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    Tantra Ke Gan: कोरोना के खिलाफ तन-मन और धन से जुटे रहे शिक्षक चंद्रमोहन, जानिए उनके बारे में

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Fri, 22 Jan 2021 08:03 AM (IST)

    Tantra Ke Gan कोरोना के सबसे विकट दौर में जब स्कूल-कॉलेज बंद थे और लोग घरों में कैद होने को मजबूर थे तब हमारे कोरोना योद्धा अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। ऐसे ही जुनूनी योद्धाओं के बूते आज कोरोना हारने लगा है।

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    तंत्र के गण: कोरोना के खिलाफ तन-मन और धन से जुटे रहे शिक्षक चंद्रमोहन।

    सुमन सेमवाल, देहरादून। Tantra Ke Gan कोरोना संक्रमण के सबसे विकट दौर में जब स्कूल-कॉलेज बंद थे और लोग घरों में कैद होने को मजबूर थे, तब हमारे कोरोना योद्धा अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। ऐसे ही जुनूनी योद्धाओं के बूते आज कोरोना हारने लगा है और उम्मीद जीत रही है। ऐसे ही कोरोना योद्धा हैं, बेसिक स्कूल के शिक्षक चंद्रमोहन नैथानी।

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    रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि स्थित बेसिक स्कूल ककोला के प्रधानाध्यापक चंद्रमोहन नैथानी मार्च माह से ही अपने क्षेत्र के कोविड-19 के नोडल अधिकारी हैं। उनका काम वैसे तो बाहर से आए व्यक्तियों की निगरानी करना, उनकी जांच करवाना और संक्रमण पाए जाने पर संबंधित को अस्पताल या कोविड सेंटर पहुंचाने का रहा है, मगर उन्होंने इससे आगे बढ़कर सामाजिक दायित्व निभाया।

    कोरोना संक्रमण को देखते हुए नागरिकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो सके, इसके लिए उन्होंने निजी खर्च पर होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम की 25 हजार शीशियां खरीदीं और घर-घर जाकर उन्हें बांटने का काम किया। इस काम में कक्षा पांच में पढ़ने वाले उनके बेटे दिव्यांश ने भी हाथ बंटाया। पिता-पुत्र के ऐसे सेवाभाव को देखते हुए नगर पंचायत अगस्त्यमुनि ने चंद्रमोहन नैथानी को प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया है। 

    प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अभी छात्रों को कॉपी-किताबें नहीं बांटी जा सकी हैं, मगर जिस स्कूल में चंद्रमोहन प्रधानाध्यापक हैं। वहां सभी छात्र-छात्राओं को कॉपी-किताबों के साथ ही सभी तरह की स्टेशनरी वितरित कर दी गई है। इन सबके लिए चंद्रमोहन ने सरकार से मिलने वाले बजट का इंतजार नहीं किया और निजी खर्च पर ही छात्रों को यह सुविधा प्रदान कर दी। चंद्रमोहन नैथानी का कहना है कि सरकारी सेवक के साथ वह एक नागरिक हैं और उनके सामाजिक दायित्व भी हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वह सिर्फ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। 

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