छात्रों की शरारत पर गुस्सा नहीं प्यार से समझाएंगे शिक्षक, पढ़िए पूरी खबर
छात्रों की शरारतों पर स्कूल में शिक्षक अब गुस्सा नहीं कर सकेंगे। बल्कि उन्हें उनकी गलतियों को सुधारने के लिए प्यार से समझाना होगा।
देहरादून, जेएनएन। छात्रों की शरारतों पर स्कूल में शिक्षक अब गुस्सा नहीं कर सकेंगे। बल्कि उन्हें उनकी गलतियों को सुधारने के लिए प्यार से समझाना होगा। सीबीएसई ने स्कूलों को एंगर फ्री जोन बनाने की कवायद शुरू की है। इस संबंध में सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी ने स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
सीबीएसई की ओर से स्कूलों को जारी नोटिस में गुस्से से होने वाले दुष्प्रभावों का जिक्र करते हुए बोर्ड ने शिक्षकों व छात्रों को गुस्सा न करने की सलाह दी है। कहा कि स्कूलों को एक बेहतर जगह बनाने की जरूरत है। गुस्से के कारण शरीर और जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। ऐसे में गुस्से से जितना दूर रहा जाए उतना अच्छा। सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक रणबीर सिंह ने बताया कि बच्चे सबसे जल्दी सीखते हैं।
अगर स्कूलों में ही छात्रों को गुस्सा न करना सिखा दिया जाएगा तो समाज में अपने आप ही बदलाव आ जाएगा। बताया कि बच्चों को अपने घर और समाज के लोगों से भी गुस्सा न करने की सलाह देने की अपील की जाएगी। रणबीर सिंह ने बताया कि देहरादून जोन के 12500 सीबीएसई स्कूलों को इस संबंध में पत्र भेज दिया गया है।
इन बातों पर अमल करना होगा
सीबीएसई ने अपने नोटिस में यह बात साफ की है कि बच्चों के साथ गुस्सा न कर प्यार से मुस्कुराते हुए बात करनी होगी। अपने अन्य सहयोगियों व शिक्षकों से भी प्यार से बर्ताव करना होगा। फोन का इस्तेमाल कम से कम करना होगा। रोजाना खुद के बारे में 20 मिनट विचार करना होगा।
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अनुभव का रिकॉर्ड रखना होगा
अभियान के तहत स्कूलों में रिसेप्शन पर 'दिस इज ए एंगर फ्री जोन' के पोस्टर लगाए जाएंगे। वहीं स्कूल की प्रार्थना व अन्य सभाओं में खुशी बांटनी होगी। स्कूलों को बच्चों के अनुभव का रिकॉर्ड तैयार करना होगा, साथ ही इसमें होने वाले बदलाव का भी रिकॉर्ड तैयार करना होगा। सुधार करने वाले स्कूलों व छात्रों को इनाम भी दिए जाने का प्रावधान बनाया गया है।
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