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    कोरोनाकाल के सबसे विकट दौर में जरूरतमंदों के पालनहार बने प्रो. पुरोहित, इस तरह की मदद

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sat, 23 Jan 2021 09:26 AM (IST)

    Tantra Ke Gan Teacher कोरोनाकाल के सबसे विकट दौर में जब कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद थे। लॉकडाउन के कारण बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ था। तब हमारे कई शिक्षक कोरोना योद्धा के रूप में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भोजन का प्रबंध करने में जुटे हुए थे।

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    कोरोनाकाल के सबसे विकट दौर में जरूरतमंदों के पालनहार बने प्रो. पुरोहित।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। Tantra Ke Gan Teacher कोरोनाकाल के सबसे विकट दौर में जब कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद थे। लॉकडाउन के कारण बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ था। तब हमारे कई शिक्षक कोरोना योद्धा के रूप में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भोजन का प्रबंध करने में जुटे हुए थे। यह कोरोना योद्धाओं का परिश्रम और जज्बा ही था, जिसकी बदौलत लॉकडाउन के दौरान कोई भी असहाय व्यक्ति भूखा नहीं सोया। ऐसे ही कोरोना योद्धा हैं दून विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष और अधिष्ठाता छात्र प्रो. एचसी पुरोहित।

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    कोरोना संक्रमण के प्रसार में एकाएक तेजी आने पर 24 मार्च 2020 से देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था। संक्रमण को देखते हुए सभी शिक्षा संस्थान बंद कर दिए गए थे। छात्रवास भी खाली करा दिए गए। उद्योग-धंधे भी बंद हो गए। बाजार में सन्नाटा पसर गया। इससे तमाम नौकरीपेशा और मजदूरों को रोजगार छिन गया था। बचत के सहारे कुछ दिन तो गुजर गए, लेकिन फिर इन परिवारों पर दो वक्त की रोटी का भी संकट छा गया। ऐसे में कई कोरोना योद्धा मसीहा के रूप में उनकी मदद के लिए आगे आए। दून में प्रो. एचसी पुरोहित ने भी ऐसे जरूरतमंदों को दोपहर का भोजन मुहैया कराने का बीड़ा उठाया। 

    प्रो. पुरोहित की पहल पर विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक भी इस नेक काम में मदद के लिए आगे आए। सभी ने मिलकर धनराशि एकत्र कर ली, मगर भोजन पकाने के लिए जगह की कमी आड़े आ गई। ऐसे में प्रो. पुरोहित ने विश्वविद्यालय के छात्रवास को किचन का रूप दे दिया। इसके बाद दून विश्वविद्यालय के छात्रवास में एक मई से लगातार 60 दिन तक हर रोज दो सौ लोग के लिए भोजन पकता रहा, जिसे थानों और चौकियों की मदद से जरूरतमंदों तक पहुंचाया गया। प्रो. एचसी पुरोहित बताते हैं कि वह लॉकडाउन के दौरान हर रोज सुबह करीब 10 बजे विवि के छात्रवास पहुंच जाते थे। वहां दोपहर ढाई बजे तक अपने सामने भोजन तैयार कराते और फिर उसे पैक कराते थे। इसके बाद भोजन को जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाता था। इस तरह प्रो. पुरोहित और उनकी टीम ने करीब दो महीने में 15 हजार जरूरतमंदों को भोजन मुहैया कराया। 

    प्रो. पुरोहित बताते हैं कि कोरोनाकाल में शहर में कहीं भी दिहाड़ी मजदूरी नहीं हो रही थी। सभी प्रतिष्ठान भी बंद थे। इससे सबसे अधिक परेशानी गरीब और मजदूर परिवारों को हुई। दो वक्त के भोजन का प्रबंध भी उनके लिए बड़ी चुनौती था। विश्वविद्यालय परिवार ने मदद का हाथ बढ़ाकर उनकी इस चुनौती को स्वीकारा। भोजन सामग्री खरीदने में विश्वविद्यालय के प्रो. हर्ष डोभाल, सहायक कुलसचिव नरेंद्र लाल, अभिनव जोशी, पल्लवी बिष्ट, प्रो. आरसी डंगवाल, डॉ. सुनीत नैथानी, प्रशांत मेहता आदि ने आर्थिक सहयोग किया।

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