दृढ़ निश्चय और अनुशासन है सफलता की कुंजी, पढ़िए पूरी खबर
दृढ़ निश्चय और अनुशासन से जरूर एक दिन सफलता प्राप्त होती है। इस मंत्र पर विश्वास करने वाली दून निवासी मीनल कर्णवाल ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 35वीं रैंक हासिल की।
देहरादून, जेएनएन। दृढ़ निश्चय और अनुशासन से जरूर एक दिन सफलता प्राप्त होती है। इस मूल मंत्र पर विश्वास करने वाली 24 वर्षीय दून निवासी मीनल कर्णवाल ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 35वीं रैंक हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
बारहवीं कक्षा तक सेंट जोसफ में पढ़ाई करने वाली मीनल ने सफलता से उत्साहित होते हुए बताया कि दृढ़ निश्चय और अनुशासन से आज वह आइएएस की परीक्षा पास करने में सफल रहीं। देहरादून के करनपुर क्षेत्र के बंगाली लाईब्रेरी मोहल्ले में रहने वाली मीनल कर्णवाल दो भाईयों की इकलौती बहन है। पिता उमेश कर्णवाल एसबीआइ करनपुर शाखा में कार्यरत हैं, जबकि मां सिम्मी गृहिणी हैं। वहीं छोटा भाई उच्जवल चेन्नई से बीटेक कर रहा है। बड़ा भाई विशेष कर्णवाल दिल्ली में वकील है।
परिवार और दोस्तों को दिया सफलता का श्रेय
मीनल ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि उनकी सफलता के पीछे उनके परिवार, दोस्तों व शिक्षकों का अहम योगदान है। वह बताती हैं जिंदगी में कई बार उतार-चढ़ाव आए, लेकिन परिवार ने उनको प्रोत्साहित किया। जिसके चलते उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जिंदगी में जो लक्ष्य बनाया था उसे हासिल किया। उन्होंने बताया कि पहली और दूसरी कोशिश में उन्हें सफलता नहीं मिली। शुक्रवार देर शाम जारी परीक्षा परिणाम से पहले मीनल दो बार लोकसेवा आयोग की परीक्षा दे चुकी हैं, लेकिन प्री क्लियर न होने की वजह से वह सफल नही हो पाई, लेकिन तीसरी बार में उन्होंने देश में 35वीं रैंक हासिल कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया।
हार न मानने के जज्बे से मिली सफलता
कड़ी मेहनत और हार न मानने का जज्बा एक दिन निश्चित ही सफलता के मुकाम तक पहुंचाता है। यह साबित कर दिखाया दून निवासी अभिनव शाह ने। उन्होंने तीसरे प्रयास में यूपीएससी में 222वीं रैंक हासिल कर परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। मूल रूप से उत्तरकाशी के बड़ेथी गांव निवासी अभिनव का परिवार मोहकमपुर के राजेश्वरीपुरम, एकता कॉलोनी में रहता है। अभिनव को आइएएस कैडर मिलने का पूरा भरोसा है।
अभिनव दून में ही पले-बढ़े हैं। अक्सर दोस्तों और परिवार संग मसूरी घूमने जाते थे तो उनकी नजर लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी (एलबीएस) पर थम जाती थी। यहीं से उन्होंने जिंदगी का लक्ष्य भी तय किया कि वह एक दिन आइएएस बनकर यहां प्रशिक्षण लेने आएंगे।
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