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उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में धांधली, स्पेशल ऑडिट में हुआ खुलासा

प्रदेश के तकनीकी विश्वविद्यालय ने नियुक्तियों में धांधली वित्तीय गड़बड़ियों में चौंकाने वाले कारनामों को अंजाम दिया है। स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में यह धांधली उजागर हुई।

By Edited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 11:45 AM (IST)
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में धांधली, स्पेशल ऑडिट में  हुआ खुलासा
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में धांधली, स्पेशल ऑडिट में हुआ खुलासा

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश के तकनीकी विश्वविद्यालय ने शिक्षा और शोध में गुणवत्ता के मोर्चे पर भले ही नाकामी दर्ज की, लेकिन नियुक्तियों में धांधली, वित्तीय गड़बड़ियों में चौंकाने वाले कारनामों को अंजाम दिया है। नियमों को ताक पर अवैध तरीके से की गई नियुक्तियों और सामान खरीद से विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपये का चूना लगा है। 

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विश्वविद्यालय के तीन संघटक कॉलेजों देहरादून, पिथौरागढ़ और गोपेश्वर में 13.61 करोड़ के उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गई हैं। उपकरणों की खरीद में लागत से 126.87 फीसद ज्यादा खर्च किया गया।

महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (डब्ल्यूआइटी) देहरादून में 50.40 लाख से कंप्यूटर खरीद में धांधली हुई। तकनीकी विश्वविद्यालय के स्पेशल ऑडिट में धांधली का खुलासा हुआ है। तकनीकी विश्वविद्यालय में पीएचडी उपाधि में धांधली की राजभवन के निर्देश पर जांच चल रही है। 

ऐसे में स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में धांधली उजागर होने से विश्वविद्यालय की मुसीबतें और बढ़ना तय है। सरकार ने एक अप्रैल, 2014 से 31 जुलाई, 2017 अवधि तक विश्वविद्यालय का स्पेशल ऑडिट कराया। यह रिपोर्ट तकनीकी शिक्षा अपर मुख्य सचिव और तकनीकी विश्वविद्यालय और निदेशालय को भेजी जा चुकी है। 

इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रवक्ता के पद पर मात्र छह माह की सेवा वाले एक शिक्षक को उप परीक्षा नियंत्रक जैसे महत्वपूर्ण पद पर गलत तरीके से प्रतिनियुक्ति पर तैनाती दी गई। गलत नियुक्ति के परिणाम स्वरूप वेतन आदि मदों में 26.40 लाख रुपये का नुकसान हुआ। बगैर विशेष कार्याधिकारी के पदों को सृजित किए प्रतिनियुक्ति पर की गई तैनाती के रूप में 103.97 लाख रुपये का अनियमित भुगतान करना पड़ा। 

रिपोर्ट में यह उल्लेख भी है कि शासनादेश को ताक पर रखकर प्रतिनियुक्ति पर कार्मिकों की तैनाती से 21.31 लाख, सहायक परीक्षा नियंत्रक पद पर गलत नियुक्ति के नियत वेतनमान के लिए 10.99 लाख का भुगतान किया गया। नियमित कार्मिकों की नियमावली और पद सृजित न होने के बावजूद मनमाने तरीके से पदोन्नति पदोन्नतियां की गईं। 

खरीद और भुगतान में गड़बड़ी का आलम ये रहा कि न प्रोक्योरमेंट नियमों को दरकिनार कर बगैर निविदा के ही 1.94 लाख रुपये के ओएमआर परीक्षा फार्म छापे गए। निविदा के बगैर सामग्री खरीदी गई और 83.03 लाख का अनियमित भुगतान किया गया। डब्ल्यूआइटी देहरादून में कंप्यूटर खरीद के लिए 50.40 लाख की राशि का भुगतान कॉलेज फंड के बजाय विश्वविद्यालय निधि से किया गया। 

यूं की गई मनमाने तरीके से अनियमितताएं 

-प्रोक्योरमेंट नियमों के बजाय मनमाने तरीके से 11.76 लाख का सामान खरीदा गया। वर्ष 2015-16 से 93.67 लाख की लागत से उत्तरपुस्तिकाओं की छपाई में अनियमितता पाई गई। 

-12.84 लाख राशि से वाहन खरीद में भी गड़बड़ी मिली। वित्त समिति की मंजूरी के बगैर 38.33 लाख का इस्टीमेट बनाया। 

-विश्वविद्यालय के तीन संघटक कॉलेजों में वित्तीय अधिकार से ज्यादा की मंजूरी और अनुबंध के बगैर 13.61 करोड़ के उपकरण खरीदे गए। करीब छह करोड़ की अनुमानित लागत वाले उक्त उपकरणों को अतिरिक्त 761.24 लाख देकर खरीदा गया। विश्वविद्यालय संबद्धता शुल्क की वसूली नहीं कर पाया।

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