सड़क की आस में पथराई इस गांव के लोगों की आंखें, जानिए
साहिया के तारली गांव के लोगों की आंखें सड़क के इंतजार में पथरा गर्इ हैं। आजादी के बाद भी इस गांव में सड़क नहीं पहुंच पार्इ है।
साहिया, जेएनएन। आजादी के 72 साल बाद भी जौनसार बावर क्षेत्र का तारली गांव सड़क से नहीं जुड़ पाया है। यहां 23 परिवारों की करीब 450 की आबादी है, जो हर दिन पीठ पर सामान ढ़ोने को मजबूर है। हर चुनाव में पार्टी प्रत्याशी गांव को सड़क से जोड़ने का भरोसा देकर जाते हैं, लेकिन चुनाव संपन्न होने के बाद फिर से यहां झांकने तक नहीं आते हैं। इस कारण लोगों में काफी रोष भी है।
साहिया क्षेत्र में पड़ने वाला तारली गांव मुख्य सड़क से करीब तीन किमी दूर है। यहां हर रोज ग्रामीण पगडंडीनुमा रास्ते पर पीठ पर सामान ढ़ोते हैं। जबकि कृषि उपज को घोड़े-खच्चरों की सहायता से सड़क तक पहुंचाते हैं। इस कारण किसानों को उपज का सही मुनाफा भी नहीं मिल पाता है।
ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी समस्या पहुंचाकर तारली को सड़क से जोड़ने की गुहार लगाई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। गांव स्याणा के ग्रामीणों ने कहा कि तारली गांव के लिए मुख्य मार्ग से तीन किलोमीटर की खड़ी चड़ाई नापनी पड़ती है।
उनका कहना है कि हर पांच साल बाद विधान सभा और लोक सभा चुनाव के दौरान गांव में हर पार्टी के नेता प्रचार करने आते हैं। ग्रामीणों से बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही तारली गांव की सड़क किसी को याद नहीं रहती। इसलिए ग्रामीणों को में काफी नाराजगी भी है। उन्होंने शासन प्रशासन से गांव को सड़क से जोड़ने की मांग की है।
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