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    दून के एक हजार प्रतिष्ठानों पर लटकी सीलिंग की तलवार, एकमात्र विकल्प कंपाउंडिंग Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 09 Oct 2019 08:48 AM (IST)

    दून के करीब एक हजार व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर सीलिंग की तलवार लटकी है। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने शहरभर के इन प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं।

    दून के एक हजार प्रतिष्ठानों पर लटकी सीलिंग की तलवार, एकमात्र विकल्प कंपाउंडिंग Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। दून के करीब एक हजार व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर सीलिंग की तलवार लटकी है। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने शहरभर के इन प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं। यह कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश पर की गई है, क्योंकि इनका संचालन आवासीय नक्शे पर किया जा रहा है। अब ऐसे भवन स्वामियों के पास एकमात्र विकल्प कंपाउंडिंग ही बचा है।

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    एमडीडीए की ओर से सर्वाधिक नोटिस ऐसे प्रतिष्ठानों को भेजे गए हैं, जिनका भवन आवासीय नक्शे में पास है, जबकि इन पर कॉमर्शियल गतिविधियां चल रही हैं। हाईकोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे भवनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके अलावा फ्रंट सेटबैक को लेकर भी बड़ी संख्या में नोटिस जारी किए गए हैं। 

    दरअसल, जिन-जिन क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया, वहां बड़ी संख्या में भवनों के आगे का भाग अतिक्रमण के दायरे में आने पर ध्वस्त कर दिया गया। इससे जितना फ्रंट सेटबैक एक भवन के लिए चाहिए, उसमें काफी कमी आ गई है। लिहाजा, ये सभी भवन एमडीडीए के बिल्डिंग बायलॉज के लिहाज से अवैध हो गए हैं। 

    कई प्रतिष्ठान ऐसे भी हैं, जिनका हिस्से अतिक्रमण अभियान की भेंट चढ़ने के बाद पीछे बेहद कम जगह बच गई है। ऐसे में कई भवन कंपाउंडिंग की सीमा में भी नहीं आ पा रहे। लिहाजा, ऐसे भवनों के खिलाफ कभी भी एमडीडीए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर सकता है।

    वन टाइम सेटेलमेंट से बन सकती है बात

    जिन भवनों को एमडीडीए ने नोटिस जारी किए हैं, उनके लिए बचाव का एकमात्र रास्ता वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के जरिये कंपाउंडिंग का ही दिख रहा है। क्योंकि बिना मानकों को शिथिल किए कंपाउंडिंग भी संभव नहीं। इसके लिए भी कारोबारी कंपाउंडिंग स्कीम को भी पुरानी दर (जब भवन बने तब के सर्किल रेट) पर लाया जाए, ताकि सभी भवन स्वामी आसानी से अपने निर्माण को वर्तमान उपयोग के हिसाब से वैध करा सकें। 

    यह निर्णय भी सरकार स्तर पर ही लिया जाना संभव है। क्योंकि इसके लिए दोबारा से वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम लानी पड़ेगी। लिहाजा, बड़ी संख्या में कारोबारी विधायक व मंत्रियों के माध्यम से सरकार पर दबाव भी बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

    जाखन क्षेत्र में पहले सिर्फ आवासीय नक्शे होते थे पास

    एमडीडीए ने बड़ी संख्या में जाखन, मालसी व कुठालगेट क्षेत्र के ऐसे प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजे हैं, जिनका संचालन स्वीकृत नक्शे से भिन्न किया जा रहा है। हालांकि, कुछ साल पहले तक की भी बात करें तो इन क्षेत्रों में सिर्फ आवासीय नक्शे ही पास किए जाते थे। ऐसे में लोगों ने घर का नक्शा पास कराकर उसमें व्यापारिक गतिविधियां शुरू कर दीं। 

    हाईकोर्ट के आदेश से पहले अधिकारी जानकर भी चुप थे, मगर अब कार्रवाई करना जरूरी हो गया है। दूसरी तरफ यहां कई प्रतिष्ठान एमडीडीए के गठन वर्ष 1984 से भी पहले के हैं। कई भवन सर्वे ऑफ इंडिया के नक्शे में भी दर्ज हैं। ऐसे प्रतिष्ठानों को भी एमडीडीए कंपाउंडिंग के दायरे में ला रहा है।

    जाखन क्षेत्र के कारोबारी आज दुकानें रखेंगे बंद

    एमडीडीए की नोटिसी कार्रवाई के विरोध में जाखन, मालसी व कुठालगेट क्षेत्र के कारोबारी अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखेंगे। इस संबंध में हुई बैठक में कारोबारियों ने अपनी मांगें दोहराई। उन्होंने कहा कि एमडीडीए अपने नोटिस तत्काल वापस ले और सरकार को भी इस प्रकरण में हस्तक्षेप कर बीच का रास्ता निकालना चाहिए। क्योंकि एमडीडीए ने इस क्षेत्र में 300 से अधिक कारोबारियों को नोटिस जारी किए हैं। इसमें से बड़ी संख्या में व्यापारिक प्रतिष्ठानों का निर्माण दशकों पहले किया जा चुका है। ऐसे में अनाधिकृत निर्माण के नाम पर कारोबारियों का उत्पीड़न बंद किया जाना चाहिए। 

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    कंपाउंडिंग के बगैर नहीं मिलेगी रियायत 

    एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव के अनुसार, एमडीडीए ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं। ऐसे में बचाव का एकमात्र यह रास्ता है कि लोग अपने भवनों को कंपाउंड करा लें। इसके लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम का सहारा लिया जा सकता है। कंपाउंड भी अनुमन्य सीमा के भीतर किया जाएगा। इसके बिना किसी भी अवैध भवन को रियायत नहीं दी जाएगी।

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