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    Indian Military Academy से सूडान का कैडेट पासआउट, सहयोग के लिए जताया भारत का आभार

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 12:53 AM (IST)

    भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से पासआउट हुए सूडान के कैडेट ओसामा मोहम्मद इब्राहिम ने भारत के सहयोग के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि आइएमए में मिला प्र ...और पढ़ें

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    सूडान के युवा सैन्य अधिकारी ओसामा मोहम्मद इब्राहिम। जागरण

    विजय जोशी, जागरण देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) की पासिंग आउट परेड में मित्र राष्ट्र सूडान के नौजवानों की भी भागीदारी रहती है। इस बार विदेशी कैडेटों में सूडान के युवा अधिकारी ओसामा मोहम्मद इब्राहिम भी शामिल रहे, जिनके चेहरे पर अफसर बनने की खुशी तो थी, लेकिन आंखों में अपने देश के हालात को लेकर गहरी चिंता साफ झलक रही थी।

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    ओसामा ने कहा कि भारत और भारतीय सेना का कोई मुकाबला नहीं है। आइएमए में मिला प्रशिक्षण उनके जीवन का सबसे बेहतरीन अनुभव रहा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की शांत वादियां, अनुशासित वातावरण और यहां की संस्कृति को वह कभी नहीं भूल पाएंगे।

    सूडान के नौजवान ओसामा आइएमए में मिले कठोर सैन्य प्रशिक्षण, नेतृत्व विकास और रणनीतिक सोच को अपने देश की सेवा में पूरी निष्ठा से इस्तेमाल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से सूडान के युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देना सच्चे अर्थों में दोस्ती निभाने जैसा है।

    आइएमए से प्रशिक्षित अफसर आज सूडान की सेना में अहम जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि, सूडान के मौजूदा हालात पर बात करते हुए ओसामा भावुक हो गए।

    उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि सूडान में जल्द शांति बहाल हो और हालात सामान्य हों। उन्होंने कहा कि सूडान भारत की ओर बड़ी उम्मीदों से देखता है और भारत का सहयोग उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

    गौरतलब है कि अप्रैल 2023 से सूडान में जारी आंतरिक संघर्ष ने देश को गहरे मानवीय संकट में धकेल दिया है। लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं, आधे से ज्यादा आबादी गंभीर खाद्य संकट से जूझ रही है और स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ध्वस्त हो चुकी हैं।

    सीमा सुरक्षा भी बुरी तरह प्रभावित है, क्योंकि यह संघर्ष चाड, दक्षिण सूडान, मिस्र जैसे पड़ोसी देशों तक फैल चुका है। जिससे शरणार्थी संकट और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे समय में भारतीय सैन्य अकादमी से प्रशिक्षित सूडान के अफसर उम्मीद की एक किरण बनकर उभर रहे हैं।

    आइएमए से हर वर्ष दो से चार सूडानी कैडेट अफसर बनकर लौटते हैं, जो अपने देश की सेना में न केवल नेतृत्व कर रहे हैं, बल्कि स्थिरता और शांति की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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