Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पोलैंड बार्डर पर भी मदद को जूझ रहे छात्र, दून निवासी कुछ छात्रों ने भेजे वीडियो; बयां की वहां की स्थिति

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Sun, 27 Feb 2022 10:47 AM (IST)

    दून निवासी कुछ छात्रों ने पोलैंड बार्डर से कुछ वीडियो भेजे हैं। जिसमें उन्होंने बताया कि वहां क्या स्थिति है किस तरह की परेशानियां हो रही हैं। बार्डर के पास बहुत जाम और भीड़ की स्थिति है। वीडियो में छात्र भीषण ठंड में सड़क पर बैठे नजर आ रहे हैं।

    Hero Image
    दून निवासी कुछ छात्रों ने पोलैंड बार्डर से कुछ वीडियो भेजे हैं।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: भारतीय दूतावास ने यूक्रेन में फंसे छात्रों को पोलैंड बार्डर पर जाने के लिए कहा था। जिसके बाद अधिकतर छात्र पोलैंड बार्डर पर पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां से निकल पाना मुश्किल हो गया है। दून निवासी कुछ छात्रों ने पोलैंड बार्डर से कुछ वीडियो भेजे हैं। जिसमें उन्होंने बताया कि वहां क्या स्थिति है किस तरह की परेशानियां हो रही हैं। छात्रों का कहना है कि जैसे ही भारतीयों को पोलैंड बार्डर के जरिया यूक्रेन से निकाले जाने के निर्देश मिले, बार्डर के पास बहुत ज्यादा जाम और भीड़ की स्थिति बन गई। वीडियो में छात्र भीषण ठंड में सड़क पर बैठे नजर आ रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उनका कहना है कि पोलैंड बार्डर पर स्थिति गंभीर हो गई है, क्योंकि यूक्रेनी नागरिक भी पोलैंड के जरिये दूसरे देशों की तरफ जाने की कोशिश कर रहे है। पोलैंड बार्डर पर भीड़ बढ़ जाने की वजह से स्थिति असामान्य बनती जा रही है। अब छात्र भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनको यूक्रेन से सकुशल निकाला जाए। वहां यूक्रेनी नागरिक भारतीयों को रोककर कह रहे हैं कि यूक्रेनी महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता से सुरक्षित निकाला जाएगा। बार्डर पर छात्र भारतीय दूतावास की मदद का इंतजार कर रहे हैं।

    कभी हास्टल, कभी मेट्रो के बेसमेंट में छिपकर गुजार रहे रात

    यूक्रेन व रूस के बीच चल रहे युद्ध के कारण इस समय खारकीव में सबसे अधिक खतरा है। यह सबसे अधिक संवेदनशील इलाका माना जा रहा है। इस क्षेत्र में दून निवासी अक्षत जोशी समेत राज्य के कई छात्र फंसे हैं। जिनके अभिभावकों को अब हर पल भय सता रहा है। उनका कहना है कि बच्चे कभी हास्टल तो कभी मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट में छिपकर रात गुजार रहे हैं। उन्हें खाना-पानी तक बड़ी मुश्किल से नसीब हो रहा है।

    जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. डीपी जोशी का बेटा अक्षत खारकीव स्थित नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। वह एमबीबीएस तृतीय वर्ष का छात्र है। डा. जोशी ने बताया कि शुक्रवार को उनके बेटे अक्षत ने फोन पर बताया कि वह हास्टल में है। वह बाहर से कुछ खाने-पीने का सामान लेकर आया ही था कि इसके कुछ देर बाद बमबारी होने लगी। इस पर वहां की सेना ने उन्हें खारकीव के मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट में भेज दिया। वह साथ में कुछ बिस्किट व चिप्स लेकर गए थे, लेकिन यह सब भी खत्म हो गया। कई घंटे भूखे-प्यासे रहने के बाद देर शाम उन्हें हास्टल वापस जाने को कहा गया। अब बमुश्किल थोड़े से चावल व अंडे मिल पाए हैं।

    यह भी पढ़ें- Russia Ukraine Conflicts : बेटी से वीडियो काल पर बात हुई तब आई जान में जान, मां ने कहा- पीएम पर है भरोसा

    पोलैंड बार्डर तक पहुंचना मुश्किल

    डा. जोशी के अनुसार अक्षत और उनके साथियों को पोलैंड बार्डर जाने को कहा गया है। जबकि वहां से बार्डर करीब 1300 किलोमीटर दूर है। खारकीव में स्थिति बहुत ही खराब है। ऐसे में सरकार से मांग है कि अक्षत व उनकेसाथियों को तुरंत भारत लाने की व्यवस्था की जाए।

    यूक्रेन के खराब हालात देखकर एक दिन पहले ही निकल गई थी नेहा

    डोईवाला : यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही सुनार गांव अठुरवाला डोईवाला निवासी नेहा युद्ध शुरू होने से पहले 23 फरवरी वहां से निकल गई थी। उसके बाद दुबई होते हुए नेहा भारत पहुंची। नेहा का कहना है कि वहां के खराब होते हालात को देखते हुए उसने वापस भारत जाने का निर्णय लिया था

    नेहा के मुताबिक वह पांच दिसंबर को एमबीबीएस करने युक्रेन गई थी। उसने बताया कि उस समय वहां का माहौल बहुत अच्छा था। उसके बाद रूस के साथ तनाव की खबर आने लगी। इसके बाद हालात खराब होते चले गए। उसने बताया कि फरवरी में इंडियन एंबेसी से भी एडवाइजरी जारी की थी कि जो भारतवासी वापस जाना चाहते हैं वह जा सकते हैं। इसके बाद उनकी यूनिवर्सिटी ने भी आनलाइन स्टडी करने की बात कहकर उन्हें भारत जाने की अनुमति दे दी।

    उसके बाद अन्य साथियों के साथ वह यूक्रेन की राजधानी कीव से 23 फरवरी को वह दुबई के लिए निकले। 24 दिसंबर को दुबई पहुंचे फिर वहां से मुंबई आए। उसके बाद वह अपने घर पहुंची। नेहा ने बताया कि कीव में खाने-पीने का सामान भी नहीं मिल रहा है। वहां लोग बंकर में रह रहे हैं। सायरन बजते ही सब छूप जाते हैं। अब यूक्रेन में फ्लाइट भी पूरी तरह से बंद कर दी गई है। बसों के माध्यम से ही बार्डर पर पहुंचकर पोलैंड रोमेनिया से लोग आ रहे हैं। उसने बताया कि अभी भी हमारे हास्टल में कई छात्र वहीं फंसे हुए हैं।

    यह भी पढ़ें- कांवड़ यात्रा : सीएम धामी ने दिए सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने के निर्देश, कहा- उपलब्ध कराई जाएं सुविधाएं