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पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री से वार्ता बेनतीजा, कर्मचारी और सरकार आमने-सामने

देर रात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुलाया। करीब पौन घंटा चली वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 07:43 AM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 07:43 AM (IST)
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री से वार्ता बेनतीजा, कर्मचारी और सरकार आमने-सामने
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री से वार्ता बेनतीजा, कर्मचारी और सरकार आमने-सामने

देहरादून, राज्य ब्यूरो। बजट सत्र से पहले कर्मचारियों को मनाने की सरकार की कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाईं। देर रात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुलाया। करीब पौन घंटा चली वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। हालांकि सीएम ने कर्मचारियों का पक्ष सुनने के बाद जल्द निर्णय लेने का भरोसा दिलाया। वहीं पदोन्नति में आरक्षण के मसले पर कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन के निर्णय को बरकरार रखा है। उधर, कर्मचारियों के हड़ताल के आह्वान को देखते हुए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी सचिवों व विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर ऐसे सक्षम अधिकारी नियुक्त करने को कहा है जो सत्र के दौरान वांछित सूचनाएं उपलब्ध करा सकें।

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पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए निर्णय को लागू करने की मांग को लेकर कर्मचारी आंदोलनरत हैं। शनिवार को कर्मचारियों ने पदोन्नति में रोक हटाने का आदेश न होने की सूरत में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए अल्टीमेटम भी दिया हुआ है। यहां तक कि दो मार्च को सुबह नौ बजे तक मामले में सरकार द्वारा सकारात्मक जवाब न मिलने पर गैरसैंण कूच का भी आह्वान किया गया है। शनिवार देर रात मुख्यमंत्री ने जनरल ओबीसी इंप्लाइज यूनियन के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कर्मचारियों से सत्र के मद्देनजर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अपना पक्ष रखते हुए सरकार से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करने का अनुरोध किया। दूसरे प्रदेशों से आए जनरल-ओबीसी एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री के सामने कर्मचारियों का पक्ष रखा। मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद जनरल ओबीसी इंप्लाइज यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री के सामने कर्मचारी अपना पक्ष रख चुके हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में जल्द निर्णय लेने की बात कही है।

वहीं, आंदोलन को देखते हुए सरकार एहतियात भी बरत रही है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इसके लिए बकायदा एक पत्र जारी किया है। इसमें कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का जिक्र करते हुए विभागीय अधिकारियों से सत्र के दौरान विभागीय सूचना उपलब्ध कराने के लिए सक्षम अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि कर्मचारियों से लगातार बातचीत की जा रही है। आगे भी बातचीत के दरवाजे खुले हैं। 

वेतन रोको या जेल भेजो, नहीं रुकेगी हड़ताल, जनरल-ओबीसी कर्मचारी अडिग

सरकार के सख्त तेवर के बाद जनरल-ओबीसी कर्मचारियों ने भी खुली चुनौती देते हुए एलान किया कि चाहे वेतन रोका जाए या जेल में डाल दिया जाए, हड़ताल तो अब तभी वापस होगी, जब बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली का शासनादेश उनके हाथ में होगा। शनिवार को उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक से आए कर्मचारी नेताओं ने भी जोश भरते हुए कहा कि यह आखिरी मौका है। यदि अब कमजोर पड़े तो आने वाली पीढ़ियां उन्हें माफ नहीं करेंगी। वहीं, उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने कहा कि दो मार्च से विभागों में तालाबंदी कर हड़ताल पर जाने के साथ तीन मार्च को गैरसैंण कूच करेंगे। शनिवार को दिन भर के प्रयास के बाद देर रात कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से वार्ता तो हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

यमुना कॉलोनी स्थित मनोरंजन सदन में अन्य राज्यों से देहरादून पहुंचे कर्मचारी नेताओं और उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन की बैठक में बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली को लेकर चल रहे आंदोलन की रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। यहां बंगलुरु से आए अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई.एम नागराज ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण खत्म कराना उनके जीवन का उद्देश्य है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफ कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। यह राज्य सरकार को तय करना है कि वह पदोन्नति में आरक्षण देती है, या नहीं।

अब सरकार एससी-एसटी वर्ग को नाराज न करने की मंशा रखते हुए लोकसभा में बिल लाना चाहती है। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान इस बात को बार-बार दोहरा रहे हैं। इसे लेकर पूरे देश में आंदोलन होगा। पंजाब के जनरल कैटेगरी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सरबजीत सिंह कौशल ने कहा कि हड़ताल पर जाने से रोकने को सरकार कई तरह से डराएगी, लेकिन यह लड़ाई सामाजिक और संवैधानिक अधिकारों की है। सर्वजन हिताय रक्षण समिति उत्तर प्रदेश के संयोजक ई.एचएन पांडेय व उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष ई.भूपेंद्र उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड के जनरल-ओबीसी कर्मचारियों की लड़ाई में उत्तर प्रदेश के सोलह लाख कर्मचारी साथ हैं। दो मार्च को लखनऊ समेत देश के तमाम राज्यों में विरोध-प्रदर्शन होगा। किसान यूनियन पंजाब के महासचिव भोग सिंह ने कहा कि कर्मचारियों के हक की यह लड़ाई अब हर जनरल-ओबीसी की लड़ाई है, जिसमें उनका संगठन हर तरह से सहयोग करेगा।

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उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली के मुद्दे को सरकार ने राष्ट्रीय स्तर का बनाते हुए केंद्रीय नेतृत्व के आदेश का इंतजार कर रहा है। जबकि यह मामला विशुद्ध रूप से राज्य सरकार का है। लिहाजा हमने भी ठान लिया है कि कुछ भी हो हड़ताल वापस तब होगी, जब शासनादेश उन्हें मिल जाएगा। आरक्षण के विरोध की यह लड़ाई अब पूरे देश के जनरल-ओबीसी की लड़ाई बन गई है।

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