 10,194 करोड़ तक हो जाएगी। इसके बाद के वित्तीय वर्षों में और गिरावट तय है।

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