स्थानांतरण पर एक तरफा निर्णय उचित नहीं, सरकार को सभी पक्षों से करना चाहिए था विचार विमर्श
प्रदेश सरकार इस वर्ष तबादला सत्र शून्य करने पर मुहर लगा चुकी है। प्रदेश के शिक्षक सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। प्रदेश सरकार इस वर्ष तबादला सत्र शून्य करने पर मुहर लगा चुकी है। प्रदेश के शिक्षक सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार ने बिना व्यवहारिक पक्ष जाने एकतरफा निर्णय लिया है। सरकार को सभी पक्षों से विचार विमर्श के बाद इस पर फैसला लेना चाहिए था।
बुधवार को शासन ने इस साल तबादला सत्र शून्य करने के आदेश जारी कर दिए। शिक्षक संगठनों ने इस पर विरोध जताते हुए सरकार से सत्र शून्य ना करने की मांग की। शिक्षकों का कहना है कि सरकार को फिलहाल ऑनलाइन माध्यम से प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। बाद में हालात सामान्य होने पर शिक्षकों की पदस्थापना की जा सकती है। तबादला सत्र शून्य होने से सर्वाधिक प्रभावित वे शिक्षक हैं, जो सालों से अपने तबादलों का इंतजार कर रहे हैं।
इनमें कई शिक्षक एक ही स्कूलों में 15 से 20 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि पहले ही अव्यवहारिक तबादला एक्ट लागू कर प्रदेश में तबादलों में पारदर्शिता खत्म कर दी गई है। एक्ट में 10 फीसद लोगों के तबादले का प्रावधान है। लेकिन उसमें भी सभी 10 फीसद तबादले नहीं किए जाते हैं। ऐसे में तबादला सत्र शून्य होने से इतनी संभावना भी खत्म हो जाएगी। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी ने कहा कि स्थानांतरण एक्ट लागू होने के बाद से ही तबादलों में गड़बड़ी चल रही है।
अपने चहेतों को उनकी पसंदीदा जगह पर रोके रखने के लिए हर साल तबादलों में पारदर्शीता देखी जा सकती है। सरकार के इस फैसले से तकरीबन 60000 शिक्षक सीधे प्रभावित हो रहे हैं। सरकार को विभाग में ऑनलाइन व्यवस्था बनाकर पदस्थापना से पहले की सारी कार्रवाई करने के निर्देश देने चाहिए। जिससे हालात सामान्य होने पर शिक्षक नई जगह ड्यूटी ज्वाइन कर सकें।
सोहन सिंह माझिला (महामंत्री, राजकीय शिक्षक संघ) का कहना है कि शिक्षक सालों से तबादलों के इंतजार में हैं। ऐसे में सरकार को विभाग में तबादलों की छूट देनी चाहिए। विभाग सभी प्रक्रियाएं पूरी कर इस साल के तबादलों की सूची जारी कर शिक्षक को मौजूदा स्कूल में ही रोक सकता है। शिक्षक स्थिति सामान्य होने पर ही नई जगह ज्वाइनिंग लेंगे। इसके लिए शिक्षक यात्र भत्ते की मांग नहीं करेंगे।
यह भी पढ़ें: राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी भंग, शिक्षा निदेशक ने जारी किए आदेश
राजेंद्र बहुगुणा (प्रान्तीय महामंत्री जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उत्तराखंड) का कहना है कि तबादला सत्र पूर्ण तरीके से शून्य होने से वर्षो से दुर्गम एवं अन्य कारणों से स्थानांतरण की आस लगाए कर्मचारियों और शिक्षकों के हाथ निराशा लगी है। धारा 27 मे स्थानान्तरण का लाभ तो कुछ व्यक्ति विशेष को ही मिल पायेगा। सरकार को शिक्षा विभाग में तबादलों की अनुमति देनी चाहिए। जिससे कार्मिकों को इसका लाभ मिल सके।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड इस साल नहीं होंगे कर्मचारियों के तबादले, शासन घोषित किया शून्य सत्र