थलकेदार और देवलसारी बनेंगे जैव विविधता विरासतीय स्थल, तीन माह में जारी हो सकती है प्रारंभिक अधिसूचना
जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड में अब जैव विविधता विरासतीय स्थल (बायो डायवर्सिटी हैरिटेज साइट) की दिशा में गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। तीन माह में थलकेदार (पिथौरागढ़) व देवलसारी (टिहरी) को विरासतीय स्थल घोषित किए जाने की प्रारंभिक अधिसूचना जारी हो सकती है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड में अब जैव विविधता विरासतीय स्थल (बायो डायवर्सिटी हैरिटेज साइट) की दिशा में गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। तीन माह में थलकेदार (पिथौरागढ़) व देवलसारी (टिहरी) को विरासतीय स्थल घोषित किए जाने की प्रारंभिक अधिसूचना जारी हो सकती है। उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड की शुक्रवार को हुई समीक्षा बैठक में प्रमुख सचिव वन आनंद बर्धन ने जैव विविधता विरासतीय स्थलों के संबंध में शासन को जल्द प्रस्ताव भेजने के निर्देश अधिकारियों को दिए। बैठक में यह भी तय हुआ कि जैव संसाधनों का व्यावसायिक उपयोग करने वाली कंपनियों, संस्थाओं व व्यक्तियों से प्राप्त लाभांश की राशि का वितरण मार्च के अंत तक जैव विविधता समितियों को किया जाएगा।
जैव विविधता बोर्ड के कार्यालय में हुई बैठक में बोर्ड के अब तक के कार्यों और इनकी प्रगति के साथ ही आगामी कार्ययोजनाओं की समीक्षा की गई। प्रमुख सचिव वन आनंद बर्धन ने जैव विविधता विरासतीय स्थलों के बारे में जानकारी ली तो बात सामने आई कि अभी तक राज्य में एक भी विरासतीय स्थल घोषित नहीं हुआ है। अलबत्ता, थलकेदार का प्रस्ताव लगभग तैयार है, जबकि देवलसारी का अभी बनना है। यह दोनों ही क्षेत्र अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। प्रमुख सचिव ने कहा कि विरासतीय स्थलों से संबंधित जो भी प्रस्ताव हैं, उन्हें जल्द शासन को भेजा जाए।
उन्होंने यह कार्य हर हाल में तीन माह के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए और कहा कि शासन स्तर पर विचार के बाद विरासतीय स्थलों की प्रारंभिक अधिसूचना जारी की जाएगी। इस अवसर पर बताया गया कि राज्य के जैव संसाधनों का व्यावसायिक उपयोग करने वाली 1236 कंपनियां, संस्थाएं व कारोबारी बोर्ड में पंजीकृत हैं। जैव विविधता अधिनियम के प्रविधानों के अनुसार जैव संसाधनों के व्यावसायिक के उपयोग करने पर संबंधित कंपनी, संस्था व कारोबारी अपने वार्षिक लाभांश में से 0.5 से लेकर तीन फीसद तक की हिस्सेदारी जैव विविधता समितियों (बीएमसी) को देंगे। यह राशि बोर्ड के माध्यम से दी जाती है। बोर्ड के पास यह राशि वर्षों से जमा है, मगर इसका वितरण नहीं हो पाया है। प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए कि विशेषज्ञ समिति का गठन कर मार्च के अंत तक सभी बीएमसी को यह राशि वितरित कर दी जाए।
बनेगा बोर्ड का ढांचा
जैव विविधता बोर्ड का अभी तक ढांचा भी तय नहीं हो पाया है। वन विभाग से ही बोर्ड में अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा रहा है और उनका वेतन भी विभाग से निकल रहा है। समीक्षा बैठक में बोर्ड के लिए बजट का प्रविधान करने के साथ ही उसके ढांचे का प्रस्ताव भी जल्द शासन को भेजने का निर्णय लिया गया। साथ ही कार्मिकों की सेवा नियमावली से संबंधित प्रस्ताव भी शासन को भेजने के निर्देश प्रमुख सचिव ने दिए। यह भी निर्णय हुआ कि जिला स्तर पर समन्वय के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन भी जल्द किया जाएगा।
जून तक पूर्ण होंगे पीबीआर
जैव संसाधनों के संरक्षण के लिए सभी शहरी व ग्रामीण निकायों में बीएमसी गठित की गई हैं। प्रत्येक बीएमसी को पीबीआर (पीपुल्स बायो डायवर्सिटी रजिस्टर) तैयार करना है, जिसमें संबंधित क्षेत्र के जैव संसाधनों का पूरा ब्योरा होना आवश्यक है। बीएमसी ने इन्हें तैयार तो किया है, मगर ये आधे-अधूरे हैं। बैठक में निर्णय लिया गया कि जून तक हर हाल में पीबीआर पूर्ण करा लिए जाएंगे। ये बात भी सामने आई कि कई बीएमसी के गठन के विधिवत प्रमाणपत्र नहीं मिले हैं। इस पर शहरी विकास विभाग को मार्च तक नगर निकाय और पंचायतीराज विभाग को अप्रैल तक त्रिस्तरीय पंचायतों में गठित बीएमसी से संबंधित प्रमाणपत्र मुहैया कराने के निर्देश दिए गए।
जैव विविधता दिवस पर प्रमुख स्थलों में होंगे कार्यक्रम
जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष एवं वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के मुताबिक बैठक में तय किया गया कि 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर राज्य के सभी प्रमुख स्थलों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा बोर्ड कर्मियों और बीएमसी प्रतिनिधियों के लिए वर्षभर का प्रशिक्षण कैलेंडर तैयार करने का निर्णय भी लिया गया।
आरओ भी दर्ज कर सकते हैं मामला
बोर्ड के अध्यक्ष भरतरी के मुताबिक जैव संसाधनों का व्यावसायिक उपयोग करने वाली कंपनियों, संस्थाओं व व्यक्तियों द्वारा बीएमसी को लाभांश देने में आनाकानी करने पर रेंज अधिकारी (आरओ) मामला दर्ज कर सकते हैं। इस संबंध में विभाग की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
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