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एसटीएफ ने 10 करोड़ रुपये का जीएसटी घपला पकड़ा, पढ़िए पूरी खबर

स्टेट जीएसटी की एसटीएफ ने दून में कई जगह छापेमारी की। जिसमें पता चला कि विभिन्न संस्थानों ने 10 करोड़ रुपये के कारोबार पर जीएसटी अदा नहीं किया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 09:35 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 09:35 AM (IST)
एसटीएफ ने 10 करोड़ रुपये का जीएसटी घपला पकड़ा, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। राज्य माल एवं सेवा कर विभाग (स्टेट जीएसटी) के राडार पर अब टूर एंड ट्रैवल्स और सिक्योरिटी सर्विसेज से जुड़े प्रतिष्ठान भी आ गए हैं। स्टेट जीएसटी की एसटीएफ ने दून में कई जगह छापेमारी की। जिसमें पता चला कि विभिन्न संस्थानों ने 10 करोड़ रुपये के कारोबार पर जीएसटी अदा नहीं किया है।

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एसटीएफ ने संयुक्त आयुक्त अरुण कुमार के निर्देश और उपायुक्त यशपाल सिंह के नेतृत्व में रेसकोर्स, इंदिरानगर व सुभाष नगर में विभिन्न प्रतिष्ठानों पर छापा मारा। सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक चली कार्रवाई में अधिकारियों ने कारोबार से संबंधित तमाम दस्तावेज कब्जे में लिए। उपायुक्त यशपाल सिंह के मुताबिक अब तक की छानबीन में पता चला है कि कारोबारियों ने 10 करोड़ रुपये के कारोबार पर बन रहे एक करोड़ रुपये का कर अदा नहीं किया है। छापे के बाद कुछ कारोबारियों ने मौके पर ही साढ़े चार लाख रुपये जमा करा दिए। शेष राशि जल्द जमा कराने की बात कही गई है। छापा मारने वाले टीम में सहायक आयुक्त जयदीप रावत, वंदना नौटियाल, राज्य कर अधिकारी कबीर चौहान, पराक्रम प्रसाद, अंजू व सुनील रावत शामिल रहे।

जीएसटी नंबर लिया और फिर निरस्त करा दिया

स्टेट जीएसटी के उपायुक्त यशपाल सिंह ने बताया, जांच के दौरान यह बात सामने आई कि कई कारोबारियों ने पहले तो जीएसटी नंबर लिया और फिर कुछ समय बाद ही उसे निरस्त करा दिया। इसके बाद भी उस नंबर का फर्जी ढंग से प्रयोग कर कारोबार किया जा रहा है। इनके खिलाफ विधिक कार्रवाई भी अमल में लाई जा रही है। इसके अलावा कुछ कारोबारियों ने जीएसटी नंबर लिया ही नहीं है।

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निरस्त जीएसटी नंबर पर होगी गिरफ्तारी

स्टेट जीएसटी अधिकारियों का कहना है कि निरस्त किए गए जीएसटी नंबर पर संबंधित कारोबारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी भी की जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने अपील की है कि टीडीएस की कटौती करने वाले या सामान्य कारोबारी भुगतान करते समय जीएसटी की वैधता अवश्य जांच लें। कई मोबाइल एप और सरकारी वेबसाइट के जरिये वैधता का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

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