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    उत्‍तराखंड में संस्कृत शिक्षा में बदलेगा प्रश्नपत्रों का स्वरूप, पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 28 Dec 2019 01:26 PM (IST)

    उत्‍तराखंड के संस्कृत स्कूलों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिए संस्कृत शिक्षा विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। नित नई योजनाएं तैयार की जा रही हैं।

    उत्‍तराखंड में संस्कृत शिक्षा में बदलेगा प्रश्नपत्रों का स्वरूप, पढ़िए पूरी खबर

    देहरादून, आयुष शर्मा। प्रदेश के संस्कृत स्कूलों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिए संस्कृत शिक्षा विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। नित नई योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इसी क्रम में अब विभाग ने प्रश्नपत्रों का स्वरूप बदलने का फैसला किया है। जो आधुनिक परीक्षा पद्धति पर आधारित होगी।

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    प्रदेश में 54 संस्कृत विद्यालय हैं। जिनमें दो हजार से ज्यादा छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन स्कूलों में लंबे समय से पुराने पैटर्न पर ही परीक्षा कराई जा रही है। जिसमें 20-20 नंबर के पांच निबंधात्मक शैली के प्रश्न पूछे जाते हैं। संस्कृत शिक्षा निदेशक एसपी खाली ने बताया कि अब परीक्षाओं में निबंधात्मक प्रश्नों के साथ बहुविकल्पीय, अतिलघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय सवाल भी पूछे जाएंगे। नया परीक्षा पैटर्न इसी साल से लागू कर दिया जाएगा।

    सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा डॉ. संजू ध्यानी ने बताया कि नया परीक्षा पैटर्न छात्रों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने में कारगर साबित होगा। इससे छात्रों को बोर्ड परीक्षा के साथ नेट, पीएचडी, पीसीएस समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी मदद मिलेगी।

    मूल्यांकन में भी बदलाव

    संस्कृत शिक्षा परिषद के सचिव भूपेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि अनिवार्य व्याकरण, अनिवार्य साहित्य, नव्य व्याकरण, प्राचीन व्याकरण, साहित्य, ज्योतिष, वेद और दर्शन विषय के प्रश्नपत्रों का स्वरूप अब बदला हुआ होगा। इनकी परीक्षा में दो-दो नंबर के 10 बहुविकल्पीय, दो-दो नंबर के 10 अति लघु उत्तरीय, तीन-तीन नंबर के 10 लघु उत्तरीय, चार-चार नंबर के पांच दीर्घ उत्तरीय और 10 नंबर का एक निबंधात्मक प्रश्न पूछा जाएगा। अर्द्धवार्षिक परीक्षा पुराने पैटर्न पर ही आधारित थी। लेकिन, प्री-बोर्ड परीक्षा से नई प्रणाली लागू होगी।

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    मासिक परीक्षाओं पर भी विचार

    संस्कृत शिक्षा विभाग स्कूलों में मासिक परीक्षाएं कराने पर भी विचार कर रहा है। अगले शैक्षणिक सत्र में यह व्यवस्था शुरू की जा सकती है।

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