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    Swatantrata ke Sarthi: लोक संगीत से टूटीं सामाजिक कुरीतियों की बंदिशें, नए युग की हुई शुरुआत

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Mon, 10 Aug 2020 09:07 PM (IST)

    Swatantrata Ke Sarthi विख्यात रंगकर्मी नंदलाल भारती ने लोक संगीत के माध्यम से समाज में फैली छुआछूत जैसी कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद कर नए युग की शुरुआ ...और पढ़ें

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    Swatantrata ke Sarthi: लोक संगीत से टूटीं सामाजिक कुरीतियों की बंदिशें, नए युग की हुई शुरुआत

    चकराता (देहरादून), चंदराम राजगुरु। Swatantrata Ke Sarthi जौनसार के खत उपलगांव से जुड़े टुंगरा में गरीब और बंधुवा श्रमिक परिवार में जन्मे विख्यात रंगकर्मी नंदलाल भारती ने लोक संगीत के माध्यम से समाज में फैली छुआछूत जैसी कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद कर नए युग की शुरुआत की। पिछले 30 वर्षों से लोक संगीत से जागरूकता की अलख जगा रहे जौनसारी समाज के इस रंगकर्मी को सरकार और सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया। इनकी रचनाएं लोक संस्कृति से विमुख हो रही युवा पीढ़ी को मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

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    जौनसारी संगीत के जनक की उपाधि से सम्मानित विख्यात रंगकर्मी नंदलाल भारती की पहचान लोक संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर है। जौनसार-बावर में प्रचलित संयुक्त परिवार की परंपरा को कायम रखने के साथ गरीबी से उठे रंगकर्मी नंदलाल भारती ने स्नातक की पढ़ाई के बाद विलुप्त हो रही लोक संस्कृति को जीवित रखने का बीड़ा उठाया। 90 के दशक में अपने संसाधनों से पहली बार बनी जौनसारी फिल्म जौनसार दर्शन और ऑडियो कैसेट के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोक संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया। इसके बाद रंगकर्मी नंदलाल ने लोक संस्कृति के संरक्षण को कई रचनाएं कीं। उनकी 111 रचनाएं आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से आमजन तक पहुंचीं। लोक संगीत के साथ रंगकर्मी नंदलाल ने समाज में फैली कई तरह की कुरीतियों को दूर करने और शोषित वर्ग को बंदिशों से बाहर निकालने को अपनी आवाज बुलंद की। 

    इसकी शुरुआत करीब डेढ़ दशक पहले सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल से अनुसूचित जाति की महिलाओं के मंदिर प्रवेश पर लगी रोक को हटाने के लिए आंदोलन कर सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि इस दौरान उन्हें सामाजिक प्रताडऩा भी झेलनी पड़ी, मगर शोषित समाज के हितों की रक्षा और अधिकार दिलाने के लिए वह किसी दबाव में नहीं आए। इससे समाज में क्रांतिकारी बदलाव के साथ नए युग की शुरुआत हुई, जिससे जाति-लिंग के भेदभाव की जंजीरों से मुक्त हुए समाज और महिलाओं को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति मिली।

    रंगकर्मी नंदलाल भारती ने सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जौनसार-बावर की परंपरागत लोक संस्कृति को पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। लोक संस्कृति के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान को लेकर उन्हें तीन बार गुरु शिष्य परंपरा की उपाधि से नवाजा गया। लोक संस्कृति के व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ही सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए रंगकर्मी नंदलाल ने कई नुक्कड़ नाटकों के जरिये सामाजिक चेतना लाई। उनकी रचनाओं को जौनसार, हिमाचल और गढ़वाल क्षेत्र के कई नामी कलाकारों ने अपनी आवाज दी है। लोक संस्कृति के प्रति उनके समर्पण और संघर्ष की सभी सराहना करते हैं। संस्कृति के संवाहक नंदलाल भारती को बेहद सरल और शांत स्वभाव के लिए भी जाना जाता है। लोक संस्कृति और सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें कई बड़े पुरस्कार मिले हैं।

    कई पुरस्कारों से सम्मानित हुए भारती

    जौनसारी लोक संस्कृति के संवाहक नंदलाल भारती को वर्ष 2001 से लेकर 2019 के बीच जौनसार गौरव सम्मान, दून रत्न सम्मान, देवभूमि रत्न सम्मान, लोक कला रत्न सम्मान, उत्तराखंड उदयकला श्री सम्मान, उत्तराखंड गौरव सम्मान और अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव सम्मान जैसे कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

    विश्व सांस्कृतिक महोत्सव में दी प्रस्तुति

    विख्यात रंगकर्मी नंदलाल भारती को विश्व सांस्कृतिक महोत्सव में प्रस्तुति देने का मौका मिला। वर्ष 2016 में 155 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के सम्मुख देशभर से जुटे 35 हजार कलाकारों के बीच प्रस्तुति देने का अवसर मिला। इस दौरान उन्होंने जौनसारी संस्कृति, रीति-रिवाज, पहनावे और परंपरागत जौनसारी नृत्य की शानदार प्रस्तुति से अमेरिका, बेल्जियम, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, भूटान, नेपाल, जॉर्डन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और विश्व प्रतिनिधियों को जौनसार-बावर की लोक संस्कृति से अवगत कराया। इसके अलावा रंगकर्मी नंदलाल ने नमोनाद कार्यक्रम के तहत हरिद्वार में लोक संस्कृति से जुड़े पांच सौ ढोल वादकों का नेतृत्व किया। देश के 22 राज्यों में कश्मीर से कन्याकुमारी, दमन द्वीप, अरब सागर से पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल के कोलकाता तक लोक संस्कृति का सफल नेतृत्व किया।

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    लोक संगीत के क्षेत्र में मिली बड़ी उपाधि

    जौनसारी संस्कृति के संवाहक विख्यात रंगकर्मी नंदलाल भारती को लोक संस्कृति के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद, संस्कृति विभाग उत्तराखंड और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा गुरु शिष्य परंपरा की उपाधि और जौनसारी संगीत के जनक की उपाधि से नवाजा गया। लोक संगीत के क्षेत्र में रंगकर्मी भारती को भारत सरकार के संगीत नाटक अकादमी में सदस्य नामित किया गया है। 

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