कोरोना से लड़ने में टेलीमेडिसिन श्रेष्ठ है विकल्प, जानिए इससे जुड़े फायदे
कोरोना की समस्या से निपटने के लिए टेलीमेडिसिन उत्तम विकल्प हो सकता है। मनीष श्रीवास्तव ने बातचीत में टेलीमेडिसिन से जुड़े फायदे आदि के बारे में अनुभव साझा किए।
देहरादून, अशोक केडियाल। पूरी दुनिया में कोरोना कहर बरपा रहा है। हमारे देश में भी लोग लगातार कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। इस वायरस से बचाव व इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ एक ही उपाय है और वह है एक-दूसरे दूरी बनाए रखना। लेकिन यहां समस्या यह है कि मरीज का इलाज करने में जाने-अनजाने चिकित्सक मरीज के संपर्क में आ ही जाते हैं। जिससे उनके भी वायरस आदि से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए उत्तम विकल्प हो सकता है टेलीमेडिसिन। इस क्षेत्र में सफलतापूर्वक स्टार्टअप शुरू करने वाले मनीष श्रीवास्तव ने दैनिक जागरण से बातचीत में टेलीमेडिसिन से जुड़े फायदे आदि के बारे में अनुभव साझा किए।
आइआइटी से प्रशिक्षित मनीष श्रीवास्तव बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्टार्टअप की पहल से प्रभावित होकर विदेश से नौकरी छोड़कर अपने वतन आकर टेलीमेडिसिन और हेल्थ सेक्टर पर फोकस किया और देश में सस्ती व सुलभ ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा शुरू करने का निर्णय लिया। अपने आइआइटी व आइआइएम के सहपाठियों के साथ मिलकर टेलीमेडिसिन स्टार्टअप तैयार किया, जो देश के दूरस्थ गांवों में रह रहे लोगों के लिए भी संजीवनी बन रहा है।
वह कहते हैं कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए टेलीमेडिसिन एक बेहतर विकल्प हो सकता है। टेलीमेडिसिन के जरिये बिना मरीज से मिले डॉक्टर मरीज की रिपोर्ट की जांच कर सकते हैं और यह पता लगा सकते हैं कि रोगी को अब कैसे इलाज की जरूरत है। इससे मरीज चिकित्सक के संपर्क में नहीं आएगा और कोरोना जैसे वायरस के फैलने का खतरा भी कम होगा।
भविष्य में बढ़ेगी उपयोगिता
मनीष श्रीवास्तव कहते हैं कि कोविड-19 संक्रमण के कंट्रोल के बाद के समय में भी टेलीमेडिसिन की उपयोगिता कम नहीं होगी। क्योंकि हर डॉक्टर चाहेगा कि उसके पास रोगियों की भीड़ न लगे। इसके लिए उन्होंने एक एप तैयार किया है, जिसकी मदद से मरीज चिकित्सकों से जुड़ सकते हैं और किसी भी प्रकार की बीमारी के इलाज पता कर सकते हैं।
अन्य डॉक्टर भी जुड़ें टेलीमेडिसिन से
मनीष कहते हैं कि देशभर में कई चिकित्सक तो कोरोना संक्रमण पीड़ित व्यक्ति के इलाज में जुटे है, लेकिन हजारों की संख्या में वे चिकित्सक भी हैं, जो स्पेशिलिटी रखते हैं। लेकिन उनके पास आजकल पेशेंट नहीं हैं। क्योंकि अस्पतालों में शारीरिक दूरी के कारण अन्य रोगी नहीं आ रहे। ऐसे मरीजों और चिकित्सकों के लिए टेलीमेडिसिन बहुत उपयोगी है। इसके लिए अन्य चिकित्सकों को टेलीमेडिसिन से जुड़ने की आवश्यकता है।
टेलीमेडिसिन को पीएचसी तक पहुंचाने का सपना
मनीष श्रीवास्तव कहते हैं कि उनका प्रयास है कि वह उत्तराखंड के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक टेलीमेडिसिन को जोड़ें। ताकि गांवों के लोग सीधे अपने मोबाइल एप से टेलीमेडिसिन का लाभ ले सकें। इस पूरी प्रोसेस पर काम चल रहा है। आने वाले कुछ दिनों में टेलीमेडिसिन का रोडमैप आमजन के सामने रखा जाएगा।
रास्ते की कठिनाइयां
टेलीमेडिसिन को सफल बनाने के लिए कठिनाइयां भी बहुत हैं। जैसे इस कार्य में जरूरी संसाधनों को जुटाने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता है। दूसरी तरफ चिकित्सकों की आदतों को बदल पाना भी बहुत ही मुश्किल है। इन सबके साथ सरकार और स्वास्थ्य विभाग को जोड़ना भी जरूरी है।