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टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग के निर्माण का काम पुराने ठेकेदार को, जानिए वजह

सरकार ने सामरिक महत्व के टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग के निर्माण में आ रही अड़चनों को देखते हुए इसके निर्माण का कार्य फिर से पुराने ठेकेदार को देने का निर्णय लिया है।

By Edited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 10:36 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 07:53 PM (IST)
टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग के निर्माण का काम पुराने ठेकेदार को, जानिए वजह
टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग के निर्माण का काम पुराने ठेकेदार को, जानिए वजह

देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार ने सामरिक महत्व के टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग के निर्माण में आ रही अड़चनों को देखते हुए इसके निर्माण का कार्य फिर से पुराने ठेकेदार को देने का निर्णय लिया है। शर्त यह रखी गई है कि ठेकेदार आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के निर्देश पर सरकार से लिए जाने वाले सात करोड़ रुपये छोड़ देगा। विभाग जल्द ही इस मामले में आपसी सुलह-समझौते का पंजीकृत करार करेगा। इसके साथ ही सरकार ने अपने विधायक पूरण सिंह फर्त्याल की नाराजगी को भी दरकिनार कर दिया। वह इस मामले में कोर्ट में अपील करने की मांग कर रहे हैं। 

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विधायक पूरण सिंह फर्त्याल की शिकायत पर की गई जांच के बाद ही पूर्व में ठेकेदार के साथ अनुबंध निरस्त किया गया था। भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने सामरिक महत्व के टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग के निर्माण को स्वीकृति दी हुई है। यह स्वीकृति वर्ष 2016 में दी गई थी। यह कार्य मैसर्स दिलीप सिंह अधिकारी के नाम वर्ष 2017 में आवंटित हुआ। इस बीच भाजपा विधायक पूरण सिंह फत्र्याल द्वारा ठेकेदार के रजिस्ट्रेशन की वैधता को लेकर की गई शिकायत पर शासन ने मामले की जांच कराई। जांच के बाद दिलीप सिंह अधिकारी का अनुबंध निरस्त कर दिया गया। इस पर ठेकेदार ने पहले हाई कोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। 
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रेशन निरस्त करने पर स्थगनादेश पारित कर दिया। अभी यह मामला लंबित चल रहा है। इस बीच आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल में भी मामले की सुनवाई चली। इसी वर्ष जून में ट्रिब्यूनल ने अनुबंध निरस्तीकरण को गलत ठहराया और सरकार को फिर से ठेकेदार के साथ अनुबंध करने को कहा। साथ ही ठेकेदार को सात करोड़ रुपये के भुगतान का आदेश दिया। इसके अलावा सक्षम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती देने के लिए तीन माह का भी समय दिया। इस बीच सरकार ने इस मामले में गहन मंथन किया। यह बात सामने आई कि अगर मामला फिर से कोर्ट में जाता है तो यह लंबित हो जाएगा और परियोजना की लागत भी कई गुना बढ़ जाएगी। 
आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के निर्णय को चुनौती देने पर भी प्रकरण के निस्तारण में अधिक समय लग सकता है। ऐसे में इस मार्ग को शीघ्र पूरा करने के लिए शासन ने ठेकेदार दिलीप सिंह अधिकारी के पक्ष में अनुबंध बहाल करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक दर्शन सिंह रावत ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि मार्ग की सामरिक दृष्टि से अहमियत और राज्यहित को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

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