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पौड़ी की जनता के स्नेह से अभिभूत थीं सुषमा, जनसभा की मंगवाई थी फोटो

उत्तराखंड से विशेष लगाव रखने वाली पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पौड़ी की जनता से मिले स्नेह से अभिभूत थीं। दिल्ली जाने के बाद उन्होंने पौड़ी की जनसभा की फोटो भी मंगवाई।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 01:38 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 08:21 PM (IST)
पौड़ी की जनता के स्नेह से अभिभूत थीं सुषमा, जनसभा की मंगवाई थी फोटो

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड से विशेष लगाव रखने वाली पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गढ़वाल मंडल के मुख्यालय पौड़ी की जनता से मिले स्नेह से अभिभूत थीं। इसकी बानगी 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान पौड़ी में हुई जनसभा में दिखी। इस दौरान भारी बारिश के बावजूद लोग छाते लेकर उन्हें सुनने को डटे रहे। यह फोटो जब अगले दिन समाचार पत्रों में छपा तो उन्होंने समलौंण (यादगार) के तौर पर पार्टी नेता एवं पूर्व राज्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से यह फोटो मंगवाया था।

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पूर्व राज्यमंत्री तीरथ सिंह रावत वर्तमान में गढ़वाल क्षेत्र से सांसद हैं। पूर्व में उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य रहीं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से जुड़े संस्मरण साझा करते हुए रावत ने बताया कि 2007 के चुनाव में वह प्रचार के लिए पौड़ी आई थीं। वहां रामलीला मैदान में उनकी जनसभा थी। सभा के दौरान भारी बारिश हो गई, मगर भीड़ टस से मस नहीं हुई। उन्हें सुनने के लिए जनता छाते लेकर खड़ी रहीं।

सांसद रावत बताते हैं कि छाते लेकर खड़ी भीड़ के सुषमा स्वराज को एकाग्र होकर सुनने का फोटो अगले दिन समाचार पत्रों में छपा। सांसद के अनुसार जनता के इस स्नेह से वह इतनी अभिभूत थीं कि अगले दिन दिल्ली जाकर उन्होंने फोन किया। स्वराज ने कहा, तीरथ जी समाचार पत्रों में छपा यह फोटो उन्हें भिजवा दें। ये फोटो हमेशा याद रहेगा। इसके बाद उन्हें यह फोटो भेजा गया।

कंडवाल के परिवार के लिए फरिश्ते से कम नहीं सुषमा स्वराज

देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समूचे देश में अपने व्यक्तित्व और कृतित्व के लिए जानी जाती रहेगी। तीर्थ नगरी से उनका राजनीतिक संबंध ही नहीं बल्कि लोगों से संवेदना पूर्ण रिश्ता भी रहा है। 

ऋषिकेश के बापू ग्राम मीरा नगर स्थित पूर्व सैनिक मोहनलाल कंडवाल का परिवार प्रखर नेत्री सुषमा स्वराज के जाने से अत्यधिक दुखी है और हो भी क्यों ना। परिवार के आगे छह वर्ष पुराना मंजर सुषमा स्वराज के नाम से फिर से जीवंत हो उठता है। 

मोहनलाल कंडवाल के पुत्र आशीष कंडवाल दुबई में एक होटल में नौकरी करते थे। 28 वर्षीय आशीष नौ नवंबर 2013 को होटल का काम खत्म कर घर जाने के लिए सड़क के किनारे खड़े थे तभी किसी वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी इस हादसे में आशीष की मौत हो गई। बेटे की मौत की सूचना से परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा। 

परिवार के सामने सबसे बड़ी चिंता दुबई से बेटे के पार्थिव शरीर को भारत लाना थी। भाजपा के तत्कालीन जिला अध्यक्ष ज्योति सजवाण ने इस परिवार को पूरी हिम्मत दी और आशीष के पार्थिव शरीर को घर तक लाने के लिए संपर्कों की तलाश में जुट गए। दिल्ली में भाजपा प्रवासी प्रकोष्ठ के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष सच्चिदानंद शर्मा को उन्होंने पूरी बात बताई और विदेश मंत्रालय के जरिए इस परिवार को मदद का आग्रह किया। 

सच्चिदानंद शर्मा ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पूरे मामले की जानकारी दी और उनसे भारतीय दूतावास के जरिए मदद की अपील की। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले में तत्काल भारतीय दूतावास को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। 

विदेश मंत्री के निर्देश पर भारतीय दूतावास ने दुबई दूतावास से संपर्क किया और आशीष कंडवाल के पार्थिव शरीर को उसके घर तक पहुंचाने के लिए कार्यवाही शुरू हुई। 13 दिन बाद सरकार के खर्च पर आशीष का पार्थिव शरीर दुबई से हवाई जहाज के माध्यम से दिल्ली पहुंचाया गया। इस तरह से आशीष का अंतिम संस्कार सुषमा स्वराज की मदद से गंगा तट पर संभव हो पाया। आशीष के माता पिता सुषमा स्वराज के निधन के समाचार से बेहद दुखी हैं।

मोहनलाल बताते हैं कि दुबई में बेटे की मृत्यु की सूचना के बाद उसकी मिट्टी को अपने देश तक लाने के लिए हम काफी परेशान रहे। एक बार तो उम्मीद ही टूट गई थी। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हमारे बेटे की मिट्टी को घर तक पहुंचाने में बहुत बड़ा काम किया। हम उनके एहसान को आजीवन नहीं चुका सकते। सुषमा स्वराज के साथ तभी से हमारा भावनात्मक रिश्ता जुड़ गया था।

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