Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मेडिकल कॉलेज में छात्र सीट छोड़ने की स्थिति में न फीस देने की

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 25 Mar 2018 11:37 AM (IST)

    राज्य कैबिनेट के द्वारा निजी विश्वविद्यालयों के अंतर्गत संचालित मेडिकल कॉलेजों को फीस निर्धारण का अधिकार दिए जाने से अजीब स्थिति बन गई है।

    मेडिकल कॉलेज में छात्र सीट छोड़ने की स्थिति में न फीस देने की

    देहरादून, [जेएनएन]: राज्य कैबिनेट के द्वारा निजी विश्वविद्यालयों के अंतर्गत संचालित मेडिकल कॉलेजों को फीस निर्धारण का अधिकार दिए जाने से अजीब स्थिति बन गई है। गत वर्ष दाखिला लेने वाले छात्रों ने यह शपथ पत्र दिया था कि फीस में बदलाव हुआ तो बढ़ी हुई फीस वह जमा करेंगे। अब मेडिकल कॉलेज व छात्र इसे लेकर आमने-सामने हैं। छात्रों की मजबूरी यह कि वह न फीस देने की स्थिति में हैं और न सीट छोड़ने की। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सरकार ने हाल ही में कैबिनेट बैठक में निजी मेडिकल कॉलेजों को इस आधार पर फीस तय करने का अधिकार दे दिया कि वह यूनिवर्सिटी हैं। इसमें स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी का हिमालयन मेडिकल कॉलेज, एसजीआरआर यूनिवर्सिटी का एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज और सुभारती यूनिवर्सिटी का सुभारती मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। अब इन कॉलेजों ने फीस कई गुना बढ़ा दी है। जिसके बाद छात्र असमंजस की स्थिति में हैं, क्योंकि गत वर्ष उन्हें एमबीबीएस में दाखिला शपथ पत्र लेकर दिया गया था। यह इकरारनामा इस बात का था कि फीस बढ़ी तो उन्हें देनी होगी। छात्रों के सामने एक समस्या और भी है। वह सीट छोडऩे की भी स्थिति में नहीं हैं। क्योंकि नियमानुसार उन्हें पूरे कोर्स की फीस चुकानी होगी। 

    इधर, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि कई छात्र अब शपथ पत्र से ही पल्ला झाड़ रहे हैं। वह बढ़ी फीस देने में आनाकानी कर रहे हैं। बहरहाल इस हालात में मेडिकल कॉलेज व छात्रों के बीच विवाद की स्थिति बन रही है। 

    प्राचार्य (एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज) डॉ. अनिल कुमार मेहता का कहना है कि मेडिकल कॉलेज की आय व्यय के आधार पर प्रति सीट आने वाले व्यय की एक रिपोर्ट तैयार की गई है। विवि की शुल्क निर्धारण समिति ने इसी के आधार पर फीस तय की। 

    निदेशक (चिकित्सा शिक्षा) डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि फीस बढ़ोत्तरी केवल नए बैच पर लागू होगी या पुराने बैच को भी बढ़ी फीस देनी पड़ेगी, इस बारे में अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। कैबिनेट की बैठक और फीस कमेटी की फैसले की अभी लिखित जानकारी हमारे पास नहीं है। 

    यह भी पढ़ें: बड़े कारोबारी ही चला पाएंगे शराब की मॉडल शॉप

    यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में महंगी हुई शराब, अधिसूचना जारी

    यह भी पढ़ें: अब उत्तराखंड में भी शराब की बोतलों पर दिखेगा बारकोड

    comedy show banner
    comedy show banner