Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Swatantrata Ke Sarthi: शिक्षा ने तोड़ी मजबूरियों की 'बेड़ी', मिली नई दिशा भी

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 13 Aug 2020 03:52 PM (IST)

    चाइल्डलाइन के प्रयास से न सिर्फ कविता का जीवन बदल दिया बल्कि उसे एक नई दिशा भी मिल गई। आज कविता की गिनती अपनी कक्षा के होनहार छात्र-छात्राओं में होती ...और पढ़ें

    Hero Image
    Swatantrata Ke Sarthi: शिक्षा ने तोड़ी मजबूरियों की 'बेड़ी', मिली नई दिशा भी

    देहरादून, आयुष शर्मा। सातवीं कक्षा की छात्रा कविता (बदला हुआ नाम) दो साल पहले तक एक शिक्षक के घर में बालश्रम करने को मजबूर थी। तब उसकी उम्र महज 10 वर्ष थी। यह जानकारी माउंटेन चिल्ड्रन फाउंडेशन चाइल्डलाइन को मिली। चाइल्डलाइन ने पुलिस की मदद से बच्ची को मुक्त कराया। काफी खोजबीन के बाद भी बच्ची के स्वजनों का पता नहीं चला तो उसे एक बाल आश्रम में रखा गया। इसके बाद शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत उसका शहर के एक निजी स्कूल में दाखिला कराया गया। चाइल्डलाइन के इस कदम ने न सिर्फ कविता का जीवन बदल दिया बल्कि उसे एक नई दिशा भी मिल गई। आज कविता की गिनती अपनी कक्षा के होनहार छात्र-छात्राओं में होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कविता अकेली ऐसी लड़की नहीं है, चाइल्डलाइन ने जिसके जीवन की धारा बदली हो। बीते छह वर्षों में यह संस्था बालश्रम, भिक्षावृत्ति, घरेलू उत्पीडऩ, बाल विवाह समेत अन्य उत्पीडऩों से जुड़े 4008 मामले सुलझा चुकी है। इनमें 509 बच्चेे बालश्रम और भिक्षावृत्ति की अंधेरी दुनिया में जीने को मजबूर थे, लेकिन आज शिक्षा इनके जीवन में उजाला भर रही है। चाइल्डलाइन ने न सिर्फ इन बच्चों को स्कूल भेजा बल्कि जरूरत पडऩे पर छत भी मुहैया कराई। उत्तराखंड में माउंटेन चिल्ड्रन फाउंडेशन चाइल्डलाइन यह कार्य बीते 10 वर्ष से कर रही है।भिक्षा नहीं शिक्षा का संदेश 

    रंग-विरंगा मुखौटा पहने और जागरूक करते संदेश लिखी तख्ती लिए माउंटेन चिल्ड्रन फाउंडेशन चाइल्डलाइन के सदस्य बाजार में व चौराहों पर हर किसी से बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा देने की अपील करते नजर आ जाते हैं। यह संस्था पिछले छह वर्ष में 213 बच्चों और उनके अभिभावकों की काउंसिलिंग कर उन्हें भिक्षावृत्ति से मुक्त करा चुकी है। इसी तरह यह संस्था 396 बाल श्रमिकों को मुक्त कराकर शिक्षा का अधिकार दिलाने में कामयाब रही। इनमें कई बच्चे आज बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हैं।

    (फोटो: दीपिका पंवार)

    Swatantrata Ke Sarthi: जन आंदोलन से मिला देव स्थलों में प्रवेश का अधिकार

    दीपिका पंवार (सेंटर कॉर्डिनेटर, देहरादून) का कहना है कि  माउंटेन चिल्ड्रन फाउंडेशन चाइल्डलाइन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत पंजीकृत संस्था है। उत्तराखंड में हमारे 19 केंद्र हैं, जो लगातार बालश्रम, भिक्षावृत्ति, बच्चों के उत्पीड़न के खिलाफ काम कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि पुलिस व अन्य संस्थाओं के सहयोग से अपने अभियानों को वृहद रूप देकर बचपन बचाएं।

    यह भी पढ़ें: Swatantrata ke Sarthi: लोक संगीत से टूटीं सामाजिक कुरीतियों की बंदिशें, नए युग की हुई शुरुआत